आज मत रोको मुझे, पीकर बहकने दो,
पल दो पल उस बेवफा को चहकने दो।
कल वो रोयेगी याद करके इन लम्हों को,
अब दो पल खुशियों से दामन महकने दो।
दर्द का अहसास उसे भी होगा, यह पता है,
जानेगी वो भी क्या की उसने आज खता है।
बस अफसोस इसी बात का रहेगा उम्र भर,
यहाँ बेवफ़ाओं का दामन रहता महकता है।
खुदा कसम! कसमें वादे सब दिखावा था,
मोहब्बत ही उसकी मेरे लिए छलावा था।
खिलौना समझ कर खेलती रही मुझसे वो,
बेदर्दी से दिल लगा बैठा यही पछतावा था।
तुम ही कहो कैसे मोहब्बत पर ऐतबार करूँ,
खाकर धोखा, अब कैसे किसी से प्यार करूँ।
नहीं मानी मैंने "सुलक्षणा" ने भी समझाया था,
खाकर धोखा अब औरों को खबरदार करूँ।
डॉ सुलक्षणा अहलावत
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