एमरजेंसी की याद दिला रही है भाजपा सरकार : माईकल सैनी
गुरूग्राम:टीम अजेयभारत:प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया यानी पी.टी.आई. को सरकार खुली धमकी दे रही है वह भी लिखित तौर पर !
वर्षों पुरानी प्रमाणिक समाचार समिति की हिंदी शाखा पी.टी.आई. जो वाणिज्यिक दूतावासों , आकाशवाणी, दूरदर्शन, और विभिन्न मंत्रालयों आदि को सेवाएँ देती -लेती रही है तथा इन्हीं संस्थानों और प्रसार भारती के माध्यम से ही वार्षिक फीस करीब 9.15 करोड़ रुपए पाती है जिसपर सरकार ने रोक लगाने की धमकी दी है व आरोप लगाया है कि वह राष्ट्रविरोधी कार्य कर रही है ।
धमकाते हुए चिट्ठी में कहा गया है कि राजधानी दिल्ली में चीनी दूतावास में राजदूत सुन विदोंग और पेइचिंग में भारतीय दूतावास में भारतीय राजदूत श्री विक्रम मिसरी के मध्य जो भेंट वार्ताएं हुई उन्हें प्रसारित की गई वह राष्ट्रविरोधी है अथवा यह स्पस्ट रूप से नहीं कह रही है कि इससे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के उस वक्तव्य का खंडन होता है जिसमे उन्होंने कहा था कि चीन भारत की सीमा में घुसा ही नहीं है ।
दरअसल हमारे भारतीय राजदूत ने भेंटवार्ता में चीन के राजदूत से स्पस्ट कहा है कि वह पहले भारत की जमीन को खाली करे - दूसरी तरफ चीनी राजदूत ने भी भारत की जमीन से कब्जा हटाने की बात कही है और ताज्जुब की बात यह है कि यही बातें कमोवेश चीनी और भारतीय विदेशमंत्रियों ने भी कही हैं - अब आप तय कर बताएं कि इसमें राष्ट्रविरोधी काम हुआ याँ मोदीविरोधी काम हुआ ?
पत्रकारों का तो काम ही खबरों के लिए बयान उगलवाना होता है - जिन बातों (बयानों ) को सहजता से पत्रकार पूछ लेते हैं सम्भवतः वह बातें दोनों देशों के समकक्ष वार्ताकार भी नहीं पूछ सकते हैं ।
अब उनके ईस हुनर को देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगा दबाने का प्रयास कर प्रेस की प्रतिष्ठा पर अंकुश लगाने का काम कर प्रसार भारती अपनी ही छवि को धूमिल कर रही है ।
ऐसा तो 1986 बोफोर्स कांड के समय जिनेवा में हुई चर्चा की खबरें सबसे पहले भाषा के द्वारा प्रसारित करने पर भी नहीं हुई जब देश के प्रधानमंत्री स्व. श्री राजीव गांधी हुआ करते थे ।
हिंदुस्थान समाचार के पत्रकार तो पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी के समय लगी एमरजेंसी के समय भी नहीं दबे उन्हें आज आरोप लगा दबाने का प्रयास किया जा रहा है ,प्रेस की स्वतंत्रता को अपने मन मुताबिक ढालने का प्रयास किया गया है जो आपातकाल की याद को ताजा करने के लिए काफी है ।
तरविंदर सैनी ( माईकल ) यह अपील करता है केंद्र सरकार से कि जिन अधिकारियों ने यह तोहमत लगाई है उन्हें फटकार लगाते हुए उनसे प्रसार भारती खेद प्रकट करवाए जिससे खबरें निरंकुश प्रकाशित होती रहें और पी.टी.आई. जैसी विश्वसनीय समिति की गरिमा बनी रहे ।
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