आत्मनिर्भर बनने के लिए जरूरी है देश में फैले भ्रष्टाचार को रोकना : संदीप रावत, सामाजिक कार्यकर्ता
टीम अजेयभारत: आत्म निर्भर होना, चाहें हमारे लिए हो या देश के लिए बहुत अच्छी बात है। आज हमारा देश भी आत्मनिर्भर होने का एक सपना देख रहा है। हमारी सरकार भी देश को आत्मनिर्भर बनाने की ख्वाहिश रखते हुए, स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करने का सुझाव दिया गया है। अब हमारे यहां पुलिस और सैनिक कैंटीन में मिलने वाला समान पूर्ण रूप से स्वदेशी होगा। देश में बना समान खरीद कर देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना, एक अच्छा विचार है। किन्तु क्या हम आज के समय में आत्मनिर्भर होने के लिए तैयार है।
हमारे देश में मिलने वाली वस्तु, बहुत महंगी होती है या फिर उतनी अच्छी गुणवत्ता की नहीं है। फिर क्या इस हकीकत को जानते हुए, हम स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग कर सकते हैं। जहां प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में विदेशी कम्पनियों के फोन नज़र आते हैं। हमारी दिन चर्या में प्रत्येक दिन हम बहुत सी वस्तुएं ऐसी प्रयोग करते हैं, जो विदेशी होती हैं।
AFP आंकड़ों के मुताबिक भारत की आबादी का 37 फीसदी हिस्सा ग़रीबी रेखा से नीचे है। जिन्हें सरकार मदद करतीं हैं। किंतु हमारे देश की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है, जिनकी कमाई 10-15 हजार है और इस परिवार में चार-पांच सदस्य हो तब उनके लिए अपना जीवन जीना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में हम कैसे सोच सकते हैं। कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, महंगी स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग किया जाएं। देश के विकास में ही हमारा हित है। स्वदेशी वस्तुएं खरीदने से हमारा आर्थिक विकास होगा और बेरोज़गारी घटे की। ऐसा हो सकता है, लेकिन इस से पहले हमें यह विचार करना होगा कि क्या इस के लिए देशवासी तैयार है।
हमारे देश की एक बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है। जिसकी जड़ें आज बहुत मजबूत हो चुकी है। देश के आत्मनिर्भर बनने के लिए जरूरी है कि हम स्वदेशी वस्तुओं को जीवन में उपयोग करें। किन्तु उससे भी ज्यादा जरूरी है कि हम अपने देश में फैले भ्रष्टाचार को रोकें। ताकि देशी व्यापार को बढ़ावा मिले। वह कुछ हद तक सस्ते हो सकें और उनके लिए व्यापार करना आसान हो।
हमारे देश में एक बड़ी चुनौती है। सरकारी कार्यालयों में होने वाले काम। हमारे देश में सरकार और सरकारी कार्यालयों द्वारा किए जाने वाले कार्यों में इतना अधिक समय लगता है कि यह देश के छोटे व्यापारियों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। ऐसे में अपने व्यवसाय को शुरू करना और चलना बहुत अधिक मुश्किल और खर्च दायक होता है। जिसकी वजह से देश में बनने वाली वस्तुएं महंगी हो जाती है।
एक ओर हम देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग पर जोर दें रहें है। दूसरी ओर चाइना से पलायन करने वाली कम्पनियों को अपने देश में लाने की तैयारी में मजदूरों के अधिकारों में कमी की गई है। आखिर हम ऐसी दोहरी नीति से कैसे देश को आत्मनिर्भर बना सकेंगे। देश के लिए आत्मनिर्भर होना जरूरी है। जिसके लिए हमें आर्थिक मजबूती की आवश्यकता है और यह आर्थिक मजबूती हमें तब मिलेगी। हमें जरूरत है अपने देश में व्यापार को बढ़ावा देने के साथ ही, अधिक से अधिक निर्यात करने पर भी ध्यान देना चाहिए।
हमें चाहिए कि हम सस्ता और अच्छा सामान अपनी ही देश की जनता को नहीं, बल्कि पूरे विश्व को उपलब्ध कराएं। यही एक माध्यम है देश को आत्मनिर्भर बना कर।
अपने देश में बेरोजगारी को खत्म करना। केवल विचार करने से यह कार्य संभव नहीं है। इसके लिए हमें अपनी प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है।भ्रष्टाचार और देरी से फैसले लेना, अपने लाभ को ध्यान में रख कर नियम और राजनीति से बचना जरूरी है। तभी हम आत्म निर्भर बन सकते है।
