26 दिसंबर को है साल का अंतिम सूर्य ग्रहण,इन राशियों पर पड़ने वाला है प्रभाव

वर्ष का अंतिम ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। 26 दिसंबर को होने जा रहे ग्रहण में सूर्य के बीच के भाग को चंद्रमा को  ढक देगा। जिस कारण सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह दिखाई देगा। भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण दक्षिण भाग कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के हिस्सों में दिखाई देगा जबकि देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण दृश्य होगा।

वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण 26 दिसंबर, गुरुवार को लगेगा। यह भारत के अधिकांश हिस्सों में दिखायी देगा। इससे पूर्व 25 दिसंबर को चंद्रमा, धनु राशि में प्रवेश करेगा। इस ग्रहीय बदलाव का प्रभाव राशियों के अनुसार जातकों पर पड़ेगा।

खग्रास सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को सुबह 8 बजे से शुरू होगा परम ग्रास सुबह 10:48 बजे तक रहेगा। संपूर्ण ग्रहण 1:36 बजे समाप्त होगा। अवधि 5 घंटा 36 मिनट तक रहेगा। दक्षिण भारत मेें यह कंकड़ाकृति यानी अंगूठी की तरह दिखाई देगा। सूतक 25 तारीख को रात 8 बजे से शुरू हो जाएगा

सूतककाल को लेकर एक खास मान्यता है।  कि सूर्य ग्रहण के समय 12 घंटे और चंद्र ग्रहण के दौरान 9 घंटे पूर्व से ही सूतक काल आरंभ हो जाता है

वैदिक काल से पूर्व भी खगोलीय संरचना पर आधारित कलैन्डर बनाने की आवश्कता अनुभव की गई। सूर्य ग्रहण चन्द्र ग्रहण तथा उनकी पुनरावृत्ति की पूर्व सूचना ईसा से चार हजार पूर्व ही उपलब्ध थी। ऋग्वेद के अनुसार अत्रिमुनि के परिवार के पास यह ज्ञान उपलब्ध था। वेदांग ज्योतिष का महत्त्व हमारे वैदिक पूर्वजों के इस महान ज्ञान को प्रतिविम्बित करता है।

पौराणिक महत्व

मत्स्यपुराण की कथानुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत निकला था तो राहु नाम के दैत्य ने देवताओं से छिपकर उसका पान कर लिया था। इस घटना को सूर्य और चंद्रमा ने देख लिया था और उसके इस अपराध को उन्होंने भगवान विष्णु को बता दिया था। इस पर श्रीविष्णु को क्रोध आ गया था और उन्होंने राहु के इस अन्यायपूर्ण कृत से उसे मृत्युदंड देने हेतु सुदर्शन चक्र से राहु पर वार कर दिया था और परिणाम स्वरूप राहु का सिर और धड़ अलग हो गया लेकिन अमृतपान की वजह से उसकी मृत्यु नहीं हुई। वहीं राहु ने सूर्य और चंद्रमा से प्रतिशोध लेने के लिए दोनों पर ग्रहण लगा दिया, जिसे आज हम सब सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के नाम से जानते हैं।

आध्यत्मिक महत्व के कई और भी है कारण

एक प्रसिद्ध किवदन्ती के अनुसार एक बार राहू ने सूर्य पर आक्रमण कर उसे अन्धकारमय कर दिया था, ऎसे में मनुष्य सूर्य को नहीं देख पायें, तथा घबरा गयें, इस स्थिति से निपटने के लिये महर्षि अत्री ने अपने अर्जित सिद्धियों व शक्तियों के प्रयोग से राहू नाम की छाया का नाश किया तथा सूर्य को फिर से प्रकाशवान किया. इस कथा के अन्तर्गत यह भी आता है कि देव इन्द्र ने अत्रि की सहायता से एक अन्य समय में राहू के प्रभाव से सूर्य की रक्षा की थी.

