मर्द बेचारा सोचे आगे कुआं पीछे खाई: विकास शर्मा

एक ओर बीवी दूसरी ओर कोरोना,
मर्द पकड़े बैठे हैं घर में एक कोना।

सुबह पलंग पर चाय देते बीवी को,
फिर समेटते बेचारे बिस्तर बिछौना।

फिर नाश्ता बनाते, बच्चों को नहलाते,
झाड़ू पोछा करके, पड़ता कपड़े धोना।

दोपहर में बीवी कहती है बड़े प्यार से,
ऐ जी, थोड़े से पैर दबा दो फिर सोना।

मर्द बेचारा सोचे आगे कुआं पीछे खाई,
कब तक बीवी का ख़ौफ़ पड़ेगा ढ़ोना।

बाहर जाएं तो पुलिस लठ बरसाएगी,
इससे बेहतर है जोरू का गुलाम होना।

विकास ना जाने कब खत्म होगा कर्फ़्यू,
कब तक जारी रहेगा हमारा चैन खोना।

विकास शर्मा

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