धनेश विद्यार्थी, रेवाड़ी।
1971 भारत-पाक युद्ध के महानायक ले. जनरल सगत सिंह को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ सम्मान प्रदान किया जाए। रेजांगला शौर्य समिति के संरक्षक कर्नल रणबीर सिंह यादव व महासचिव एडवोकेट नरेश चैहान ने समिति की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रेषित ज्ञापन में यह मांग उठाते हुए जनरल सगत सिंह की जयंती शताब्दी वर्ष राजकीय सम्मान से देशभर में मनाए जाने का पुरजोर आग्रह किया।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि जिस प्रकार इस वर्ष के प्रारंभ में हुई बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता पर सरकार ने इस ऑपरेशन का यशोगान करके न केवल भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाया, बल्कि देश के जनमानस में राष्ट्रवाद के मंत्र का भी संचार किया। दुर्भाग्य से 1971 की लड़ाई में जनरल सगत सिंह द्वारा ऐतिहासिक मेघना हेली ब्रिज ऑपरेशन की सर्जिकल स्ट्राइक का सरकार द्वारा आज तक भरपूर यशोगान नहीं किया गया है। जनरल सगत सिंह ने आर्मी कमांडर होते हुए मौके की नाजगत को भांप कर आई कमान के आदेशों की परवाह किए बिना स्वयं इस जोखिम भरे ऑपरेशन का नेतृत्व किया। हेलीकॉप्टर से पहले खुद मेघना नदी को पार किया और अपने उत्कृष्ट कौशल, नेतृत्व, अदम्य साहस और बहादुरी का परिचय देते हुए पाकिस्तान को चीरकर बंग्ला देश का जन्म कराया। अपने किसी भी जवान को खरोंच आए बिना दुश्मन की एक लगभग एक लाख फौज को हथियारों सहित आत्मसर्पण कराना दुनिया के सैन्य इतिहास में एक मिसाल है।
14 जुलाई 1919 को राजस्थान में जन्मे सगत सिंह 1938 में बीकानेर-रिसाला में नायक के पद पर भर्ती होकर अपनी उत्कृष्ट सेवाओं से भारतीय सेना के ले. जनरल पद तक पहुंचे और एक महानायक के रूप में नवंबर 1974 में सेना से सेवानिवृत हो गए। 26 सितंबर 2001 को उनका निधन हुआ। बड़ी खुशी की बात है कि भारतीय सेना की दक्षिणी-पश्चिमी कमान 8 जुलाई से 14 जुलाई तक सप्ताहभर जनरल सगत सिंह जयंती शताब्दी वर्ष के अनेक कार्यक्रम आयोजित करवा रही है। भारत सरकार राष्ट्रवाद को देश के नागरिकों में कूट-कूट कर भरने के लिए सेना के इस महानायक की बहादुरी और उपलब्धियों को देखते हुए इन्हें ‘भारत रत्न’ से अलंकृत कर देशभर में इनकी जयंती धूमधाम से मनवाए।
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