सूर्य ग्रहण के दिन सत्ता परिवर्तन महाभारत के तथ्यों के अनुसार जिस दिन पांडवों ने कौरवों के साथ जुए में अपना राजपाट हार दिया था, उस दिन सूर्यग्रहण था. इसका कारण ज्योतिष शास्त्र में ढूंढने का प्रयास करने पर पायेगें कि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को राजा का स्थान दिया गया है. और सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य का ग्रास होता है. यही कारण है कि जिस देश में एक समय वर्ष में तीन या तीन से अधिक सूर्यग्रहण होते है, वहां पर सता परिवर्तन और प्राकृ्तिक आपदाएं आने की संभावनाएं अधिक होती है.*

महाभारत के ही एक अन्य अध्याय के अनुसार जब महाभारत युद्ध में जिस दिन अर्जुन ने कौरवों के सेनापति जयद्रथ का वध किया था, उस दिन भी सूर्यग्रहण था. तथा जिस दिन भगवान श्री कृ्ष्ण की नगरी द्वारका जलमग्न हुई थी, उस दिन भी सूर्य ग्रहण था. तथा फिर से यह नगरी जब कृ्ष्ण के प्रपौत्र ने दोबारा से द्वारका नगरी बसाई थी, उस दिन भी सूर्य ग्रहण होने के तथ्य सामने आते है.*

सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का ध्यान - मनन करने से सूर्य की शक्तियों को किया जा सकता है. सूर्य आत्मविश्वास, पिता, ओर उर्जा शक्ति का कारक ग्रह है. सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य मंत्र जाप,होम करने पर व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृ्द्धि होती है. सूर्य ग्रहण के ग्रास काल की अवधि में अपनी आन्तरीक शक्तियों को योग के द्वारा सरलता से जाग्रत किया जा सकता है.

*ग्रहण का शाब्दिक अर्थ ही स्वीकार करना, आत्मसात करना या लेना है. स्वयं में ज्ञान का प्रकाश प्रजज्वलित करने में सूर्य ग्रहण काल विशेष रुप से उपयोगी सिद्ध हो सकता है. स्वंय के अन्तर्मन से क्रोध, कलेश, घ्रणा जैसे अंधकार को मिटान के लिये ग्रहण मोक्ष काल के बाद दैविक आराधना, पूजा अर्चना इत्यादि विशेष रुप से की जाती सकती है.*

ग्रहण के समय सूर्य,चन्द्रमा, बुध, केतु और गुरु मूल नक्षत्र में होकर कूर्म-चक्र के अनुसार पश्चिम दिशा को इंगित कर रहे हैं जिसके प्रभाव से मध्य एशिया, पाकिस्तान और भारत के पश्चिमी इलाकों में हिंसक घटनाएं हो सकती हैं और प्राकृतिक आपदा में जान-माल का नुकसान हो सकता है। धनु राशि पूर्व दिशा क स्वामी है अत: धनु राशि में पड़ने वाला ग्रहण जापान, इंडोनेशिया, फिलीपीन्स आदि पूर्वी एशिया के देशों में भूकंप के बाद तूफान के खतरे को दिखा रहा है। ग्रहण के समय गोचर में शुक्र जल तत्व की राशि मकर में होंगे। बृहत् संहिता के अनुसार इस स्थिति में बेमौसम की बारिश और भयंकर बर्फबारी से सर्दी के बढ़ने का योग है।

धनु राशि में पड़ने वाला ग्रहण मंत्रियों, प्रधान पुरुषों, राजाओं, सैनिकों, हथियार रखने वालों, पहलवानों (या खिलाड़ियों), चिकित्सकों, बड़े व्यापारियों और तकनीक की जानकारी रखने वालों (वर्तमान में आईटी में कार्यरत लोगों) को कष्ट देने वाला होता है। अगले 6 महीने इन क्षेत्रों में कार्यरत लोगों पर सूर्य ग्रहण के प्रभाव अच्छा नहीं है। धनु राशि के  लिए विशेष सावधानी रखना होगी इसी प्रकार से धनु लग्न में जन्मीं इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ग्रहण के कुछ महीनों के बाद खराब सेहत के कारण राजगद्दी छोड़ सकती हैं। इनके अलावा मिथुन लग्न में पैदा हुए और शनि-मंगल की अशुभ विंशोत्तरी दशा में चल रहे तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा पर भी यह ग्रहण स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। मिथुन राशि से प्रभावित बंगाल, धनु राशि से प्रभावित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और नेपाल के लिए यह ग्रहण विशेष रूप से कष्टकारी रह सकता है

