कोसली विधायक की एक इच्छा की वजह से पटवार भवन बना कबाड़ घर

धनेश विद्यार्थी, कोसली, रेवाड़ी।
कोसली विधायक ने गांव में साल 2007 में जहां लोगों को घर-द्वार पर सुविधा देने के लिए लाखों रूपए की लागत से पटवार भवन बनाया गया था मगर अधिकारियों की लापरवाही के चलते यह कबाड़ घर बनकर रह गया, वहीं विधायक के गांव में ही स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाया जा रहा है।
कोसली उपमंडल में पूर्व कांग्रेस सरकार ने लोगों को उनके घर-द्वार पर पटवारी से संबंधित कार्य के लिए तहसील मुख्यालय के चक्कर ना लगाने पड़े गांवों में ही पटवार घर बनाने का निर्णय लिया था। जिसमें गांव शहादत्तनगर में भी पटवार घर का निर्माण हुआ और वहां वर्ष 2007मे पटवार घर विधिवत रूप से चालू कर दिया गया तथा लोगों को गांव में ही तहसील सम्बधितं सुविधाएं मिलने लगी । मगर वर्ष 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद में पहले पटवारियों को इन पटवार घरों से तहसील मुख्यालय पर कुछ घन्टे के लिए बुलवाया जाने लगा।
बाद में ग्रामीण क्षेत्र में विधायक के गांव शहादत्त नगर से पटवारी को स्थाई रूप से कोसली तहसील में बैठने के मौखिक आदेश दे दिए गए जिसके कारण बच्चोको रिहायशी वह जाति  प्रमाण-पत्र  बनवाने के तहसील मुख्यालय जाना पड़ता  है, जिससे उनका बार बार चक्वकर लगाने पर पैसा खर्च करना पड़ रहा है वही समय कि भी बर्बादी हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यहांतैनात पटवारी अपनी सुविधा के अनुसार तहसील में बैठते हैं, जिसकी शिकायत करने के बावजूद प्रशासन ने भी इस समस्या के समाधान की ओर ध्यान दिया।
ऐसी स्थिति में केवल विधायक की इच्छा की वजह से लाखों रूपए की लागत से बना पटवार घर, कूड़ा घर बनकर रह गया। ग्रामीण पवन ने कहा कि विधायक के गांव के लोगों के लिए उनके घर द्वार पर दी गई सुविधा को छीन लिया गया। आशा देवी ने कहा कि सरकार ने लोगों को सुविधा देना तो दूर सुविधा छीननेका काम किया है। इस समस्या को लेकर तहसीलदार विजय कुमार ने कहा कि वे कुछ दिन पहलेस्थानांतरित होकर आए हैं। उन्हें इस विषय की जानकारी नहीं। जानकारी लेकर ही कुछ बता पाउंगा।
फोटो: पटवार भवन।
फोटो: पवन।
फोटो: आशा। 

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