स्कूल डांस प्रतियोगिता में इस लड़की को बाहर निकाल दिया गया लेकिन कॉलेज में इसने...

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग जुडते गए और कारवाँ बनता गया

भाग एक...
आज हम बात कर रहे हैं मुंबई की एक ऐसी जुनूनी शख्सीयत की, जिसने शुरुआत कहाँ से की यह तो लोगों को नहीं पता पर आज जिस मुकाम पर हैं, वहाँ से हर किसी को वे नज़र आती हैं । मारवेलस रिकॉर्ड्स बूक ऑफ इंडिया और रिकॉर्ड ए महाराष्ट्र अवार्ड जैसे कई सम्मान और सफलता अपने नाम दर्ज करा चुकी, यूथ ज़ोन डांस अकैडमी की संस्थापक, नृत्य निर्देशक, शिल्पा गणात्रा को किसी पहचान की ज़रूरत नहीं । कई बच्चों, गृहणियों, मनोरंजन की दुनिया से जुड़े कलाकारों को नृत्य में पारंगत कर चुकी हैं शिल्पा ।

हर बार कुछ नया, कुछ अलग करने की चाह, इन्हें दूसरों से एक कदम आगे ले जाती है । इस बार १८ अप्रैल २०२०, ठीक २:३० बजे आस्पी सभागृह, मालाड में शुरू होगा सिलसिला संगीतमय कार्यक्रम का । हुलाहुप, एरियल डांस, स्टंट डांस, बॉलीवुड डांस और बहुत कुछ । लेकिन आगे बढ़ने से पहले इस बार हम थोड़ा पीछे लौटते हैं और जानते हैं शिल्पा के अब तक के सफर के बारे में ।

छह साल की थी जब उन्होंने प्रथम बार गरबा में भाग लिया और इक्कीस रूपए का पुरस्कार मिला था । उसके बाद तो कई पुरस्कार मिलते गए । उन्होंने १६ ग्राम सोना भी गरबा में अपने बेहतरीन डांस के लिए जीता है और तो और, उन्हें गरबा क्वीन के नाम से भी जाना जाने लगा ।

जीवन में कुछ घटनाएँ ऐसी भी होती हैं जो मनुष्य का मनोबल तोड़ देती है । ऐसी ही एक अनहोनी घटित हुई जब वे आठवीं कक्षा में थीं, उनके पिता का स्वर्गवास हो गया । इतनी छोटी आयु में जब बच्चे पिता का हाथ थामे बाहरी दुनिया देखते हैं, उस आयु में उनके पिता उनका हाथ छोडकर अनंत यात्रा पर निकल गए । ईश्वर की इच्छा के आगे तो नतमस्तक होना ही था परंतु उस मासूम मन को शायद समझ नहीं आया कि जो हुआ वह टाला नहीं जा सकता ।

शायद इसी चिंता और तनाव के कारण इनका वजन बढ़ गया और इसका खामियाजा ऐसे भुगतना पड़ा कि दसवीं कक्षा में इन्हें डांस प्रतियोगिता में भाग ना लेने दिया और बस तभी से इनके अंदर के कलाकार ने ठान लिया कि क्यों शारीरिक रंग-रूप कला के बीच बाधा बन सकता है ? क्यों केवल डांस में छरहरा बदन ही ज़रूरी है ?

फिर शिल्पा ने कॉलेज के डांस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीतकर यह साबित कर दिया कि उनकी काबिलियत क्या है ! कॉलेज में ही कई डांस कार्यक्रम में निर्देशन किया और यही से उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य मिल गया । उन्होंने चुन लिया अपने आप को डांस में समर्पित होने के लिए ।
चिन्मय मिशन से भरतनाट्यम सीखने के साथ ही वे जिमनास्टिक में भी पारंगत हैं और थ्रो बॉल में विजेता रह चुकी हैं ।

अब तक लगभग तीन हजार से भी ज्यादा लोगों को थिरकना सीखा चुकी है । उनकी खासियत है हुलाहुप । शिल्पा का कहना है कि, जो भी उनके २२ स्टेप्स सीख लेगा वह कोई भी, कैसा भी डांस कर सकता है । शिल्पा को चाहे दसवीं में अपने वजन के कारण डांस प्रतियोगिता से बाहर कर दिया गया हो लेकिन शिल्पा कला की पूजा करती है और आप लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि कुछ मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों को भी वे डांस का प्रशिक्षण देती हैं ।

हुलाहुप रिकॉर्ड का विचार आया... पढिए अगले अंक में ।

करन निम्बार्क: ब्यूरो चीफ:मुम्बई

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