ग्रहण में क्या करें और क्या न करें

सूर्य ग्रहण में भगवान सूर्य की पूजा, आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्याष्टक स्तोत्र आदि सूर्य स्तोत्रों का पाठ करना चाहिए। पका हुआ अन्न, कटी हुई सब्जी ग्रहण काल में दूषित हो जाते हैं। परन्तु तेल, घी, दूध, दही, लस्सी, मक्खन, पनीर, चटनी, मुरब्बा आदि में तिल या कुशातृण रख देने से ये ग्रहण काल में दूषित नही होते हैं। सूखे खाद्य पदार्थों में तिल या कुशा डालने की आवश्यकता नही है। ग्रहण के समय तथा ग्रहण की समाप्ति पर गर्म पानी से स्नान करना निषिद्ध है। ग्रहण काल में सोना, खाना- पीना, तैलमर्दन, मैथुन निषिद्ध है। नाखुन भी नही काटना चाहिए।

ग्रहण काल में किसी भी नए कार्य का शुभारंभ न करें.

सूतक के दौरान भोजन बनाना और भोजन करना वर्जित माना जाता है.

देवी-देवताओं की प्रतिमा और तुलसी के पौधे को स्पर्श नहीं करना चाहिए.

सूर्य ग्रहण के दौरान फूल, पत्ते, लकड़ी आदि नहीं तोड़ने चाहिए.

इस दिन न बाल धोने चाहिए ना ही वस्त्र.

ग्रहण के समय सोना, शौच, खाना, पीना, किसी भी तरह के वस्तु की खरीदारी से बचना चाहिए.

सूर्यग्रहण में बाल अथवा दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए, ना ही बालों अथवा हाथों में मेहंदी लगवानी चाहिए.

सर्यग्रहण के दरम्यान उधार लेन-देन से बचना चाहिए. उधार लेने से दरिद्रता आती है और उधार देने से लक्ष्मी नाराज होती हैं

ग्रहण का कोई आध्यात्मिक महत्त्व स्वीकार करे या ना करे। दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए यह अवसर किसी उत्सव से कम नहीं होता। क्यों कि ग्रहण ही वह समय होता है जब ब्राह्मंड में अनेकों विलक्षण एवं अद्भुत घटनाएं घटित होतीं हैं जिससे कि वैज्ञानिकों को नये नये तथ्यों पर कार्य करने का अवसर मिलता है। 1968 में लार्कयर नामक वैज्ञानिक नें सूर्य ग्रहण के अवसर पर की गई खोज के सहारे वर्ण मंडल में हीलियम गैस की उपस्थिति का पता लगाया था। आईन्स्टीन का यह प्रतिपादन भी सूर्य ग्रहण के अवसर पर ही सही सिद्ध हो सका, जिसमें उन्होंने अन्य पिण्डों के गुरुत्वकर्षण से प्रकाश के पडने की बात कही थी। चन्द्रग्रहण तो अपने संपूर्ण तत्कालीन प्रकाश क्षेत्र में देखा जा सकता है किन्तु सूर्यग्रहण अधिकतम 10 हजार किलोमीटर लम्बे और 250 किलोमीटर चौडे क्षेत्र में ही देखा जा सकता है। सम्पूर्ण सूर्यग्रहण की वास्तविक अवधि अधिक से अधिक 11 मिनट ही हो सकती है उससे अधिक नहीं। संसार के समस्त पदार्थों की संरचना सूर्य रश्मियों के माध्यम से ही संभव है। यदि सही प्रकार से सूर्य और उसकी रश्मियों के प्रभावों को समझ लिया जाए तो समस्त धरा पर आश्चर्यजनक परिणाम लाए जा सकते हैं। सूर्य की प्रत्येक रश्मि विशेष अणु का प्रतिनिधित्व करती है और जैसा कि स्पष्ट है, प्रत्येक पदार्थ किसी विशेष परमाणु से ही निर्मित होता है। अब यदि सूर्य की रश्मियों को पूंजीभूत कर एक ही विशेष बिन्दु पर केन्द्रित कर लिया जाए तो पदार्थ परिवर्तन की क्रिया भी संभव हो सकती है।