टीम अजेयभारत: आत्म निर्भर होना, चाहें हमारे लिए हो या देश के लिए बहुत अच्छी बात है। आज हमारा देश भी आत्मनिर्भर होने का एक सपना देख रहा है। हमारी सरकार भी देश को आत्मनिर्भर बनाने की ख्वाहिश रखते हुए, स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करने का सुझाव दिया गया है। अब हमारे यहां पुलिस और सैनिक कैंटीन में मिलने वाला समान पूर्ण रूप से स्वदेशी होगा। देश में बना समान खरीद कर देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना, एक अच्छा विचार है। किन्तु क्या हम आज के समय में आत्मनिर्भर होने के लिए तैयार है।
हमारे देश में मिलने वाली वस्तु, बहुत महंगी होती है या फिर उतनी अच्छी गुणवत्ता की नहीं है। फिर क्या इस हकीकत को जानते हुए, हम स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग कर सकते हैं। जहां प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में विदेशी कम्पनियों के फोन नज़र आते हैं। हमारी दिन चर्या में प्रत्येक दिन हम बहुत सी वस्तुएं ऐसी प्रयोग करते हैं, जो विदेशी होती हैं।
AFP आंकड़ों के मुताबिक भारत की आबादी का 37 फीसदी हिस्सा ग़रीबी रेखा से नीचे है। जिन्हें सरकार मदद करतीं हैं। किंतु हमारे देश की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है, जिनकी कमाई 10-15 हजार है और इस परिवार में चार-पांच सदस्य हो तब उनके लिए अपना जीवन जीना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में हम कैसे सोच सकते हैं। कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, महंगी स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग किया जाएं। देश के विकास में ही हमारा हित है। स्वदेशी वस्तुएं खरीदने से हमारा आर्थिक विकास होगा और बेरोज़गारी घटे की। ऐसा हो सकता है, लेकिन इस से पहले हमें यह विचार करना होगा कि क्या इस के लिए देशवासी तैयार है।
हमारे देश की एक बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है। जिसकी जड़ें आज बहुत मजबूत हो चुकी है। देश के आत्मनिर्भर बनने के लिए जरूरी है कि हम स्वदेशी वस्तुओं को जीवन में उपयोग करें। किन्तु उससे भी ज्यादा जरूरी है कि हम अपने देश में फैले भ्रष्टाचार को रोकें। ताकि देशी व्यापार को बढ़ावा मिले। वह कुछ हद तक सस्ते हो सकें और उनके लिए व्यापार करना आसान हो।
हमारे देश में एक बड़ी चुनौती है। सरकारी कार्यालयों में होने वाले काम। हमारे देश में सरकार और सरकारी कार्यालयों द्वारा किए जाने वाले कार्यों में इतना अधिक समय लगता है कि यह देश के छोटे व्यापारियों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। ऐसे में अपने व्यवसाय को शुरू करना और चलना बहुत अधिक मुश्किल और खर्च दायक होता है। जिसकी वजह से देश में बनने वाली वस्तुएं महंगी हो जाती है।
एक ओर हम देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग पर जोर दें रहें है। दूसरी ओर चाइना से पलायन करने वाली कम्पनियों को अपने देश में लाने की तैयारी में मजदूरों के अधिकारों में कमी की गई है। आखिर हम ऐसी दोहरी नीति से कैसे देश को आत्मनिर्भर बना सकेंगे। देश के लिए आत्मनिर्भर होना जरूरी है। जिसके लिए हमें आर्थिक मजबूती की आवश्यकता है और यह आर्थिक मजबूती हमें तब मिलेगी। हमें जरूरत है अपने देश में व्यापार को बढ़ावा देने के साथ ही, अधिक से अधिक निर्यात करने पर भी ध्यान देना चाहिए।
हमें चाहिए कि हम सस्ता और अच्छा सामान अपनी ही देश की जनता को नहीं, बल्कि पूरे विश्व को उपलब्ध कराएं। यही एक माध्यम है देश को आत्मनिर्भर बना कर।
अपने देश में बेरोजगारी को खत्म करना। केवल विचार करने से यह कार्य संभव नहीं है। इसके लिए हमें अपनी प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है।भ्रष्टाचार और देरी से फैसले लेना, अपने लाभ को ध्यान में रख कर नियम और राजनीति से बचना जरूरी है। तभी हम आत्म निर्भर बन सकते है।
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