मुंबई :टीम अजेयभारत : यासेर उस्मान की किताब "रेखा दा अनटोल्ड स्टोरी" में उनके जीवन के कुछ अनकहे राज खोले है इसमें उनकी शादी का भी किस्सा है। बुक में बताया गया है कि क्यों रेखा ने हसबैंड मुकेश अग्रवाल से दूरी बनाई, क्यों वे पति से शादी के तीन महीने बाद ही बोर हो गईं थीं क्यों उनकी शादी सालभर भी नहीं चल पाई और शादी के 7 महीने बाद ही मुकेश ने मौत को गले लगा लिया था।
इस किताब के मुताबिक 4 मार्च, 1990 की दोपहर (पहली मुलाकात के ठीक एक महीने बाद) मुकेश अग्रवाल सुरिंदर कौर (रेखा की फ्रेंड) के साथ रेखा के घर पहुंचे और शादी के लिए प्रपोज कर दिया...
रेखा मुकेश का एक्साइटमेंट देखकर अवाक थीं। खास बात यह थी कि दोनों की फैमिली मुंबई में नहीं थीं। बावजूद इसके उन्होंने शादी का फैसला कर लिया।शाम को रेखा ने लाल रंग की कांजीवरम साड़ी पहनी और मुकेश के साथ शादी के लिए मुंबई के मुक्तेश्वर देवालय पहुंचीं। पास में ही एक इस्कॉन मंदिर भी है।
लेकिन भीड़ की वजह से वे वहां नहीं जा पाए। रात को जब मुकेश और रेखा मुक्तेश्वर देवालय पहुंचे, तब वहां के पुजारी संजय बोडस सो चुके थे।मुकेश ने उन्हें जगाया और कहा कि वे शादी करना चाहते हैं। संजय रेखा को देखकर सकते में थे। क्योंकि वे उन सेलिब्रिटीज में से थीं, जो उस मंदिर में दर्शन के लिए अक्सर जाया करती थीं।
रात में 10.30 बजे शादी के मंत्र पढ़े गए। उस वक्त मुकेश की उम्र 37 और रेखा की उम्र 35 साल थी।शादी के बाद मुकेश ने रेखा को कहा कि उन्हें कुछ फिल्मस्टार फ्रेंड्स के पास जाकर खुशखबरी देनी चाहिए। लेकिन रेखा को आइडिया पसंद नहीं आया। उन्होंने अकबर खान, संजय खान और हेमा मालिनी के घर जाने की इच्छा जाहिर की। फ्रेंड सुरिंदर कौर को लेकर वे हेमा और धर्मेंद्र के घर पहुंच गए। इस दौरान हेमा ने उन्हें गौर से देखा और कहा- 'अब यह मत कहना कि तुमने इस आदमी से शादी की है।' रेखा ने जवाब दिया- 'बिल्कुल मैंने ऐसा ही किया है।' बाद में हेमा ने पूछा-'क्या वह बहुत अमीर है?' लेकिन रेखा ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।
शादी के 24 घंटे बाद ही रेखा और मुकेश हनीमून के लिए लंदन रवाना हो गए। शुरुआती दिन अच्छे बीते। क्योंकि मुकेश और रेखा पहली बार एक-दूसरे के साथ वक्त बिता रहे थे। लेकिन सप्ताहभर के अंदर रेखा को महसूस हुआ कि वे और मुकेश एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। रेखा को इस बात की हैरानी भी थी कि मुकेश एक दिन में कई दवाइयां लेते थे।
फिर भी रेखा ने सोचा कि अब तो उन्हें जीवनभर साथ रहना है, इसलिए ऐसी बातों को नजरअंदाज करना होगा। वे अपने आप से बात करते हुए कहती थीं, "मुझे इसको सफल बनाना है। क्या रेखा कुछ चाहे तो कर नहीं सकती?" दोनों लंदन में एक सप्ताह से ज्यादा रहे। रेखा देख सकती थीं कि कुछ तो है, जो मुकेश को परेशान कर रहा है। फिर एक दिन मुकेश ने उदास मन से रेखा की आंखों में देखा और कहा, "मेरी जिंदगी में भी एक AB है।"
