छुप छुप के अक्सर हम मिला करते थे:डॉ सुलक्षणा

उसने ख्वाबों में आना भी छोड़ दिया,
देखकर मुझे मुस्कुराना भी छोड़ दिया।

ना जाने क्या खता हुई मुझ नादान से,
उसने इश्क में तड़पाना भी छोड़ दिया।

प्यार भरे वो दिन सुहाने अब हवा हुए,
रोती आँखों को हँसाना भी छोड़ दिया।

छुप छुप के अक्सर हम मिला करते थे,
अब उसने नजरें मिलाना भी छोड़ दिया।

उसके संग गुजारे कुछ लम्हें जिंदगी के,
यादों को दिल से मिटाना भी छोड़ दिया।

उसी से थी जिंदगी में वो खुशियों की बहार,
बस यूँ सुनहरे सपने सजाना भी छोड़ दिया।

कभी गाये थे प्यार भरे तराने एक दूजे के संग,
पर "सुलक्षणा" अब गुनगुनाना भी छोड़ दिया।

डॉ सुलक्षणा

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