Ajay Kumar Vidyarthi:Bharatpur:
पर्यटन एवं देवस्थान मंत्री श्री विश्वेन्द्र सिंह ने इस विभाग का कार्यभार सम्भालने के बाद पहली बार भरतपुर आने पर आश्वासन दिया था कि जिले को विश्व पर्यटन के मानचित्र में उचित स्थान दिलाया जायेगा ताकि ऐतिहासिक धरोहरों की बेहतर सार- सम्भाल हो, नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास का ज्ञान हो तथा स्थानीय युवाओं को पर्यटन के माध्यम से रोजगार दिया जा सके।
पर्यटन एवं देवस्थान मंत्री अपने वादे पर पूर्णतया खरे उतरे हैं तथा इतनी कम अवधि में जिले में पर्यटन विकास की दृष्टि से बडे कदम उठाये गये हैं। राज्य सरकार ने डीग में साढे 5 करोड रूपये तथा कुम्हेर में 2.5 करोड़ रूपये की लागत से ऐतिहासिक धरोहरों की सार सम्भाल के कार्य करवाने का निर्णय लिया है तथा बजट जारी कर दिया गया है।
कुम्हेर के पैंघोर में स्थित चामुण्डा माता मंदिर व आसपास पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए 2 करोड़ रूपये तथा भरतपुर शहर में लोहागढ़ किले में लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम के लिए ढाई करोड़ रूपये की वित्तीय स्वीकृति जारी की गयी है। चामुण्डा माता मन्दिर व आसपास 4 करेाड रूपये के विकास कार्य होंगे। इनमें से चालू वित्तीय वर्ष में 2 करोड रूपये की स्वीकृति मिली है।
श्री विश्वेन्द्र सिंह ने बताया कि पैंघोर में कुम्हेर-सौंख, पूंछरी-गोवर्धन और मथुरा-वृंदावन मार्गों पर प्रवेश द्वारों के निर्माण के लिए 66 लाख रूपये, चामुण्डा माता मंदिर के गुम्बद निर्माण के लिए 72 लाख रूपये, चामुण्डा माता मन्दिर की 1.3 किमी. लम्बी चार दीवारी निर्माण के लिए 75 लाख रूपये, चारदीवारी के भीतर परिक्रमा पथ निर्माण के लिए 58 लाख रूपये, 3 यात्रिका (धर्माशाला जैसी) के निर्माण के लिए 62 लाख रूपये, श्रृद्धालुओं की सुविधा हेतु 3 स्थानों पर टाॅयलेट निर्माण के लिए 18 लाख रूपये, 50-60 बैंचों के निर्माण के लिए 7 लाख रूपये, पार्किंग व्यवस्था के लिए 7 लाख रूपये, श्रृद्धालुओं के पीने के पानी की व्यवस्था के लिए डीप बोर और टंकी निर्माण के लिए 16 लाख रूपये तथा 40 गुना 40 फीट के स्टेज एवं ग्रीन रूम निर्माण के लिए 18 लाख रूपये व्यय होंगे।
श्री विश्वेन्द्र सिंह ने बताया कि डीग के लक्ष्मण मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य के लिए 30 लाख रूपये, डीग शहर में भरतपुर मार्ग, अलवर-नगर मार्ग, गोवर्धन मार्ग व कांमा मार्ग पर प्रवेश द्वार निर्माण के लिए 1 करोड़ रूपये, डीग किले में मोटवाल कार्य पर 1 करोड़ रूपये व्यय होंगे। मोटवाल कार्य में खाई की दीवार का निर्माण व 3 फीट ऊंचे लोहे के ग्रिल का निर्माण कार्य शामिल है। 50 लाख रूपये की लागत से डीग महल के चारों ओर सौंदर्यकरण होगा। इसमें सड़क के साथ इन्टरलाॅकिंग टाईल लगाकर फुटपाथ का निर्माण करवाया जाना प्रस्तावित है। इसके साथ ही पर्यटको ंतथा श्रृद्धालुओं के लिए रात्रि में विद्युत व्यवस्था भी प्रस्तावित है जिससे यह स्थल रात में जगमग रहेगा। यहांॅं एक तरफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा दीवार का निर्माण कर ग्रिल लगाई हुई है। अब दूसरी तरफ की दीवार पर पेंट कर सौंदर्यकरण किया जाना प्रस्तावित है।
