परसों बेगम साहिबा का आईफोन रास्ते में कहीं गिर गया। कैनबरा में बसंत के तीन महीनों में से अक्टूबर व नवंबर महीने विशेषकर अक्टूबर महीना, तापमान की दृष्टि से बहुत ही अधिक ऊबड़ खाबड़ होते हैं। किसी दिन तापमान 25 डिग्री पार करेगा तो किसी दिन 12 भी न पहुंचेगा। सुबह का तापमान जीरो डिग्री होगा तो दोपहर के बाद 25 डिग्री पहुंचेगा।
सुबह ठंठ थी, बेगम साहिबा ने जैकेट पहना हुआ था। साइकिल चलाते हुए आफिस जाते समय रास्ते में महसूस हुआ कि जैकेट उतार देना चाहिए। उन्होंने जैकेट उतार दिया। इस प्रक्रिया में उनका आईफोन जैकेट की जेब से फिसल कर गिर गया, उनको पता नहीं चला।
आफिस पहुंच कर मालूम हुआ कि आईफोन तो कहीं गिर गया। आईफोन से अधिक महत्वपूर्ण फोन में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के सरकारी गैरसरकारी कामकाज व व्यक्तिगत जीवन से संबंधित आकड़े थे।
बेगम साहिबा के आफिस ने बेगम साहिबा के फोन पर काल करना शुरू किया। जब तक जमीन पर पड़ा रहा होगा तब तक किसी ने काल रिसीव नहीं की। कुछ समय बाद अचानक आफिस में उनके नंबर से काल आती है। बताया जाता है कि फोन जमीन पर पड़ा हुआ मिला है।
फोन पाने वाले नागरिक ने कहा कि नजदीकी पुलिस स्टेशन में फोन फलाने बजे दे दिया जाएगा। आफिस ने पुलिस स्टेशन को सूचित किया कि फलाने बजे फोन देने कोई आएगा।
जितने बजे का समय दिया गया था, उतने बजे फोन किसी कारण वश पुलिस स्टेशन नहीं पहुंच पाया तो पुलिस अधिकारी फोन करके आफिस को सूचना देता है कि अभी तक फोन नहीं आया है।
बाद में मालूम पड़ा कि फोन पुलिस स्टेशन में पहुंचने में लगभग पंद्रह बीस मिनट की देरी हो गई थी। समय की पंचुआलिटी व प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण तत्व हैं यहां के समाज के।
पुलिस ने फोन वापस करने वाले नागरिक का धन्यवाद दिया, सम्मान पूर्वक व्यवहार किया, क्योंकि उस नागरिक ने अपना समय, ऊर्जा व संसाधन इत्यादि से सहयोग किया। यह कैनबरा पुलिस का सामान्य सदाचार है। लोगों की सेवा के लिए वास्तव में तत्पर, यही कारण है कि यहां बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर सेवा में तत्पर रहने के दावे करने की कतई जरूरत नहीं पड़ती।
नागरिक द्वारा पुलिस स्टेशन में फोन देने व दूसरे नागरिक द्वारा पुलिस स्टेशन से फोन लेने की प्रक्रिया में कागजी लिखापढ़ी का कोई तामझाम नहीं, किसी के साथ कोई परेशानी नहीं। यहां आम नागरिकों के लिए पुलिस डरावनी वस्तु नहीं, न ही पुलिस को आम नागरिक को परेशान करने या डराने में सक्षम अधिकार ही हैं।
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ऐसा नहीं है कि चूंकि बेगम साहिबा ऑस्ट्रेलिया केंद्र सरकार में अधिकारी हैं, ऑस्ट्रेलिया की आईएएस हैं, इसलिए ऐसा हुआ। ऐसा होना यहां के समाज का, यहां की पुलिसिंग का सामान्य चरित्र है। अपवाद घटनाओं को छोड़कर कोई किसी दूसरे का सामान चोरी नहीं करता, उल्टे सहयोग देता है।
मैंने अनेकों बार देखा है कि लोग अपने महंगे महंगे सामान पार्कों में भूल जाते हैं। कई-कई दिन तक सामान उसी तरह उसी जगह रखे रहते हैं, छोटे-छोटे बच्चे तक नहीं छूते हैं।
फिर एक दिन विभाग आता है, सामान को ले जाता है। यदि मालिक को वापस पहुंचा पाना संभव हो पाया (यदि सामान में जानकारी इत्यादि उपलब्ध हुई) तो वापस किया, नहीं तो रिसाइकिल कर दिया। इन रिसाइकिल केंद्रों में लाखों रुपए की कीमत का अच्छी गुणवत्ता का सामान भी सैकड़ों या हजारों में मिल जाता है।
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