वैज्ञानिक इसे 'रिंग ऑफ फायर' का नाम दे रहे हैं

इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण एक आग की अंगूठी की तरह नजर आने वाला है, वैज्ञानिक इसे 'रिंग ऑफ फायर' का नाम दे रहे हैं।

राशियों पर रहेगा यह प्रभाव

राशि अनुसार यह पड़ेगा प्रभाव


मेष: चिंता व मानसिक परेशानी रहेगी। राशि के 9वें भाग में सूर्य ग्रहण होने के चलते संतान के कष्ट की भी संभावना रहेगी। स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ सकता है।*

वृष: शत्रु का भय चिंतित करेगा। राशि के 8वें भाग में सूर्य ग्रहण होने के चलते आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है। सेहत को लेकर भी सतर्क रहना होगा।*

मिथुन : दांपत्य जीवन के लिए बेहतर नहीं है। स्वास्थ्य को भी प्रभावित करेगा। कारोबार में कठिनाई और नौकरी को लेकर चिंता बरकरार रहेगी।

कर्क : सूर्य ग्रहण का औसत प्रभाव रहेगा। शत्रुओं से दूरी बढ़ेगी, लेकिन गुप्त चिंता मन को परेशान करेगी। जीवन साथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा।

सिंह: इस राशि के स्वामी सूर्य को ग्रहण लग रहा है। इस कारण खर्च बढ़ेगा। साथ ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। प्रेम संबंधों में कड़वाहट पैदा हो सकती है।*

कन्या : सूर्य ग्रहण का औसत असर रहेगा, जिसमें कार्य सिद्धि के योग हैं। इसके साथ ही खुद व परिवार के बुजुर्गों की सेहत के प्रति जागरूक रहना होगा। काम को ध्यान से पूरा करें*

तुला : सूर्य ग्रहण इस राशि के लिए धन लाभ वाला है। इस दौरान प्रभु का सिमरन व ध्यान लगाकर कार्य करने से सफलता मिलेगी।

वृश्चिक : आर्थिक स्थिति खराब रहेगी। परिवार में झगड़ा व आर्थिक क्षति हो सकती है। बीमारी को लेकर सचेत रहने की जरूरत है।

धनु : सूर्य ग्रहण गंभीर ङ्क्षचता का विषय बन सकता है। इस अवधि में मानसिक चिंताएं बढ़ेंगी व आर्थिक कमजोरी का योग बन रहा है। संयम बनाए रखने की जरूरत है।*

मकर : आय के विपरित खर्च अधिक होगा। शत्रु हावी हो सकता है। घर में टकराव की स्थिति से बचने की कोशिश करें।

कुंभ : सूर्य ग्रहण इस राशि के लिए शुभ रहेगा। आय में वृद्धि के साथ-साथ अपनों से लाभ होगा। इस अवधि में शुभ समाचार भी मिल सकता है।

 मीन : कारोबार व सर्विस वालों के लिए नुकसानदेह रहेगा। रोग परेशानी दे सकता है। गुप्त भय के चलते भी मानसिक रूप से परेशानी पैदा हो सकती है।*

रविशराय गौड़
ज्योतिर्विद
अध्यात्मचिन्तक
9926910965

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