हवन-यज्ञ का हमारी वैदिक संस्कृति में बडा महत्व है:प्रो. रामबिलास शर्मा


महेंद्रगढ : प्रमोद बेवल 

यज्ञ कर्म एवं हवन वैदिक काल से प्रेरित कर्मकांडीय अनुष्ठान हैं, जो इस देश को प्राचीन ऋषियों की देन है

उक्त विचार शिक्षामंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने एकादशी पर अपने निवास स्थान राठीवास पर परिवार के साथ देश के लोगों की खुशहाली और मंगलकामना के लिए हवन यज्ञ करते हुए कही



उन्होंने कहा कि हवन-यज्ञ का हमारी वैदिक संस्कृति में बडा महत्व है। इससे वातावरण शुद्ध होने के साथ ही हमें मानसिक शांति भी मिलती है। हवन-यज्ञ अपने आप में एक समग्र उपासना विधि है, जो भौतिक संसार के सर्जक और संसार के संचालक महाशक्तियों के अनुनय के लिए रूपायित और विकसित की गई। उन्होंने कहा युगों तक हमारे देश के आराधना संसार, जीवन व्यवहार तथा वायुमंडल को यज्ञ के विधि-विधान और आयोजन सुवासित करते रहे हैं और बाद में वे ही विभिन्न पूजा प्रणालियों, आराधना पद्धतियों, आध्यात्मिक आयोजनों के प्रेरक बने। यज्ञ कर्म अत्यंत सूक्ष्मता से रूपायित, निर्धारित विधि-विधानों, प्रक्रियाओं, मंत्र-मालाओं से व्यवस्थाबद्ध एक अनुशासित उपासना-आराधना विधि है जिसका एक विस्तृत एवं विशिष्ट दर्शन है।

उन्होंने कहा गीता के चौथे अध्याय में कुछ लाक्षणिक यज्ञों की चर्चा की गई है। यज्ञों का यह संकेत मानसिक यज्ञों की ओर है, जो चिंतनशील बुद्धिजीवी लोगों के लिए उपयोगी भी है, करणीय भी, तुष्टिदायक भी और भौतिक, द्रव्य यज्ञों के मनोविज्ञान से निवृत्ति का कारक भी। गीता ने इन्हें श्रेष्ठतर घोषित किया है।

इस अवसर पर शिक्षामंत्री की पत्नी बिमला शर्मा, पुत्र गौतम शर्मा पुत्रवधु कौमल शर्मा पुत्री डा.आशा शर्मा, अन्नपूर्णा, राजेन्द्र शर्मा, उर्मिला शर्मा निर्मल शर्मा सहित पूरा परिवार उपस्थित था


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