गुरूग्राम। 30 जून दिन गुरुवार को श्री परमधाम न्यास के गुरूग्राम के सहयोगियों द्वारा क्रांतिगुरु श्री चन्द्रमोहन जी के जन्मदिवस को 'वृक्षारोपण दिवस' के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर सवा लाख वृक्षारोपण के महायज्ञ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर गुरूग्राम के विभिन्न क्षेत्र अंजना कॉलोनी, सूरत नगर, कादिपुर, पटेल नगर, मोलाहेदा, मानेसर में वृक्षारोपण किया गया।
कार्यकर्म की शुरुआत राष्टगान से की गयी। इसके बाद सैकड़ों छायादार व फलदार पौधे जैसे नीम, पीपल, आम, बड़ इत्यादि का रोपण किया गया।
क्रांतिगुरु चन्द्रमोहन जी के संदेश में युवा निरिक्षक प्रेम जी ने कहा कि जैसे वृक्षों से पृथ्वी पर पर्यावरण खुशहाल होता है वैसे ही जातिरहित एकजुटता से मानवता खुशहाल होती है। अध्यात्म का पहला सूत्र प्रकृति-प्रेम है। हमे हृदय से प्रकृति से प्रेम करना चाहिए क्योंकि वृक्ष साक्षात शंकर है, पशुपतिनाथ है अर्थात पशुओं को पालने वाला है। शंकर से ही शिव (परमात्मा) की प्राप्ति होती है। वृक्ष विष (कार्बन-डाई ऑक्साइड) पीता है और अमृत (ऑक्सीजन) देता है, वृक्ष ही साक्षात भोलेनाथ हैं क्योंकि पत्थर मारो फल देता है वृक्ष ही साक्षात महादेव है क्योंकि देवो (देवो वालो) में वृक्ष ही सबसे अधिक देता है। जल स्रोत को विष्णु कहा गया और वायुमंडल को ब्रह्म कहा गया। शंकर और विष्णु अर्थात वनस्पति और पीने के जल स्रोत के प्रति जागरूकता अध्यात्म मे प्रवेश का पहला कदम है।
"वृक्षों को पालो - अपने बच्चो की तरह - अपने बच्चों के लिए"
वृक्षों को पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और जाति रहित एकजुटता से मानवता सुरक्षित रहेगी। इसलिए प्रकृति से प्रेम करे। वृक्ष अपने जीवन में लगाना और उसे निष्ठा से पालना दस पुत्रों को पालने के समान है। जो वृक्ष आज हमे प्राण वायु दे रहे हैं वो हमारे लिये औरो ने लगाए हैं। हमे भी अपनी आने वाली पीढ़ी के लिये वृक्ष लगाने चाहिए। जितना हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हैं उतना ही प्रकृति से हमे दुख और पीड़ा मिलती है। उतराखंड और नेपाल में आयी भारी तबाही प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का ही नतीजा है। वृक्षों को काटकर हम अपने लिए ही अंधकार का मार्ग खोल रहे हैं। जहा वृक्ष कम होते हैं वहा अपराधिक सोच बढ़ जाती है।
अतः हमे अपने जीवन में कम से कम एक पौधा लगाकर उसका पालन करना चाहिए। ये बड़ा ही पुण्य का कार्य है इसमे हम परमात्मा की नजरो मे चढ़ते हैं। अगर सभी लोग एक पौधा लगाये और उसे पाले तो हमारा देश हरा-भरा हो जायगा।
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