महाभारत में ऐसे कई योद्धा थे, जो बेहद ही शक्तिशाली थे। उनका मुकाबला करना मतलब मौत को दावत देने के समान था। ऐसे ही एक योद्धा थे पांडु पुत्र भीम। कहा जाता है कि भीम के अंदर 10 हजार हाथियों का बल था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक साधारण मनुष्य की तरह दिखने वाले भीम के अंदर इतनी शक्ति आई कहां से? यकीनन इस रहस्य के बारे में बहुत कम ही लोगों को पता होगा।
कहते हैं कि 10 हजार हाथियों की शक्ति की बदौलत ही भीम ने एक बार नर्मदा नदी का प्रवाह रोक दिया था। भीम के अंदर इतनी शक्ति आने के पीछे एक रोचक किस्सा है। इसके अनुसार, भीम बचपन से ही काफी शक्तिशाली थे। वह दौड़ने में, निशाना लगाने या कुश्ती लड़ने, सभी खेलों में धृतराष्ट्र के पुत्रों यानी कौरवों को हरा देते थे। हालांकि उनके अंदर कौरवों के प्रति कोई द्वेष नहीं था, लेकिन दुर्योधन के मन में भीमसेन के प्रति दुर्भावना शुरू से ही थी। तब उसने उचित अवसर मिलते ही भीम को मारने का विचार किया।
दुर्योधन ने एक बार खेलने के लिए गंगा तट पर शिविर लगवाया और उस स्थान का नाम रखा उदकक्रीडन। वहां खाने-पीने से लेकर खेलने-कूदने तक सभी व्यवस्था की गई थी। दुर्योधन ने पांचों पांडवों को भी वहां खेलने के लिए बुलाया और एक दिन मौका पाकर उसने भीम के खाने में जहर मिला दिया। जब भीम ये विषभरा खाना खाकर बेहोश हो गए, तब दुर्योधन ने दु:शासन के साथ मिलकर उन्हें गंगा में फेंक दिया।
भीम मूर्छित अवस्था में ही पानी के रास्ते नागलोक पहुंच गए। वहां सांपों ने उन्हें खूब डंसा, जिसके प्रभाव से उनके शरीर से विष का असर कम हो गया। इसके बाद जब भीम को होश आया तो वो आसपास भयंकर सांपों को देखकर वो उन्हें मारने लगे. जिससे डरकर सभी सांप नागराज वासुकि के पास गए और उन्हें पूरी बात बताई।
सारी बातें जान लेने के बाद नागराज वासुकि आर्यक नाग के साथ खुद भीम के पास गए। वहां जाते ही आर्यक नाग ने भीम को पहचान लिया। दरअसल, आर्यक नाग भीम के नाना के नाना थे। इसके बाद वो भीम को अपने साथ नागलोक ले गए। वहां उन्होंने नागराज वासुकि से भीम को उन कुण्डों का रस पिलाने की आज्ञा मांगी, जिसमें हजारों हाथियों का बल था। बाद में नागराज वासुकि ने इसकी आज्ञा दे दी और तब भीम 8 कुण्डों का रस पीकर एक दिव्य शय्या पर सो गए।
नागलोक में भीम 8 दिनों तक सोते रहे और जब वो जागे तो उनमें 10 हजार हाथियों की शक्ति आ गई थी। बाद में वो हस्तिनापुर पहुंचे और माता कुंती और अपने भाइयों को दुर्योधन द्वारा उन्हें विष देकर गंगा में फेंकने और नागलोक में जो कुछ भी हुआ, सारी बातें बताई। तब युधिष्ठिर ने भीम से कहा कि वो यह बात किसी को भी न बताएं।
रविशराय गौड़
ज्योतिर्विद
अध्यात्मचिन्तक
9926910965
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