अब न्यायालय का द्वार पर खटखटाएंगे रिजर्व सैनिक

धनेश विद्यार्थी, रेवाड़ी।
लम्बे समय से वन रैंक वन पेंशन के लाभ की बाट जो रहे रिजर्व  सैनिक अब अपने हक की लड़ाई के लिए न्यायालय के द्वार खटखटाएंगे ।
अखिल भारतीय रिजर्व सैनिक कल्याण संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष होशियार सिंह यादव ने बताया कि वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री के उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद रेवाड़ी में आयोजित पहली सैनिक रैली में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि यदि केंद्र में उनकी सरकार बनती है तो वह भूतपूर्व सैनिकों की चिर लंबित मांग वन रैंक वन पेंशन पूरा करेंगे। उन्होंने चुनाव जीतने के बाद इसे लागू भी किया, मगर इसमें अज्ञात कारणों से रिजर्व सैनिकों को छोड़ दिया गया।
इस संदर्भ में संबंधित उच्च अधिकारियों को बार-बार लिखित एवं मौखिक आग्रह कर सूचित किया गया कि एक ओर रिजर्व सैनिकों ने जहां 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1965 व 1971 के भारत-पाक युद्धों में भाग लेकर अदम्य साहस एवं वीरता का परिचय दिया था, वही 1974 में उन्हें जबरदस्ती रिजर्व भेजे जाने के बावजूद सन 1986, 1996 तथा 2006 के वेतन आयोग ने भी रिजर्व सैनिकों केसिपाहियों को भूतपूर्व सैनिक सिपाही के समकक्ष माना है, किंतु वन रैंक वन पेंशन योजना को लागू करते वक्त अज्ञात कारणों से रिजर्व सैनिकों को नजरअंदाज किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
यादव ने बताया कि रिजर्व सैनिक जिला सैनिक बोर्ड से लेकर रक्षा मंत्रालय तक सभी संबंधित अधिकारियों को लिखित रूप में अपना प्रतिवेदन भेज चुके हैं,जिसमें अभी तक बात आश्वासनों से आगे नहीं बढ़ी है। अब संबंधित रिजर्व सैनिकों ने अपने आंखों की लड़ाई के लिए न्यायालय जाने का निर्णय लिया है। 

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