पहली बार परिवार दिवस मनाया जा रहा है परिवारों के साथ
आज 15 मई को परिवार दिवस के रूप में जाना जाता है लेकिन अफसोस यह है कि यह परिवार दिवस ज्यादातर परिवारों की जानकारी में ही नहीं और अगर जानकारी हो तो भी लोगों को चंद पैसे कमाने और अच्छे से अच्छी जिंदगी जीने की होड़ ने पूरी तरह से अपनी जकड़ में ले कर सब कुछ भूलने को मजबूर किया हुआ है।
समग्र विश्व में कोरोनावायरस महामारी ने अपने पैर पसार रखे हैं एवं कई जिंदगीयों को अपने आगोश में ले लिया है तथा कई जिंदगियां अभी भी बिल्कुल मौत के मुहाने पर खड़ी हैं। सरकारों द्वारा लोक डाउन लगाए गए हैं कई जगह कर्फ्यू लगाए गए हैं। कई तरह की हेल्थ एडवाइजरी भी जारी की गई है। सभी जगह के प्रशासनों द्वारा स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि अपने घरों में रहे अपने परिवारों के संग रहे सुरक्षित रहें। ऐसे में यह भी देखने को मिल रहा है कि लोक डाउन के चलते कोरोनावायरस के डर से इस भागदौड़ वाले वक्त में दूर दूर रहने वाले परिजन भी अपने परिवार के साथ सुरक्षित रहकर अपना वक्त बिता रहे हैं। जहाँ एक तरफ लोगों में कोरोना का भय देखा जा सकता है वहीं घरों में कहीं कोई कुछ खेल खेल रहा है तो कोई अपनी रसोई में कुछ पकवान बना रहा है। कोई टीवी देख रहा है तो कोई इंटरनेट पर वीडियो बना रहा है।
चाहे किसी भी प्रकार से हो परन्तु सभी लोग एक दूसरे का मनोरंजन करते हुए परिवार में एक साथ वक्त बिता रहे हैं। जहां देखा जाता है कि किसी को किसी की परवाह ही नही, सभी बस अपनी अलग ही दुनिया में जीते हैं परन्तु इसके उलट देखा जाए तो आजकल दिनचर्या भी व्यस्तता के बिल्कुल विपरीत कुछ इस तरह से हो गई है कि दिन की शुरुआत में सभी अपने अपने दैनिक कार्य में थोड़ा व्यस्त रहते हैं, पर दोपहर आते-आते सभी का एक दूसरे के साथ बैठकर भोजन करते हैं। शाम होते-होते एक साथ तरह तरह के खेल खेलना और गृहिणियों का रसोई में नए नए पकवान बनाना एवं सबसे महत्वपूर्ण जहाँ आज कल के बच्चे अपनी अलग ही दुनिया में जीना पसंद करते हैं, वहाँ रात्रि होते-होते बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी का एक साथ बैठकर रामायण एवं महाभारत जैसे धार्मिक धारावाहिक देखना अत्यंत ही सुंदर नज़ारा प्रतीत होता है।
लॉक डाउन में इस तरह के बहुत नजारे देखने को मिल रहे हैं और जो कि एक तरह से अच्छा भी है। एक तरफ बड़े-बड़े शहरों की प्रदूषण भरी सांसें हैं तो दूसरी तरफ अपने गांव अपने घर की स्वच्छ हवा, एक तरफ घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक की भागदौड़ वहीं दूसरी तरफ पूरे परिवार का एक साथ बैठकर खाना खाते हुए मस्ती करना, परिवार के संग फुर्सत के पल बिताना एवं प्रेमभाव देखने को मिल रहा है। देखा जाए तो बहुत ही कम वक्त मिलता है अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का, इसलिए सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे अपने परिवार के साथ वक्त बिताएं और इस समय को यादगार बनाएं।
ज़िन्दगी की किसी भी परिस्थिति में,
किसी को भी ना मिले कभी हार।
दिखावे की इस होड़ को छोड़,
स्वस्थ और सुखी रहे हर परिवार।।
-युवाकवि एवं लेखक अरमान राज़ आर्य
