महाशिवरात्रि शिवभक्तों के लिए सबसे बड़ा पर्व होता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से महादेव की आराधना की जाती है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को पड़ रहा है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। इस पावन दिन पर भोलेनाथ की आराधना से पूर्ण महादेव का शृंगार करना चाहिए।
बात जब श्रृंगार की होती है तो महिलाओं का नाम सबसे पहले लिया जाता है। लेकिन इस सावन बात महिलाओं के फैशन की नहीं बल्कि देवों के देव महादेव की हो रही है। लोग अक्सर महिलाओं के 16 श्रृंगार के बारे में बात करते हैं लेकिन बहुत कम ही लोग भगवान शिव के 9 श्रृंगार के बारे में जानते हैं। आइए जानते हैं आखिर कौन से ऐसे 9 श्रृंगार हैं जो भस्मधारी महाकाल को करना बेहद पसंद है।
माना जाता है कि भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है। भोलेबाबा अपने भक्तों को कष्टों में नहीं देख सकते हैं। ऐसे में शिव भक्तों को भोलेबाबा को मनाने के लिए उनके 9 रत्नों का सहारा लेना चाहिए। आइए जानते हैं क्या हैं उनके 9 रत्न।
भगवान शिव के 9 रत्नों के नाम हैं-पैरों में कड़ा, मृगछाला, रुद्राक्ष, नागदेवता, खप्पर, डमरू, त्रिशूल, शीश पर गंगा और शीश पर चंद्रमा। कहा जाता है कि भोलेबाबा के इन सभी अलग-अलग नौ रत्नों की अपना एक अलग महत्व है।
भगवान शिव के हर रत्न के साथ उनकी पूजा करने से व्यक्ति को उसका अलग लाभ मिलता है। सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में अनुकूल ग्रहों की दशा मजबूत होती है। इसके लिए शिव जी का दूध से अभिषेक करना चाहिए। गंगाधारी शिव की प्रतिमा की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि ऐसा करने से विद्या, बुद्धि और कला में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि भस्मधारी शिव की पूजा करने से न सिर्फ सुखों की प्राप्ति होती है बल्कि ऐसा करने से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त कर सकता है। इसके अलावा त्रिशूल धारण करने वाले शिव का आराधना करने से विवाह में आने वाली सभी रुकावटें दूर होती हैं।
डमरू धारण करने वाले शिव का पूजा करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है जबकि सर्पधारी शिव की पूजा करने से राजनैतिक सफलता मिलना तय माना जाता है। मान्यताओं की मानें तो रूद्राक्ष धारण करने वाले भोले बाबा की पूजा करने से वो जल्दी प्रसन्न होकर इच्छा पूरी करते हैं तो कंमडधारी शिव की पूजा करने से व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह इसी दिन हुआ था। देश भर में इस अवसर पर शिव बारात निकाली जाती है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है। आज जानते है उन 5 पत्तों के बारे में जिनको चढ़ाने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं…
1/5बेलपत्र का महत्व
शिवपुराण में बेलपत्र की महिमा के बारे में वर्णन मिलता है। मान्यता है कि तीनों लोक में जितने पुण्य तीर्थ हैं वे सभी बेलपत्र के मूलभाग में निवास करते हैं। जो लोग बेल पत्र से शिवजी की पूजा करते हैं, उन्हें विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है। इतना ही नहीं बेल के पेड़ की जड़ को समीप रखकर शिवभक्तों को भोजन कराने से करोड़ों पुण्य के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
वास्तु: नए मकान या फ्लैट में रहने जा रहे हैं तो घर सजाने से पहले ये बातें देख लें
2/5भांग के पत्ते
भगवान शिव को भांग अतिप्रिय मानी जाती है। इसके पत्ते शिवरात्रि के दिन भोलेबाबा को अर्पित करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। दरअसल भांग को एक औषधि माना जाता है। मान्यता है कि जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का पान किया था तो उनके उपचार के लिए फिर भांग के पत्तों का प्रयोग किया गया था। इस कारण शिवजी के पूजा में भांग के पत्तों का विशेष महत्व होता है।
3/5आक के पत्ते
शिवपुराण में आक के पत्तों के बारे में बताया गया है कि भोलेबाबा को इसके फूल और पत्ते दोनों खासे प्रिय होते हैं। इसलिए शिव पूजा में आक के पत्ते और फूल दोनों चढ़ते हैं। ऐसा मान्यता है कि भोलेबाबा आक के पत्ते चढ़ाने वाले भक्त की अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं।
पाकिस्तान का शिव मंदिर जहां महाशिवरात्रि पर गूंजता है बम-बम भोले
4/5धतूरा फल और पत्ते
धतूरे का फल और पत्ता दोनों ही पूजा में प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग भी मुख्य रूप से औषधि के रूप में होता है। शिव पुराण में बताया गया है कि शिवजी को धतूरा अतिप्रिय है। अधूरा अर्पित करने वाले भक्तों का घर धन और धान्य से भरा रहता है।
5/5दूर्वा चढ़ाएं
भगवान शिव और उनके पुत्र गणेशजी को भी दूर्वा खासी प्रिय होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसमें अमृत बसा होता है। भगवान शिव को दूर्वा चढ़ाने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।
जपने वाला इस बात का ध्यान रखें कि मंत्र जाप करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख होना चाहिए। जप के पूर्व शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए। उनके पर जलधारा चढ़ाना चाहिए।
शिव के प्रिय मंत्र
1 ॐ नमः शिवाय।
2 नमो नीलकण्ठाय।
3 ॐ पार्वतीपतये नमः।
4 ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
5 ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
6 ऊर्ध्व भू फट्।
7 इं क्षं मं औं अं।
8 प्रौं ह्रीं ठः।
भगवान महादेव की दिव्य पूजन के पश्चात मंत्र जप करना चाहिए स्तोत्र पाठ करना चाहिए भजन संकीर्तन के साथ शिव तत्व के साथ जुड़ जाना चाहिए और उसके पश्चात जीवन में जिस आनंद का अनुभव आप करेंगे उसकी कोई सीमा नहीं है भगवान महादेव सब पर करुणा कृपा बरसाते रहें।
रविशराय गौड़
ज्योतिर्विद
अध्यात्मचिन्तक
9926910965
0 Comments