मुकेश ने रेखा से जिस AB की बात की थी, वह उनकी साइकोथेरेपिस्ट आकाश बजाज थी, जो 10 साल से उनका ट्रीटमेंट कर रही थी। आकाश डिवोर्सी और दो बेटियों मोनिशा और अंजलि की मां थीं। यासेर उस्मान की बुक के मुताबिक, आकाश मुकेश के करीब आ गई थीं। मुकेश आकाश और उनकी बेटियों के साथ अक्सर हॉलिडे पर जाती थीं। इस दौरान वे किसी हैप्पी फैमिली से कम नहीं लगते थे। लेकिन रेखा से शादी के लिए मुकेश ने आकाश से 9 साल पुराने रिलेशनशिप को ताक पर रख दिया।
उन्होंने डिसीजन लेने से आकाश को एक बार भी नहीं बताया। बकौल आकाश, "मुकेश ने मुझे शादी के लिए प्रपोज किया था। लेकिन मैं अपने बेटियों के साथ उनपर बोझ नहीं बनना चाहती थी। मैंने मुकेश को सलाह दी थी कि उन्हें शादी कर सेटल हो जाना चाहिए। लेकिन रेखा से उनकी शादी मेरे लिए किसी सरप्राइज से कम नहीं थी। मैंने सकते में थी और मुकेश की चिंता भी हो रही थी।"
यासेर उस्मान की बुक के मुताबिक, मुकेश और रेखा ने दूसरी शादी फेमस तिरुपति मंदिर में की। पूरे वैदिक रीतिरिवाजों से हुई इस शादी के दौरान रेखा की मां पुष्पावलि भी मौजूद थीं। लेकिन रेखा के लिए सबसे बड़ा सरप्राइज था, उनके पिता जेमिनी गणेशन का वहां होना। जेमिनी अपने फिल्मफेकर दोस्त राघवेन्द्र राव के साथ उन्हें आशीर्वाद देने पहुंचे थे। रेखा के लिए यह एक नई शुरुआत जैसा था।
1990 में शादी के बाद वर्ल्डवाइड फाइनेंशियल क्राइसिस के चलते मुकेश को बिजनेस में तगड़ा घाटा हुआ। लेकिन उन्होंने रेखा से यह बात छुपाए रखी। हालांकि, बाद में रेखा को पता चल गया। यहीं से उनकी मैरिड लाइफ में दरार आनी शुरू हो गई। शादी के दो महीने बाद रेखा ने दिल्ली जाना कम कर दिया। लंबे समय तक रेखा की गैरमौजूदगी को मुकेश बर्दाश्त नहीं कर सके। वे चाहते थे कि रेखा फिल्में छोड़कर उनके साथ रहें। लेकिन रेखा ने शादी के दौरान एग्रीमेंट में यह साफ कर दिया था कि वे प्रेग्नेंट होने के बाद ही फिल्में छोड़ेंगी।
जब मुकेश को लगा कि रेखा फिल्मों को नहीं छोड़ेंगी तो वे बिजनेस में हो रहे घाटे की परवाह किए बिना बॉम्बे में रेखा के साथ वक्त बिताने लगे। वे कभी रेखा के साथ फिल्म के सेट पर होते तो कभी पार्टियों में नजर आते। जान-पहचान वाले अक्सर बात करते- 'क्या यही है, जिससे रेखा ने शादी की।' मुकेश का यह बर्ताव रेखा के लिए शर्मिंदगी का कारण बनने लगा। लेकिन उन्हें इसका बिल्कुल भी अहसास नहीं था। इस दौरान कभी मुकेश ने रेखा को राजीव गांधी से मिलवाया तो कभी बिजनेस के सिलसिले में ग्वालियर जाकर माधवराव सिंधिया से मुलाकात कराने की इच्छा जताई। एक दिन रेखा ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें बिजनेस में इन्वॉल्व न किया जाए।
