Ramesh Ramawat हिंदुस्तान का सबसे बड़ा फैसला....विवादित जमीन रामलला की : सुप्रीम कोर्ट
अयोध्या- सुन्नी वक्फ बोर्ड की अपील खारिज अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने के दौरान CJI रंजन गोगोई ने शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी। CJI ने कहा कि इतिहास जरूरी लेकिन कानून सबसे ऊपर है। आधीरात में विवादित प्रतिमा रखी गई। CJI रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि सभी धर्मों को समान नजर से देखना कानून का काम है। अदालत आस्था से ऊपर एक धर्म निरपेक्ष संस्था हैं। 1949 में आधी रात में प्रतिमा रखी गई थी। CJI ने कहा कि इतिहास जरूरी है लेकिन इन सबमें कानून सबसे ऊपर है, सभी जजों ने आम सहमति से फैसला लिया है। रंजन गोगोई ने राम लला विराजमान को कानूनी मान्यता दी, लेकिन राम जन्मभूमि को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना। उन्होंने कहा कि खुदाई में मिला ढांचा गैर-इस्लामिक था। हम एएसआई की रिपोर्ट को खारिज नहीं कर सकते। एएसआई ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि मंदिर तोड़कर ढांचा बना था. एएसआई को मंदिर के सबूत भी मिले हैं। और मुस्लिम बोर्ड वह पर मालिकाना हक साबित नही कर पाया है हिन्दुओ के 1855 से पहले हिन्दुओ का अधिकार था इस बात के सबूत मिले है हिन्दुओ का चबूतरों पर भी अधिकार था जहाँ पर भगवान श्री राम पूजा भी किया करते थे और राम मन्दिर अयोध्या में ही बनेगा और बाबरी मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन अलग मिलेगी
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुबह 10.30 बजे अपना फैसला सुनाना शुरू किया। सीजेआई ने कहा बाबर के समय मीर बाकी ने मस्जिद बनवाई थी। 1949 में दो मूर्तियां रखी गई थी। बाबरी मस्जिद हिंदू स्ट्रक्चर के ऊपर बनाई गई। यह मस्जिद समतल स्थान पर नहीं बनाई गई।
हाईकोर्ट ने इस मामले के तीन हिस्से किए ये तार्किक नहीं है। केंद्र सरकार तीन महीने में मंदिर निर्माण की योजना बनाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करे। कोर्ट मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह जमीन देने का आदेश देते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए।
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