गुरूग्राम। 5 जून दिन शुक्रवार को जन हितकारी संगठन गुरूग्राम के कार्यकर्ताओं ने विश्व पर्यावरण दिवस पर वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर 551 वृक्षारोपण के महायज्ञ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर भारत के विभिन्न राज्यों के अलग अलग क्षेत्रों गुरुग्राम, मालदा टाउन, मेरठ, कठिहार, गोरखपुर, नोएडा, दिल्ली, मुज्जफफर नगर आदि क्षेत्रों में वृक्षारोपण किया गया। इसमें छायादार व फलदार पौधे जैसे नीम, पीपल, आम, बड़ इत्यादि का रोपण किया गया।
हमें ह्रदय से प्रकृति से प्रेम करना चाहिए क्योंकि प्रकृति अमृत प्राप्त करने में हमारी मदद करती है। इसलिये वनस्पति (पेड़, पौधे इत्यादि) को शंकर कहा गया, जल स्त्रोत को विष्णु कहा गया और वायुमण्डल को ब्रह्मा कहा गया। शंकर और विष्णु अर्थात वनस्पति और पीने के जल स्त्रोत के प्रति सम्मान का भाव पैदा करना अध्यात्म में प्रवेश का पहला कदम है। प्रकृति हमारे लिए उपहार है। हमें इस उपहार का पूरा ध्यान रखना चाहिए। जमीन में गढ़ी सम्पत्ति सपना हो सकती है, झूठ हो सकती है लेकिन जमीन के ऊपर की पर्यावरण सम्पत्ति हकीकत है, सत्य है, हमारे पास है। अगर हम पर्यावरण सम्पत्ति को खो देंगे तो हमारा पृथ्वी पर अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। इसीलिए -
वृक्षों का सत्कार + नदियों का श्रृंगार + प्रदुषण का बहिष्कार = प्रकृति को नमस्कार।
पर्यावरण प्रदूषण फैलाने के लिए उद्योगपतियों को कोसने की बजाय खुद से भी यह संकल्प ले कि हम पर्यावरण-मैत्री जीवन शैली अपनाएं क्योंकि प्रदूषण कल-कारखानों के साथ ही हमारे द्वारा प्लास्टिक की थैलियों को इधर-उधर फेंक देने तथा बहती नदियों में कूड़ा-कचरा फेंकने और गाड़ियों के धुएं को को फैलाने जैसी तमाम चीजों से भी होता है।
पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो धर्म रहेगा, धर्म रहेगा तो मानवता रहेगी, मानवता रहेगी तो इंसान खुशहाल रहेगा इसलिए प्रकृति से प्रेम करें। साधना स्वांस से होती है, स्वांस वृक्ष देते हैं इसलिए वृक्षारोपण करके उसको पालना बहुत जरूरी है। वृक्ष देवता हैं, भूमि के वस्त्र हैं अर्थात ये सब हमें देने वाले हैं जैसे - वृक्ष, सूर्य, चन्द्रमा, पशु-पक्षी इत्यादि। श्री कृष्ण जी श्रीमद् भगवद् गीता में अर्जुन से कहते हैं कि - हे अर्जुन ! देवताओं का पूजन अविधि है अर्थात गलत है। तुम इन्हें उन्नत करो ये तुम्हें उन्नत करेंगे। तुम वृक्षों, पशु-पक्षी इत्यादि की देखभाल करो, ये तुम्हें बदले में बहुत कुछ उपयोगी सामान देंगे। इनको पूजन से कोई लाभ नहीं मिलेगा, केवल देखभाल करने से ही मिलेगा। अत: प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में कम से कम एक वृक्ष लगाकर उसे पालना चाहिए।
वृक्षों से ही हमारा जीवन है, इसलिए हम सभी को वृक्ष लगाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान जरूर देना चाहिए।
इस अवसर पर विकाश, प्रमोद, प्रेम, शशिकांत, सुनिल, पिंटू, अनिल, सूजन, ऋषि आदि ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
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