शादी के बाद तीन महीने का समय रेखा को डरावना लगा। उन्होंने कुछ वक्त निकाला और चीजों को समझने की कोशिश की। लेकिन जब उन्हें लगा कि सिचुएशन को समझ पाना मुश्किल है तो उन्होंने मुकेश और उनकी फैमिली से दूरी बनानी शुरू कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने मुकेश के फोन रिसीव करना भी बंद कर दिया। डिप्रेशन में चल रहे मुकेश के लिए यह एक झटके जैसा था। रेखा के साथ अपने रिश्ते में आ चुकी दरार को मुकेश बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। कहा जाता है कि अगस्त 1990 में उन्होंने नींद की गोलियों का ओवरडोज लेकर सुसाइड की कोशिश की। इस इंसिडेंट के बाद रेखा ने मुकेश को फोन किया और साफ कह दिया कि जब कोई शादी चल न रही हो तो हम क्या कर सकते हैं। रेखा ने कहा था, "मैं उस तरह की महिला बिल्कुल नहीं हूं, जो झूठ के साए में जीवन जीए। ऐसी शादी का क्या मतलब, जिसका कोई भविष्य ही न हो।"
यासेर उस्मान की बुक में इस बात का खुलासा भी किया गया है कि मुकेश ने कई बार सुसाइड की कोशिश की। मुकेश की फैमिली और फ्रेंड्स को उन्हें संभालना मुश्किल हो रहा था। मुकेश फ्रस्टेड और डिप्रेस्ड हो चुके थे। 10 सितंबर 1990 को उन्होंने रेखा को फोन किया और दोनों ने लंबी बात की। तलाक पर दोनों की सहमति बनी। 26 सितंबर 1990 को रेखा स्टेज शो के लिए अमेरिका रवाना हो गईं। 2 अक्टूबर 1990 को मुकेश ने अपने फार्महाउस बसेरा (छतरपुर, नई दिल्ली) में बेडरूम में जाकर रेखा के दुपट्टे से लटककर जान दे दी।
1990 में रेखा और जीतेन्द्र स्टारर फिल्म 'शेषनाग' रिलीज हुई। फिल्म की रिलीज के कुछ दिनों बाद ही मुकेश अग्रवाल की डेथ सुर्खियों में रही। इस दौरान लोगों ने 'शेषनाग' के पोस्टर्स में रेखा के चेहरे पर कालिख पोतनी शुरू कर दी। कुछ जगह पोस्टर्स पर गोबर भी फेंका गया। उनकी छवि को खराब करने की पूरी कोशिश की गई। मीडिया में मुकेश की सुसाइड स्टोरीज को आपत्तिजनक हेडलाइंस के साथ पेश करना शुरू किया। मसलन, शोटाइम मैगजीन के नवंबर 1990 के अंक में 'द ब्लैक विडो' टाइटल दिया गया तो वहीं, सिने ब्लिट्ज ने हेडलाइन दी, 'द मकैब्रे ट्रुथ बिहाइंड मुकेश सुसाइड'। गुस्साए दोस्त अनिल गुप्ता ने उस दौरान कहा था, "मेरा भाई रेखा से सच्चा प्यार करता था। उसके लिए प्यार करो या मरो वाला मामला था। रेखा जो उसके साथ कर रही थी, वह उसे नजरअंदाज नहीं कर सकता था। अब वह क्या चाहती है। क्या उसे हमारा पैसा चाहिए?" इसी तरह आकाश बजाज ने कहा था, "मैं मुकेश की डेथ पर नाराज हूं और मुझे उस शख्स पर भी गुस्सा है, जिसके कारण यह हुआ। मैं उससे पूछना चाहती हूं कि उसने ऐसा क्यों किया।"
मुकेश रेखा के बहुत बड़े फैन हुआ करते थे। 1990 में फैशन डिजाइनर दोस्त बीना रमानी ने रेखा को फोन कर बताया कि उनका एक क्रेजी फैन उनका नंबर मांग रहा है। लेकिन रेखा ने नंबर देने से इनकार कर दिया। यह फैन कोई और नहीं बल्कि मुकेश अग्रवाल ही थे। रेखा ने एक बार बताया था कि बीना ने मुकेश से उनकी पहली मुलाकात कराई थी। बिना के फोर्स डालने पर रेखा ने मुकेश को फोन किया था। पहली बातचीत फॉर्मल रही। धीरे-धीरे बातचीत का सिलसिला चल निकला। दोनों की पहली मुलाकात मुंबई में हुई थी। उनके रिलेशनशिप को जोड़ने में बीना रमानी और दिल्ली बेस्ड सुरिंदर कौर का अहम हाथ था।
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