1 करोड़ 20 लाख रूपये की लागत सेे रूपसागर कुण्ड का जीर्णोंद्धार एवं सौंदर्यकरण कार्य होगा। इसमें बुर्जों, चारदीवारी तथा घाटों की मरम्मत का कार्य , छतरी का निर्माण कार्य, कुण्ड के पानी की सफाई के लिए जेट फव्वारों का निर्माण कार्य, घाट पर पर्यटकों के बैठने हेतु पत्थर की बैंचों का निर्माण , शौचालय, कैफेटेरिया, डस्टबिन आदि का निर्माण कार्य, प्रवेश द्वार व पार्किंग का निर्माण व कुण्ड के चारों ओर लाइटिंग का कार्य शामिल है।
उन्होंने बताया कि ढेड करोड रूपये की लागत से जवाहर प्रदर्शनी मेला मैदान के विकास कार्य होंगे। महाराजा जवाहर सिंह जी ने प्राचीन समय में पशु मेला को संरक्षण देने तथा विकसित करने के लिए जवाहर प्रदर्शनी मेला मैदान का निर्माण करवाया था। उन्होंने दूरदर्शिता दिखाते हुये उस समय मेला भूमि को आरक्षित किया जो आज भी शहर के मध्य में स्थित है। इस मेला मैदान में श्रावण एवं भाद्रपद मास में 15 दिवस का जवाहर प्रर्दशनी मेला आयोजित किया जाता है। इन्हीं महीनों ब्रज 84 कोस परिक्रमा तथा वनयात्रा में सम्मिलित होने यात्री इस स्थान पर आते हैं। इस मेला मैदान में विकास कार्यों की अति आवश्यकता है जो कि यात्रियों को सुविधा उपलब्ध करा सकें। अब ढेड करोड रूपये की लागत से मेला मैदान की चार दीवारी का मरम्मत कार्य एवं प्रवेश द्वार का निर्माण, मेला मैदान के पास फव्वारे वाले सर्किल का सौन्दर्यकरण, मेला मैदान के गांधी नेहरू पार्क में मंच का विकास कार्य तथा कलाकारों हेतु ग्रीन रूम का निर्माण, मेला मैदान में लाइटिंग का कार्य, फुटपाथ का निर्माण, पार्किंग की व्यवस्था, टाॅयलेट का निर्माण, गाॅधी पार्क के पास हाट बाजार हेतु लगभग 25 दुकानों का जीर्णोंद्वार, पार्कों का विकास कार्य एवं इन्टरलाॅकिंग के कार्य करवाये जायेंगे।
कुम्हेर किले के विकास हेतु 2 करोड़ 50 लाख रूपये स्वीकृत हुये हैं। इस राशि से किले में संरक्षण तथा जीर्णोंद्वार कार्य, किले के चारों ओर लेन्ड स्केपिंग का कार्य, वृक्षारोपण के साथ गार्डन को विकसित करना, पर्यटन सुविधाओं का विकास , राजकीय विद्यालय में से महल तक के मार्ग का निर्माण , मुख्य सड़क से महल तक लाइटिंग की व्यवस्था, महल के पास पर्यटकों को बैठने हेतु बैंचों का निर्माण, पक्का तालाब का जीर्णोद्वार एवं फव्वारों का संचालन करना, प्राचीन तोप प्रदर्शन स्थल का निर्माण और पर्यटकांे के लिये पेयजल आदि की व्यवस्था शामिल है।
