एक मुद्दत बाद सुकून भरी नींद,
इन आँखों को आज नसीब हुई।।
रब से भी हँसीं सूरत तेरी,
इन आँखों को आज नसीब हुई।।।
अरसे बाद एक ताज़ा मुस्कुराहट,
इस चेहरे को आज नसीब हुई।।
चाहे सपने में ही सही पर तेरी झलक,
इन आँखों को आज नसीब हुई।।।
कोशिश तुझे देख पाने की मुमकिन नहीं,
पर ख्वाब के सहारे आज नसीब हुई।।
आवाज़ तेरी सुन पाना चाहे मुमकिन नहीं,
पर एहसासों के सहारे आज नसीब हुई।।।
सुने जो ख़ुदा मांगू केवल एक दुआ,
हकीकत नहीं एक झूठा ख्वाब ही तेरा दे दे।।
तेरी वो महक तेरी वो चहक तेरी आवाज़,
ख्वाब के सहारे ही आज नसीब हुई।।।
खूब ही कहा है किसी दीवाने ने,
जिसे सोच कर आँखें मूंदो ख्वाब में वही आएगा।।
अज़ीब मुरीद हूँ मैं भी तेरा ऐ ज़िन्दगी,
ख्व़ाब में भी तेरी ही तस्वीर मुझे आज नसीब हुई।।।
मुद्दत बाद सुकून भरी नींद,
इन आँखों को आज नसीब हुई।।।
युवाकवि अरमान राज़,
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