2,600 लोगों ने गवा दी अपनी जान, लेकिन सरकार बनी हुई आजतक अंजान

गुरुग्राम:कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार कदम उठा रही है जगह-जगह हॉस्पिटलों में अलग से सेंटर बना रही है लेकिन गुरुग्राम में पिछले 2014 से लेकर अभी तक सड़क दुर्घटनाओं में घायल मरीजों को ट्रॉमा सेंटर नहीं मिलने के कारण 2,600 लोगों ने अपनी जान गवा दी
 इसके लिए सरकार की तरफ से कोई उपाय नहीं किया गया आज तक कि गुड़गांव एक ऐसा शहर जो हरियाणा को सबसे अधिक राजस्व देता है लेकिन उसके बाद भी लोग अपनी जान हथेली पर लेकर सड़क पर चलते हैं दुर्घटनाएं सरकार की कमी के कारण हो रही है लेकिन उसके बाद भी लोग अपनी जान सरकार की कमी के कारण ही गवा रहे हैं क्योंकि अगर कोई व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल हो जाता है तो उसे उचित समय पर इलाज नहीं मिलता और यदि मिल भी जाता है तो हमारे सरकारी हॉस्पिटलों की हालत इतनी बढ़िया है कि वहां ले जाने पर मरीज को तुरंत ही या तो बड़े हॉस्पिटल में रेफर कर दिया जाता है जो कि रेफर के खेल में पैसा बनाते हैं 

मुनाफा कमाते हैं यह लोग या फिर उन्हें दिल्ली के सफदरजंग या एम्स में रेफर कर दिया जाता है क्योंकि यहां पर उनके इलाज की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है अगर ऐसा ही चलता रहा तो आगे ना जाने और कितने मासूम या फिर हम यह कहे नासमझ लोग जान गवा सकते हैं अभी पिछले 5 साल में भाजपा की सरकार रही भाजपा की सरकार के दौरान अनिल विज ऐसे मिनिस्टर जिन्हें गब्बर के नाम से जाना जाता है उनके प्रयास से कोई ट्रॉमा सेंटर पूरे गुड़गांव में नहीं बन पाया 

और गुड़गांव ही नहीं मुझे लगता है कि आसपास के शहरों में भी ट्रॉमा सेंटर की सुविधा उपलब्ध नहीं है वैसे अपने पाठकों की जानकारी के लिए बता देता हूं ट्रॉमा सेंटर एक ऐसा सेंटर होता है इमरजेंसी जहां पर कि किसी भी दुर्घटना में घायल हुए मरीज को लाकर तुरंत उसका उचित इलाज किया जाता है जिससे कि उसकी जान बचाई जा सके लेकिन गुड़गांव में ऐसा नहीं है अगर हम कहे कि गुडगांव के अंदर सरकारी हस्पताल है 

तो सरकारी हस्पताल की हालत कैसी है किसी से छुपी हुई नहीं है नई बिल्डिंग बनने के लिए कितने महीनों से कितने सालों से लोग इंतजार कर रहे हैं लेकिन नई बिल्डिंग अभी बनने की शुरुआत भी नहीं हुई है सिर्फ डिजाइन फाइनल किया गया है और पुरानी बिल्डिंग को शिफ्ट कर दिया गया है सेक्टर 10 के अंदर सेक्टर 10 में जो सरकारी अस्पताल बना हुआ है वहां पर मरीजों की लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई है लेकिन गब्बर यानी मंत्री अनिल विज कुछ नहीं कर पा रहे हैं दुष्यंत चौटाला जब उप मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने शहर के इस हॉस्पिटल का दौरा किया और कुछ जरूरी सुझाव दिए सुझाव क्या रहे होंगे यह पता नहीं है क्योंकि सुझाव ऐसे ही होते जो दिए जाते हैं और उन पर अमल नहीं होता है क्योंकि बाद में तो कोई पूछेगा नहीं उन्हें आगे की क्या सुझाव पर अमल हुआ या नहीं उसके बाद में कोई किसी का दौरा नहीं कोई कुछ नहीं लोग ऐसे ही मर रहे हैं जान गवा रहे हैं लेकिन किसी को कोई मतलब नहीं है चाहे वह अनिल विज हो या फिर मनोहर लाल खट्टर हो या भाजपा का कोई और बड़ा पदाधिकारी हो शहर में लोगों की मौत हो रही है 

आरटीआई एक्टिविस्ट अधिवक्ता मोहित खटाना के द्वारा लगाई गई  आरटीआई में जानकारी प्राप्त हुई है कि 2014 से लेकर 31 जनवरी 2020 तक कुल 2,600 लोग अपनी जान सड़क दुर्घटना में गंवा चुके हैं क्या यह डाटा सरकार को जगाने के लिए काफी नहीं है ? और यह डाटा सिर्फ हरियाणा के गुड़गांव शहर का है बाकी शहरों की हालत क्या होगी यह तो आप समझ सकते हैं इस बारे में सी एम ओ को मोबाइल पर फोन किया गया लेकिन उनसे बात नही हो पाई, उम्मीद है सरकार जल्दी ही इस बारे में कोई कदम उठाए.

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