पर्यटन एवं देवस्थान मंत्री श्री विश्वेन्द्र सिंह ने इस विभाग का कार्यभार सम्भालने के बाद पहली बार भरतपुर आने पर आश्वासन दिया था कि जिले को विश्व पर्यटन के मानचित्र में उचित स्थान दिलाया जायेगा ताकि ऐतिहासिक धरोहरों की बेहतर सार- सम्भाल हो, नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास का ज्ञान हो तथा स्थानीय युवाओं को पर्यटन के माध्यम से रोजगार दिया जा सके।
पर्यटन एवं देवस्थान मंत्री अपने वादे पर पूर्णतया खरे उतरे हैं तथा इतनी कम अवधि में जिले में पर्यटन विकास की दृष्टि से बडे कदम उठाये गये हैं। राज्य सरकार ने डीग में साढे 5 करोड रूपये तथा कुम्हेर में 2.5 करोड़ रूपये की लागत से ऐतिहासिक धरोहरों की सार सम्भाल के कार्य करवाने का निर्णय लिया है तथा बजट जारी कर दिया गया है।
कुम्हेर के पैंघोर में स्थित चामुण्डा माता मंदिर व आसपास पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए 2 करोड़ रूपये तथा भरतपुर शहर में लोहागढ़ किले में लाइट एण्ड साउण्ड सिस्टम के लिए ढाई करोड़ रूपये की वित्तीय स्वीकृति जारी की गयी है। चामुण्डा माता मन्दिर व आसपास 4 करेाड रूपये के विकास कार्य होंगे। इनमें से चालू वित्तीय वर्ष में 2 करोड रूपये की स्वीकृति मिली है।
श्री विश्वेन्द्र सिंह ने बताया कि पैंघोर में कुम्हेर-सौंख, पूंछरी-गोवर्धन और मथुरा-वृंदावन मार्गों पर प्रवेश द्वारों के निर्माण के लिए 66 लाख रूपये, चामुण्डा माता मंदिर के गुम्बद निर्माण के लिए 72 लाख रूपये, चामुण्डा माता मन्दिर की 1.3 किमी. लम्बी चार दीवारी निर्माण के लिए 75 लाख रूपये, चारदीवारी के भीतर परिक्रमा पथ निर्माण के लिए 58 लाख रूपये, 3 यात्रिका (धर्माशाला जैसी) के निर्माण के लिए 62 लाख रूपये, श्रृद्धालुओं की सुविधा हेतु 3 स्थानों पर टाॅयलेट निर्माण के लिए 18 लाख रूपये, 50-60 बैंचों के निर्माण के लिए 7 लाख रूपये, पार्किंग व्यवस्था के लिए 7 लाख रूपये, श्रृद्धालुओं के पीने के पानी की व्यवस्था के लिए डीप बोर और टंकी निर्माण के लिए 16 लाख रूपये तथा 40 गुना 40 फीट के स्टेज एवं ग्रीन रूम निर्माण के लिए 18 लाख रूपये व्यय होंगे।
श्री विश्वेन्द्र सिंह ने बताया कि डीग के लक्ष्मण मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य के लिए 30 लाख रूपये, डीग शहर में भरतपुर मार्ग, अलवर-नगर मार्ग, गोवर्धन मार्ग व कांमा मार्ग पर प्रवेश द्वार निर्माण के लिए 1 करोड़ रूपये, डीग किले में मोटवाल कार्य पर 1 करोड़ रूपये व्यय होंगे। मोटवाल कार्य में खाई की दीवार का निर्माण व 3 फीट ऊंचे लोहे के ग्रिल का निर्माण कार्य शामिल है। 50 लाख रूपये की लागत से डीग महल के चारों ओर सौंदर्यकरण होगा। इसमें सड़क के साथ इन्टरलाॅकिंग टाईल लगाकर फुटपाथ का निर्माण करवाया जाना प्रस्तावित है। इसके साथ ही पर्यटको ंतथा श्रृद्धालुओं के लिए रात्रि में विद्युत व्यवस्था भी प्रस्तावित है जिससे यह स्थल रात में जगमग रहेगा। यहांॅं एक तरफ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा दीवार का निर्माण कर ग्रिल लगाई हुई है। अब दूसरी तरफ की दीवार पर पेंट कर सौंदर्यकरण किया जाना प्रस्तावित है।
