
ये सादगी छोड़ सजावट पर उतर आए।
ऐ दोस्त! इंसानियत कहाँ से बचेगी अब,
स्वार्थ में इंसान गिरावट पर उतर आए।
अब वचन छोड़ लिखावट पर उतर आए,
बस बड़े होने की दिखावट पर उतर आए।
पैसा ही सब कुछ हो गया सभी के लिए,
जमीर दफनाकर बिकावट पर उतर आए।
अपनों से ही आज बगावत पर उतर आए,
रुतबा दिखाने को सब दावत पर उतर आए।
रिश्तों के अहमियत की बात ही ना करो अब,
सबसे बड़ा रुपया इस कहावत पर उतर आए।
देखो बात बात पर कड़वाहट पर उतर आए,
कहा तो बेशर्मी की मुस्कुराहट पर उतर आए।
"सुलक्षणा" मत जाया कर किसी के घर पर,
वो दिन गए जब एक आहट पर उतर आए।
0 Comments