सच्चा प्यार आजकल कोई किसी से नहीं करता है:डॉ सुलक्षणा

देखो प्यार मोहब्बत की बातें आज किताबी हो गयी,
कल तक मृग जैसी आँखे थी आज शराबी हो गयी।

प्यार, प्यार ना रह कर वासना का खेल बन गया है,
ऐ दोस्त! प्यार के जज्बातों में भी खराबी हो गयी।

सच्चा प्यार आजकल कोई किसी से नहीं करता है,
दौर ऐ वासना में प्यार इच्छा पूर्ति की चाबी हो गयी।

समय के साथ साथ हर चीज बदल गयी प्यार में,
कल की मुरगाई सी चाल भी चाल नवाबी हो गयी।

प्यार में हर कोई झूठे वादे करता है अब रिझाने को,
पूछो तो हर किसी के पास हाजिर जवाबी हो गयी।

भूल जाओ किस्से हीर राँझा और लैला मजनू के,
 "सुलक्षणा" ये सब बातें आजकल ख्वाबी हो गयी।

डॉ सुलक्षणा

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