महेन्द्रगढ़ : प्रमोद बेवल
महेन्द्रगढ़ जिले में लिगांनुपात का निरन्तर घट रहा अनुपात लोगों की कन्या के प्रति बदलती जांच का परिणाम है । महेन्द्रगढ़ जिले से ही कन्या जन्म पर कुआं पूजन की पहल की गई थी । धीरे धीरे यह पहल कारवां के रूप में बदलती गई । कन्या जन्म पर कुंआ पूजन की प्रथा अब राज्य के प्रत्येक जिले में मनाई जाने लगी है ।
उक्त बातें छाजुपुरम स्थित रमेश कुमार व सुशीला देवी के घर जन्मी नवजात पौत्री के जन्म पर आयोजित कुंआ पूजन पर्व पर उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए राज्य में कन्या जन्म की प्रथा प्रारम्भ करने वाली राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित मंजु कौशिक ने रविवार देर शाम कही ।
मौहल्ला धाजुपुरम में रितु पत्नी सुशीला ने 22 अप्रैल को एक कन्या को जन्म दिया । कन्या के जन्म की खुशी का समाचार मिलते ही उसके दादा पूर्व एएसआई रमेश कुमार ने सभी परिजनों को एकत्रित कर संदेश दिया कि नवजात कन्या के जम्म को लड़के के जन्म की तरह पर्व के रूप में मनाया जाऐगा ताकि समाज को लिगानुंपात के अन्तर को समाप्त करने का संदेश दिया जा सके । इसी परम्परा का निर्वहन करते हुए बुआ सरिता फूफा विकास यादव सहित समस्त परिजनों ने जमकर कन्या जन्म की खुशिया मनाई । इतना ही नहीं ननिहाल पक्ष से मामा अंकित पप्पु ने लड़के के जन्म की तरह छुछक देकर समाज को लड़का-लड़की में भेदभाव समाप्त करने के लिए प्रेरित किया ।
इस मौके पर आशा वर्कर सन्तोष आगंनवाडी वर्कर पूजा ने भी महिलाओं को गर्भ में कन्या भ्रूण की हत्या रोकने के लिए प्रेरित किया । रविवार देर शाम को राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित मंजु कौशिक ने कन्या के जन्म को पर्व के रूप में मनाने वाले परिवार को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया ।
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