इस शिक्षक से प्रेरणा ले रहे हैं बाकी के लोग आखिर ऐसा क्या कर दिया है इसने पढ़िए यह खबर

एक शिक्षक से प्रेरित होकर प्रदेश के कई लोगों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के परीक्षण के लिए की अपने शरीर की पेशकश

प्रदेश के मुख्यमंत्री, चिकित्सा मंत्री व इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को लिखा पत्र

शिक्षा मंत्री ने भी किया सभी के जज्बे को सलाम, कई कवि और लेखकों ने भी की काव्य रचनाएं

अजमेर: केकड़ी। दुनियाभर में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। लाखों लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। भारत सहित तमाम देश इस वैश्विक महामारी का तोड़ निकालने की कवायद कर रहे हैं। कुछ देश कोरोना की दवा के लिए भी शोध में जुटे है। लेकिन इस बीच कुछ लोग ऐसे भी है जो दूसरों की प्रेरणा बनकर खड़े हो रहे है। जी हां, हम बात कर रहे है केकड़ी निवासी शिक्षक दिनेश वैष्णव की, जिन्होंने इस जानलेवा वायरस के इलाज हेतु किए जा रहे शोध के लिए अपने शरीर पर प्रयोग करने की पेशकश की है।

गौरतलब है कि शिक्षक दिनेश वैष्णव ने तीन दिन पूर्व प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ.रघु शर्मा एवं इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को पत्र लिखकर अपने शरीर पर कोरोना वायरस के टीके का परीक्षण का प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कहा था कि दवाओं के प्रयोग के लिए मानव शरीर की आवश्यकता होगी, तो वे इसके लिए सदैव तत्पर रहेंगे।

अन्य लोग भी आए आगे
शिक्षक दिनेश वैष्णव के सरकार को कोरोना दवा शोध के लिए इच्छा जताए जाने के बाद कई अन्य लोगों ने भी इस दिशा में कदम आगे बढाया है। उनसे प्रेरित होकर प्रदेश के विभिन्न जिलों के शिक्षकों व अन्य लोगों ने भी चिकित्सा मंत्री को इसी तरह से पत्र लिखकर दवा परीक्षण के लिए अपने शरीर का प्रयोग करने की इच्छा जाहिर की है। इनमें कई महिला शिक्षिकाएं, शिक्षक दम्पति, पशुधन सहायक, महाविद्यालय विद्यार्थी, चार्टर्ड अकाउंटेंट व एडवोकेट भी शामिल है।

केकड़ी के शिक्षक दिनेश वैष्णव के साथ ही मसूदा में अध्यापक शेखर वैष्णव अडूस्या, अराई के शिक्षक कैलाशचन्द्र शर्मा, पारा में व्याख्याता राजेन्द्र कुमार, चित्तौड़गढ़ जिले में पदस्थापित केकडी निवासी शिक्षक धर्मचन्द आचार्य, भिनाय ब्लॉक में सोलखुर्द के युवा चम्पालाल बैरवा ने भी इसके लिए पत्र लिखा।

इसके अतिरिक्त डाइट सीकर में व्याख्याता सरोज लोयल, बून्दी की अध्यापिका शोभा कंवर, धनोप के पत्रकार कैलाशचन्द्र वैष्णव, जोधपुर के शिक्षक ज्ञानप्रकाश गर्ग, एमपीपीजी कॉलेज चित्तौड़गढ़ के छात्र हरीश प्रजापत, विशाल रजक, पवन धोभी, दौसा के युवा श्रवण सिंह राजपूत, मालपुरा में पशुधन सहायक हनुमानप्रसाद वैष्णव, सांवरा बैरवा, चित्तौड़गढ़ के चार्टड अकाउंटेंट अजय दायमा, चुरू के एडवोकेट रतन एस बरोला व बिजनौर उत्तरप्रदेश की महिला स्वाति चौहान सहित कुल 29 लोगों ने अपने जीवंत शरीर पर प्रयोग करने की सहमति दी।

शिक्षा मंत्री का ट्वीट, की सराहना
शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने उक्त शिक्षकों का हौंसला बढ़ाते हुए अपने ट्वीटर एकाउंट पर उनके पत्र डाले है और लिखा है कि शिक्षकों के द्वारा की गई पहल दर्शाती है कि शिक्षक वर्ग जरूरत पड़ने पर किसी भी हद तक जाकर मदद कर सकता है। कोरोना से लड़ने हेतु पूरा शिक्षा विभाग तैयार है।

कवि और लेखकों ने भी किया उत्साहवर्धन
सोशल मीडिया पर वायरल हुए इनके सहमति पत्र को देखकर दौसा के जाने माने कवि कैलाशचन्द्र गुप्ता 'ताम्बी' ने शिक्षक दिनेश वैष्णव को आधुनिक काल के दधीचि की उपमा देते हुए उनको काव्य रचना भेजी। इनके साथ ही लेखक मुकेश वैष्णव मालपुरा, रामाराम चौधरी बाड़मेर व पवन चौल्डा 'समीर' आदि ने भी अपनी पंक्तियो के माध्यम से शिक्षक वैष्णव व उनसे प्रेरित होकर आगे आये अन्य लोगों का उत्साहवर्धन किया।

सभी शिक्षकों ने बाकायदा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा को पत्र लिखकर इच्छा जताई है कि प्रदेश के वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों को कोरोना का तोड़ निकालने के लिए मानव शरीर की आवश्यकता है तो वह इस महामारी से लोगों की जान बचाने के लिए खुद का शरीर देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि दवाओं के प्रयोग के लिए मानव शरीर की आवश्यकता होगी, तो वे इसके लिए सदैव तत्पर रहेंगे। यदि उनका शरीर देशहित में काम आया, तो उनके लिए यह बेहद खुशी की बात होगी। सभी ने कोरोना वायरस के टीके को अपने शरीर पर टेस्ट करने की सहमति दी है।

पत्र में लिखी ये बातें
पत्र में शिक्षकों ने लिखा है कि कोरोना वायरस की इस वैश्विक महामारी में विश्व के कई देशों के साथ अपना देश और प्रदेश भी कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहा है। दुनिया में प्रतिदिन लाखों लोग इस महामारी से संक्रमित और हजारों लोग बेमौत मारे जा रहे हैं।

ऐसे में अगर कोरोना वायरस की दवाई के प्रयोग के लिए प्रदेश के चिकित्सकों अथवा वैज्ञानिकों को मानव शरीर की आवश्यकता हो, जिस पर वे दवाईयों का प्रयोग करना चाहते हो, तो वे इस प्रयोग के लिए अपना शरीर देने को तैयार है। अगर दवाई का प्रयोग सफल हो जाता है तो हमारा प्रदेश व हमारे चिकित्सक विश्व में इस तरह की महामारी से करोड़ों लोगों को बचा सकते है। इतने लोगों को बचाने के लिए अगर हमारे शरीर पर कोरोना वायरस की दवाई का प्रयोग किया जाता है तो हमें प्रसन्नता होगी। हम राजस्थानी किसी से कम नहीं है, देश व प्रदेश के लिए हर पल तैयार है। अतः वे इस देश के नागरिक होने के नाते राष्ट्रहित में कोविड-19 वायरस की वैक्सीन परीक्षण व शोध के लिए अपने शरीर पर प्रयोग की सहमति प्रदान करते है।

Post a Comment

0 Comments