333 वर्ष पुराने न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन, केन्द्रीय साइंस एंड टैक्नोलोजी मंत्री डा0 हर्षवर्धन ने अजय की पीठ थपथपाई।

Shimla:Team Ajeybharat:
अजय शर्मा ने 1999 में न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन किया था। उनका दावा था कि न्यूटन का तीसरा नियम महत्वपूर्ण घटक ‘वस्तु के आकार की’ अनदेखी करता है। अब देश विदेश के प्रमुख वैज्ञानिकों ने अजय की शोध का लिखित तौर पर समर्थन किया है.

अपनी रिपोर्ट 22 अगस्त 2018 को अमेरिकन एसोसियेसन आफ फिजिक्स टीचरज (American Association of Physics Teachers) के प्रैजीडैंट प्रो0 गौरडन रामसे ने लिखा है कि नियम में वस्तु के आकार को अजय के प्रयोगों प्द्वारा समझा जाना चाहिए। इंडियन सांइस कांग्रेस, भारतीय विज्ञान अकादमी की शोध पत्रिका ’ करंट सांइस’’ के सम्पादक, अन्र्तराष्ट्रीय रिसर्च जरनल ‘फाऊडेसन आफ फिजिक्स’ के प्रमुख सम्पादक फ्रांस के प्रोफैसर कारलो रोबैली ने प्रयोग करने की सलाह ही है। ये प्रयोग अभी तक नहीं हुए हैं.
विश्व के इस आधार भूत नियम में संशोधन के लिए कुछ प्रयोगो की आवश्यकता है जिस पर 10-12 लाख रूपये खर्च होगे। अजय, सरकार से बार-बार प्रयोगात्मक सुविधाओं की मांग कर रहे है । इन प्रयोगो से विज्ञान का आधारभूत नियम संशोधित होगा और यह 135 करोड़ भारतीयो के लिए अत्यंत गर्व की बात होगी।
अब मोदी सरकार के साइंस एंड टैक्नोलोजी मंत्री डा0 हर्ष वर्धन ने अजय शर्मा के शोध डाक्यूमैटस केन्द्रीय वैज्ञानिक एंव औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) नई दिल्ली के महानिदेशक को भेजे है अजय शर्मा को महानिदेशक के कार्यालय में अनुसरण करने को कहा है। इस से अजय शर्मा बहुत उत्साहित हैं. शर्मा ने प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर और शिक्षा मंत्री श्री सुरेश भारद्वाज का हर सम्भव सहायता के आभार व्यक्त किया।
क्या है न्यूटन का तीसरा नियम ?
इस नियम के अनुसार क्रिया और प्रतिक्रिया हमेशा समान और विपरीत होती है। यह नियम न्यूटन ने सन् 1686 में अपनी पुस्तक प्रिसीपिया में दिया था।
अजय ने इस नियम को क्यो संशाधित किया है ?
यह नियम ‘वस्तु के आकार’ और संरचना की अनदेखी करता है। नियम में इन घटकों के समायोजन के लिए नियम का विस्तार किया गया है। न्यूटन का तीसरा नियम, अजय के संशोधित तीसरा नियम की विशेष अवस्था है।
मान लो हमारे पास 1 कि0ग्राम भार की रबड़ की भिन्न -2 आकारों की वस्तुए है। वस्तुए गोलाकार अर्ध गोलाकार, त्रिभुज, लम्बी पाईप, शकु, अनियमित आकार, स्पाट, छतरी नुमा भी हो सकती है। इस सम्बध मे न्यूटन के नियम को परखा ही नहीं गया है। सभी आकर की वस्तुओं के लिए क्रिया तो बराबर होती है पर प्रतिकिया नहीं. यही जाँच के लिए मुख्या मुद्दा है. इसे मोटे तौर पर सही मानकर पढ़ाया जा रहा है।
क्या है वैज्ञानिको की राय ?
अजय ने यह शोध पत्र 2018 में वाशिगटन, अमेरिका में प्रस्तुत किया था। प्रस्तुति के दौरान एक अमरीकी वैज्ञानिक ने कहा कि ’ अजय यदि आप न्यूटन की खामी को प्रयोगो द्वारा सिद्ध कर देते है तो भारत नोबोल प्राईज का हकदार होगा। अपनी रिपोर्ट 22 अगस्त 2018 को अमेरिकन एसोसियेसन आफ फिजिक्स टीचरज के प्रैजीडैंट प्रो0 गौरडन रामसे ने लिखा है कि नियम में वस्तु का आकार प्रयोगो द्वारा समझा जाना चाहिए।
इंडियन सांइस कांग्रेस, भारतीय विज्ञान अकादमी की शोध पत्रिका ’ करंट सांइस’’ के सम्पादक, अन्र्तराष्ट्रीय रिसर्च जरनल फाऊडेसन आफ फिजिक्स’ के प्रमुख सम्पादक फ्रांस के प्रोफैसर कारलो रोबैली ने प्रयोग करने की सलाह ही है।
प्रयोगो की ताजा स्थिति
केन्द्रीय साइंस एंड टैक्नोलाजी डा0 हर्षवर्धन ने अजय के प्रार्थना पर कारवाई करते हुए डाक्यूमैट्स सी0एस0आई0आर0 नई दिल्ली के डायरैक्टर जनरल को भेजे है । अजय शर्मा कहते ये प्रयोग छः महीनो में किये जा सकते हैं, इन पर 10-12 लाख रुपये खर्च होगें।
अजय शर्मा 9418450899 Email ajoy.plus@gmail.com

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