दो घंटे बाद रोने पर परिजनों ने किया हंगामा, पुलिस भी मौके पर आई
धनेश विद्यार्थी, रेवाड़ी। शहर के निजी अस्पतालों में मरीजों और नवजात के साथ होने वाले सलूक का आज एक नई मिसाल सामने आईं।
परिजनों के मुताबिक उनकी नवजात को जीवाराम निजी अस्पताल में चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ ने मृत बताकर जमीन पर रखवा दिया। करीब दो घंटे यह नवजात, जोकि एक बालिका थी, के उठाते वक्त रोने की आवाज ने सभी को चैंका दिया।
बाद में परिजन इसे कमला नर्सिंग होम में इलाज के लिए लेकर गए, जहां इलाज के दौरान इस नवजात की मौत हो गई। इस घटनाक्रम के बीच जब मृत बताई गई नवजात बच्ची रोई, तब उसके परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया। पुलिस भी मौके पर पहुंची। उसके बाद यह मामला मीडिया की सुर्खियां बन गया। जानकारी के अनुसार धारूहेड़ा क्षेत्र के गांव खरखड़ा की एक गर्भवती महिला को उसके परिजन प्रसुति के लिए बावल रोड स्थित जीवाराम निजी अस्पताल में लेकर आए। वहां इस महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। बच्ची का जन्म 21 वें सप्ताह में हुआ है। जन्म के बाद महिला चिकित्सक और अन्य स्टाफ ने प्रसुता के परिजनों को बातया कि बच्ची मर चुकी है।
बच्ची को एक कपड़े में लपेटकर फर्श पर लिटा दिया गया। अस्पताल स्टाफ ने कुछ वक्त बाद परिजनों से इस बच्ची को अस्पताल से अपने घर ले जाने की नसीहत दी। करीब दो घंटे बाद जब नवजात को उसकी बुआ ने उठाया तो वह रोने लगी। बुआ ने बच्ची की सांस चलते देख अपने भाई को यह बात बताई। बच्ची को जिन्दा देखकर परिजनों का पारा आसमान पर चढ़ गया। तब उन्होंने इस निजी अस्तपाल में खूब हंगामा किया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और प्रसुता के परिजनों को समझाकर मामला शांत करा दिया। परिजन बच्ची को इलाज के लिए कमला नर्सिंग होम ले गए, जहां इलाज के दौरान इसकी मौत हो गई।
परिजनों का आरोप है कि जब बच्ची जिंदा थी तो उन्हें बच्ची मृत क्यों बताई गई तथा उसे अस्पताल ने सही से इलाज क्यों नहीं उपलब्ध कराया। इस मामले में अस्पताल की महिला चिकित्सक ने अपने मेडीकल ज्ञान का अनुभव से मृतक नवजात के परिजनों को बताया कि 21 सप्ताह की बच्ची के जिन्दा रहने की संभावना बहुत कम होती है। फिलहाल इस मामले की लिखित शिकायत स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन अथवा पुलिस को नहीं दी गई है।
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