शहीदों को केंद्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ परिवार ने श्रद्धांजलि दी

महेन्द्रगढ़ : 18 जून

लद्दाख की गलवन घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अतिक्रमण को लेकर  पड़ोसी देश चीन की सेना के साथ हुई खूनी झड़प में शहीद हुए सेना के 20 बहादुरों को हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ परिवार ने श्रद्धांजलि दी ।

विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर आरसी कुहाड़ ने सीमा पर चीन की हरकत को शर्मनाक बताते हुए कहा कि भारत की सीमाओं की सुरक्षा में शहीद हुए भारतीय जवानों का बलिदान महान बलिदान है। जिस तरह उन्होंने अपनी जान पर खेलकर चीन के नापाक इरादों को ध्वस्त किया है उससे स्पष्ट हो गया है कि भारतीय सेना अब चीन को मुहंतोड़ जवाब देने से पीछे हटने वाली नहीं है।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से चीन लगातार भारत के साथ अनावश्यक रूप से सीमा विवाद को हवा देने में जुटा है उससे उसकी मंशा पर संदेह होना लाजमी है। हालांकि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि अब हम चुप नहीं बैठेगें। प्रधानमंत्री का कहना है कि भारतीय सैनिकों का बलिदान सर्वोच्च बलिदान है। विश्वविद्यालय कुलपति ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिवारजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि हमें ऐसे वीर सपूतों पर गर्व है जो मातृभूमि की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर कर देते हैं ।

विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) ईकाई ने इस संबंध में एक पोस्टर जारी कर शहीद जवानों को श्रृद्धांजलि दी और उनके बलिदान को नमन किया। ईकाई के संयोजक डॉ. दिनेश चहल ने कहा कि हमारी यह जिम्मेदारी बन है कि हम न सिर्फ वीर सपूतों के बलिदान को याद रखें बल्कि पड़ोसी मुल्क के द्वारा जारी अनुचित गतिविधियों के प्रति आमजन को जागरूक करें।

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