1 करोड़ 20 लाख रूपये की लागत सेे रूपसागर कुण्ड का जीर्णोंद्धार एवं सौंदर्यकरण कार्य होगा। इसमें बुर्जों, चारदीवारी तथा घाटों की मरम्मत का कार्य , छतरी का निर्माण कार्य, कुण्ड के पानी की सफाई के लिए जेट फव्वारों का निर्माण कार्य, घाट पर पर्यटकों के बैठने हेतु पत्थर की बैंचों का निर्माण , शौचालय, कैफेटेरिया, डस्टबिन आदि का निर्माण कार्य, प्रवेश द्वार व पार्किंग का निर्माण व कुण्ड के चारों ओर लाइटिंग का कार्य शामिल है।
उन्होंने बताया कि ढेड करोड रूपये की लागत से जवाहर प्रदर्शनी मेला मैदान के विकास कार्य होंगे। महाराजा जवाहर सिंह जी ने प्राचीन समय में पशु मेला को संरक्षण देने तथा विकसित करने के लिए जवाहर प्रदर्शनी मेला मैदान का निर्माण करवाया था। उन्होंने दूरदर्शिता दिखाते हुये उस समय मेला भूमि को आरक्षित किया जो आज भी शहर के मध्य में स्थित है। इस मेला मैदान में श्रावण एवं भाद्रपद मास में 15 दिवस का जवाहर प्रर्दशनी मेला आयोजित किया जाता है। इन्हीं महीनों ब्रज 84 कोस परिक्रमा तथा वनयात्रा में सम्मिलित होने यात्री इस स्थान पर आते हैं। इस मेला मैदान में विकास कार्यों की अति आवश्यकता है जो कि यात्रियों को सुविधा उपलब्ध करा सकें। अब ढेड करोड रूपये की लागत से मेला मैदान की चार दीवारी का मरम्मत कार्य एवं प्रवेश द्वार का निर्माण, मेला मैदान के पास फव्वारे वाले सर्किल का सौन्दर्यकरण, मेला मैदान के गांधी नेहरू पार्क में मंच का विकास कार्य तथा कलाकारों हेतु ग्रीन रूम का निर्माण, मेला मैदान में लाइटिंग का कार्य, फुटपाथ का निर्माण, पार्किंग की व्यवस्था, टाॅयलेट का निर्माण, गाॅधी पार्क के पास हाट बाजार हेतु लगभग 25 दुकानों का जीर्णोंद्वार, पार्कों का विकास कार्य एवं इन्टरलाॅकिंग के कार्य करवाये जायेंगे।
कुम्हेर किले के विकास हेतु 2 करोड़ 50 लाख रूपये स्वीकृत हुये हैं। इस राशि से किले में संरक्षण तथा जीर्णोंद्वार कार्य, किले के चारों ओर लेन्ड स्केपिंग का कार्य, वृक्षारोपण के साथ गार्डन को विकसित करना, पर्यटन सुविधाओं का विकास , राजकीय विद्यालय में से महल तक के मार्ग का निर्माण , मुख्य सड़क से महल तक लाइटिंग की व्यवस्था, महल के पास पर्यटकों को बैठने हेतु बैंचों का निर्माण, पक्का तालाब का जीर्णोद्वार एवं फव्वारों का संचालन करना, प्राचीन तोप प्रदर्शन स्थल का निर्माण और पर्यटकांे के लिये पेयजल आदि की व्यवस्था शामिल है।
0 Comments