आज 15 मई को परिवार दिवस के रूप में जाना जाता है लेकिन अफसोस यह है कि यह परिवार दिवस ज्यादातर परिवारों की जानकारी में ही नहीं और अगर जानकारी हो तो भी लोगों को चंद पैसे कमाने और अच्छे से अच्छी जिंदगी जीने की होड़ ने पूरी तरह से अपनी जकड़ में ले कर सब कुछ भूलने को मजबूर किया हुआ है।
समग्र विश्व में कोरोनावायरस महामारी ने अपने पैर पसार रखे हैं एवं कई जिंदगीयों को अपने आगोश में ले लिया है तथा कई जिंदगियां अभी भी बिल्कुल मौत के मुहाने पर खड़ी हैं। सरकारों द्वारा लोक डाउन लगाए गए हैं कई जगह कर्फ्यू लगाए गए हैं। कई तरह की हेल्थ एडवाइजरी भी जारी की गई है। सभी जगह के प्रशासनों द्वारा स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि अपने घरों में रहे अपने परिवारों के संग रहे सुरक्षित रहें। ऐसे में यह भी देखने को मिल रहा है कि लोक डाउन के चलते कोरोनावायरस के डर से इस भागदौड़ वाले वक्त में दूर दूर रहने वाले परिजन भी अपने परिवार के साथ सुरक्षित रहकर अपना वक्त बिता रहे हैं। जहाँ एक तरफ लोगों में कोरोना का भय देखा जा सकता है वहीं घरों में कहीं कोई कुछ खेल खेल रहा है तो कोई अपनी रसोई में कुछ पकवान बना रहा है। कोई टीवी देख रहा है तो कोई इंटरनेट पर वीडियो बना रहा है।
चाहे किसी भी प्रकार से हो परन्तु सभी लोग एक दूसरे का मनोरंजन करते हुए परिवार में एक साथ वक्त बिता रहे हैं। जहां देखा जाता है कि किसी को किसी की परवाह ही नही, सभी बस अपनी अलग ही दुनिया में जीते हैं परन्तु इसके उलट देखा जाए तो आजकल दिनचर्या भी व्यस्तता के बिल्कुल विपरीत कुछ इस तरह से हो गई है कि दिन की शुरुआत में सभी अपने अपने दैनिक कार्य में थोड़ा व्यस्त रहते हैं, पर दोपहर आते-आते सभी का एक दूसरे के साथ बैठकर भोजन करते हैं। शाम होते-होते एक साथ तरह तरह के खेल खेलना और गृहिणियों का रसोई में नए नए पकवान बनाना एवं सबसे महत्वपूर्ण जहाँ आज कल के बच्चे अपनी अलग ही दुनिया में जीना पसंद करते हैं, वहाँ रात्रि होते-होते बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी का एक साथ बैठकर रामायण एवं महाभारत जैसे धार्मिक धारावाहिक देखना अत्यंत ही सुंदर नज़ारा प्रतीत होता है।
लॉक डाउन में इस तरह के बहुत नजारे देखने को मिल रहे हैं और जो कि एक तरह से अच्छा भी है। एक तरफ बड़े-बड़े शहरों की प्रदूषण भरी सांसें हैं तो दूसरी तरफ अपने गांव अपने घर की स्वच्छ हवा, एक तरफ घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक की भागदौड़ वहीं दूसरी तरफ पूरे परिवार का एक साथ बैठकर खाना खाते हुए मस्ती करना, परिवार के संग फुर्सत के पल बिताना एवं प्रेमभाव देखने को मिल रहा है। देखा जाए तो बहुत ही कम वक्त मिलता है अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का, इसलिए सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे अपने परिवार के साथ वक्त बिताएं और इस समय को यादगार बनाएं।
ज़िन्दगी की किसी भी परिस्थिति में,
किसी को भी ना मिले कभी हार।
दिखावे की इस होड़ को छोड़,
स्वस्थ और सुखी रहे हर परिवार।।
-युवाकवि एवं लेखक अरमान राज़ आर्य
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