बाल यौन शोषण रोकथाम में सामाज की भूमिका- विषय पर भारत फर्स्ट संस्था द्वारा वेबिनार आयोजित
एन जी ओ, सामाजिक कार्यकर्ता, जिला सुरक्षा अधिकारी व सेवा निवृत्त पुलिस अधिकारियों ने विशेष रूप से कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम अध्यक्ष अधिवक्ता मनीष शांडिल्य ने सभी प्रतिभागियों का आभार जताया।
Gurugram: Team Ajeybharat: समाज मे बढ़ते बाल यौन अपराधों और हिंसा को देखते हुए सोमवार को भारत फर्स्ट संस्था ने इस ज्वलंत मुद्दे पर एक ऑनलाइन चर्चा आयोजित करी जिसमें प्रदेश और जिले के सामाजिक कार्यकर्ताओं, अधिवक्ताओं समेत बाल अपराध नियंत्रण और सुरक्षा के मुद्दे पर कार्य करने वाली कई एन जी ओ व सेवा निवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधिकरियों ने चर्चा में हिस्सा लिया।
इसमें विशेष तौर से जिला सुरक्षा अधिकारी श्रीमती मीना कुमारी ने अपनी राय रखी जबकि श्री नवीन जी भी कानूनी पक्ष के लिए उपस्थित थे । कार्यक्रम में श्री मनोज शर्मा जी बतौर मुख्य अतिथि रहे। चर्चा में कहा गया कि बाल यौन अपराध एक बहुत बड़ा सामाजिक अभिशाप और गंभीर अपराध है और इस बुराई को जड़ से खत्म करने की जरूरत है जिसपर सामाजिक कार्यकर्त्ता, एन जी ओ समाज मे काम करे, पीड़ित बच्चों के साथ ऐसी किसी हिंसा की पुलिस या बाल संरक्षण विभाग को तुरंत जानकारी दी जाए। यह ऐसा अपराध है जिसका दुष्प्रभाव पीड़ित बच्चे के मन पर जीवन भर बना रहता है और कई बच्चे गंभीर मानसिक बीमारी का शिकार हो जाते हैं।
प्रतिभागियों ने विद्यालयों में आवश्यक यौन शिक्षा पर भी जोर दिया। जब भी ऐसी कहीं कोई घटना हो तो कहीं भी मामले को दबाया नही जाए बल्कि तुरन्त प्रशासन को सूचना दी जाए। कार्यक्रम अध्यक्ष अधिवक्ता मनीष शांडिल्य ने कहा कि आजकल बाल अपराध को पुलिस बहुत अधिक गम्भीरता से लेती है और एक निश्चित कम समय में जांच कर चार्ज शीट फ़ाइल करनी होती है। फ़ास्ट ट्रैक अदालतें बनाई गई हैं और जल्दी फैसले होते हैं और इन मामलों को अदालतें भी बहुत गंभीरता से लेती हैं और कई मुकदमों में मृत्युदंड का भी प्रावधान है। ज्ञात हो कि भारत फर्स्ट संस्था के अन्तगर्त इस वेबिनार कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
अधिवक्ता मनीष शांडिल्य ने कहा है कि आगे भी ये संस्था इस प्रकार हर सामाजिक मुद्दे और राष्ट्रीय हित के विषय पर जागरूकता और सुधार के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगी ताकि समाज मे व्यापक स्तर पर ऐसे मुद्दों पर बहस छेड़ी जाए और लोगों का नजरिया छुपाने या "जाने दो मुझे क्या" की बजाय "आओ इसे ठीक करें" हो ताकि एक बेहतर और सभ्य समाज का सपना साकार हो और इसमेंआम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो।
एन जी ओ, सामाजिक कार्यकर्ता, जिला सुरक्षा अधिकारी व सेवा निवृत्त पुलिस अधिकारियों ने विशेष रूप से कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम अध्यक्ष अधिवक्ता मनीष शांडिल्य ने सभी प्रतिभागियों का आभार जताया।
Gurugram: Team Ajeybharat: समाज मे बढ़ते बाल यौन अपराधों और हिंसा को देखते हुए सोमवार को भारत फर्स्ट संस्था ने इस ज्वलंत मुद्दे पर एक ऑनलाइन चर्चा आयोजित करी जिसमें प्रदेश और जिले के सामाजिक कार्यकर्ताओं, अधिवक्ताओं समेत बाल अपराध नियंत्रण और सुरक्षा के मुद्दे पर कार्य करने वाली कई एन जी ओ व सेवा निवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधिकरियों ने चर्चा में हिस्सा लिया।
इसमें विशेष तौर से जिला सुरक्षा अधिकारी श्रीमती मीना कुमारी ने अपनी राय रखी जबकि श्री नवीन जी भी कानूनी पक्ष के लिए उपस्थित थे । कार्यक्रम में श्री मनोज शर्मा जी बतौर मुख्य अतिथि रहे। चर्चा में कहा गया कि बाल यौन अपराध एक बहुत बड़ा सामाजिक अभिशाप और गंभीर अपराध है और इस बुराई को जड़ से खत्म करने की जरूरत है जिसपर सामाजिक कार्यकर्त्ता, एन जी ओ समाज मे काम करे, पीड़ित बच्चों के साथ ऐसी किसी हिंसा की पुलिस या बाल संरक्षण विभाग को तुरंत जानकारी दी जाए। यह ऐसा अपराध है जिसका दुष्प्रभाव पीड़ित बच्चे के मन पर जीवन भर बना रहता है और कई बच्चे गंभीर मानसिक बीमारी का शिकार हो जाते हैं।
प्रतिभागियों ने विद्यालयों में आवश्यक यौन शिक्षा पर भी जोर दिया। जब भी ऐसी कहीं कोई घटना हो तो कहीं भी मामले को दबाया नही जाए बल्कि तुरन्त प्रशासन को सूचना दी जाए। कार्यक्रम अध्यक्ष अधिवक्ता मनीष शांडिल्य ने कहा कि आजकल बाल अपराध को पुलिस बहुत अधिक गम्भीरता से लेती है और एक निश्चित कम समय में जांच कर चार्ज शीट फ़ाइल करनी होती है। फ़ास्ट ट्रैक अदालतें बनाई गई हैं और जल्दी फैसले होते हैं और इन मामलों को अदालतें भी बहुत गंभीरता से लेती हैं और कई मुकदमों में मृत्युदंड का भी प्रावधान है। ज्ञात हो कि भारत फर्स्ट संस्था के अन्तगर्त इस वेबिनार कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
अधिवक्ता मनीष शांडिल्य ने कहा है कि आगे भी ये संस्था इस प्रकार हर सामाजिक मुद्दे और राष्ट्रीय हित के विषय पर जागरूकता और सुधार के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगी ताकि समाज मे व्यापक स्तर पर ऐसे मुद्दों पर बहस छेड़ी जाए और लोगों का नजरिया छुपाने या "जाने दो मुझे क्या" की बजाय "आओ इसे ठीक करें" हो ताकि एक बेहतर और सभ्य समाज का सपना साकार हो और इसमेंआम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो।
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