फोटो: बावल में धू-धूकर जलता रावण का पुतला।
धनेश विद्य़ार्थी, रेवाड़ी। मंगलवार को देर शाम जिला भर विभिन्न जगहों और अधिकांश कस्बों में रामलीला कमेटियों की ओर से रावण दहन की परम्परा निभाई गई। जिला मुख्यालय के अलावा बावल, कोसली, धारूहेड़ा और बड़े गांवों में भी रामलीला कमेटियों ने रावण के संग कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतले अग्नि के हवाले किए। इस मौके पर रामलीला कमेटियों ने मनोहारी झांकियां निकाली और बरसों से चली आ रही रावण दहन की परम्परा का निर्वाह किया।
जिला मुख्यालय पर सचिवालय और कोर्ट परिसर के समीप हुडडा मैदान में रावण दहन पर जिला भर से हजारों लोग पहुंचे। इस मौके पर पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अग्निशमन और स्वास्थ्य विभाग की एम्बुलेंस की तैनाती की हुई थी। रेलवे कालोनी के अलावा शहर में कुछ अन्य जगहों पर भी रावण के छोटे पुतलों के दहन की सूचनाएं मिली हैं। इसके साथ ही रामलीला मंचन का सिलसिला भी अब कल और परसो तक श्रीराम के राजतिलक के प्रसंग के साथ समापन की ओर अग्रसर है।
उधर कस्बा बावल के कटला बाजार में 10 दिवसीय रामलीला के मंचन के बाद मंगलवार को राम-रावण की सेनाओं में महायुद्ध हुआ। दोनों सेनाएं बावल के मुख्य बाजारों से गुजरती हुई सब्जी मंडी मैदान में पहुंची और वहां रावण दहन की परम्परा निभाई गई। इस मौके पर बावल पुलिस के अलावा अग्निशमन वाहन और एम्बुलेंस मौजूद रही। कटला बाजार की रामलीला के निदेशक गोपीनाथ पूनिया ने रामलीला की सारी व्यवस्था पूर्ण कराई। इस मंचन में श्रीराम की भूमिका मुकेश सोनी, लक्ष्मण-दीपक सोनी, सीता सहीराम, हनुमान सुरेश शर्मा व रावण की भूमिका शेर सिंह , अहिरावण भूपेंद्र महलावत, मेघनाथ कुलदीप, कुम्भकर्ण-रोहताश व सुलोचना की भूमिका विरेंद्र सैन ने निभाई।
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