सैनी सभा पर विवाद पुनः सुर्खियों में आया


रवि मैहंदीरता, रेवाड़ी। 
सैनी सभा में वर्चस्व कायम रखने के लिए करीब डेढ़ साल पहले शुरू हुआ विवाद अब नए सिरे से सुर्खियों में गया है। एक पक्ष ने जिला रजिस्ट्रार पर पूर्व प्रधान से मिलीभगत करके गलत तरीके से चुनाव प्रक्रिया शुरू कराने का आरोप लगाया है तो दूसरे पक्ष ने राजनीतिक दबाव के चलते पूर्व मैनेजर पर स्टेट रजिस्ट्रार से मिलीभगत करने का आरोप लगाया है। दोनों ही तरफ से हाईकोर्ट के एक फैसले का भी उल्लेख किया गया है। एक पक्ष ने जहां हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए चुनाव प्रक्रिया शुरू कराने की बात की है, वहीं दूसरा पक्ष इस बात पर अड़ा है कि हाईकोर्ट ने चुनाव को लेकर किसी तरह का कोई फैसला नहीं दिया। रविवार को दोनों पक्षों की तरफ से अलग-अलग प्रैसवार्ता कर आरोपों की झड़ी लगाई गई। 


फरवरी 2018 में सैनी सभा का कार्यकाल खत्म होने से पहले सभा के कुछ कॉलोजियम सदस्यों ने निर्वतमान प्रधान चेतराम सैनी पर सभा में अनियमिताओं का आरोप लगाया था। उसके बाद से ही यह मामला गर्माया हुआ है। सैनी सभा में बढ़े गतिरोध के बीच प्रशासन ने सभा में प्रशासक नियुक्त कर दिया था। प्रशासक के तौर पर सीटीएम सैनी सभा का कार्यकाल देख रहे थे। इसी बीच सैनी सभा पूर्व प्रधान इस मामले को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गए। इस दौरान मामला कुछ माह से बिल्कुल शांत था, लेकिन 17 मई को एक बार फिर सैनी सभा में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के बाद मामला गर्मा गया।

पूर्व प्रधान मिलीभगत कर संस्था को कर रहे खराब
सैनी सभा के मैनेजर रहे शशि सैनी रविवार को तीन संरक्षकों सहित कई अन्य पदाधिकारियों के साथ मीडिया के सामने आए। मॉडल टाउन स्थित एक रेस्टोरेंट में प्रैसवार्ता कर पूर्व प्रधान चेतराम सैनी पर संस्था को एक तरह से बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधान ने जिला रजिस्ट्रार से मिलीभगत करके गलत वार्डबंदी के जरिए सभा में लगाए गए प्रशासन सीटीएम को गुमराह करके एक बार फिर चुनाव प्रक्रिया शुरू करा दी। उन्होंने कहा कि हमारी मंशा बिल्कुल साफ है कि संस्था के चुनाव होने चाहिए, लेकिन चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष होने चाहिए। पूर्व प्रधान द्वारा मनमर्जी से की गई वार्डबंदी को रद्द कर नए सिरे से वार्डबंदी की जानी चाहिए। क्योंकि इस वार्डबंदी में चेतराम सैनी ने एक ही परिवार के वोट अलग-अलग कर दिए है। अपने निजी फायदे के लिए ऐसा किया गया है। इससे साफ जाहिर है कि पूर्व प्रधान की नीयत ठीक नहीं है। शशि सैनी ने कहा कि गुपचुप तरीके से पूर्व प्रधान ने मिलीभगत करके 18 मई को चुनाव को लेकर नामांकन प्रक्रिया शुरू करा दी। हमने अपना विरोध जताते हुए अधिकारियों के सामने बात रखी और अब इस प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया है। हाईकोर्ट ने किसी तरह के चुनाव प्रक्रिया शुरू कराने का आदेश नहीं दिया। इस मौके पर सूर्यकांत सैनी, रोशनलाल सैनी, हरीश सैनी, सुभाष सैनी, होशियार सैनी

राजनीतिक संरक्षण के तहत बना रहे नजायज दबाव
दोपहर बाद सेक्टर-5 स्थित एक रेस्टोरेंट में प्रैसवार्ता करते हुए सैनी सभा के पूर्व प्रधान चेतराम सैनी ने कहा कि हाईकोर्ट के सभी दस्तावेज हमारे पास है। चुनाव प्रक्रिया हमने नहीं रजिस्ट्रार कार्यालय की तरफ से शुरू कराई गई थी।  यह सभी हाईकोर्ट के आदेश पर हुआ था। हाईकोर्ट ने स्टेट रजिस्ट्रार को प्रक्रिया शुरू कराने का आदेश दिया था। उसके बाद जिला रजिस्ट्रार कार्यालय की तरफ से यह प्रक्रिया शुरू कराई गई। हमारा कार्याकाल तो पिछले वर्ष ही पूरा हो चुका है। ऐसे में हम तो सिर्फ चुनाव लड़ने वालों में शामिल है। जिला रजिस्ट्रार द्वारा एक सप्ताह के भीतर एक बार चुनाव कराने के लिए और दूसरी बार सीटीएम को इस तरह चुनाव प्रक्रिया रोकने संबंधित पत्र लिखे है। तीसरे पत्र में उसी जिला रजिस्ट्रार ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश दे दिया। इससे साफ जाहिर होता है कि अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव बनाया गया है। उन्होंने कहा कि सभा के पूर्व मैनेजर की चाल पर यह सब हो रहा है। वार्डबंदी से लेकर तमाम तरह की आपत्तियों का निपटारा पिछले साल ही हो चुका है। यह सब निजी स्वार्थ के लिए संस्था को खराब करने के लिए किया जा रहा है। हमने इससे संबंधित एक और शिकायत कोर्ट में दायर कर दी है। इस मौके पर पूर्व पार्षद औमप्रकाश सैनी, आशीष सैनी, सुरेश सैनी, जगदीश सैनी, मनोज सैनी, प्रताप सैनी, बहादुर सिंह सैनी, सतीश सैनी, अशोक सैनी, राजेश सैनी, राम सिंह सैनी नरेश सैनी मौजूद थे। 

Post a Comment

0 Comments