गुरूग्राम। 5 जुलाई दिन रविवार को "जन हितकारी संगठन" के कार्यकर्ताओं ने देश में चल रहे "वन महोत्सव" को मनाया। इस अवसर गुरुग्राम के धनवापुर गांव में वृक्षारोपण किया गया। इसमें छायादार व फलदार पौधे जैसे पीपल, नीम, अमरूद, बड़, शीशम इत्यादि का रोपण किया गया।
इस संगठन के कार्यकर्ता प्रमोद ने बताया है कि वन महोत्सव भारत में प्रतिवर्ष जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाने वाला महोत्सव है। यह महोत्सव भारत सरकार द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित किया जाता है।
पर्यावरण दिवस पर जो हमने 551 पौधों का वृक्षारोपण करने की शपथ ली थी उसका यह दूसरा चरण है और इसे हम सावन के महीने में ही पूरा करेंगे। हमें ह्रदय से प्रकृति से प्रेम करना चाहिए क्योंकि प्रकृति अमृत प्राप्त करने में हमारी मदद करती है।
प्रकृति हमारे लिए उपहार है। हमें इस उपहार का पूरा ध्यान रखना चाहिए। जमीन में गढ़ी सम्पत्ति सपना हो सकती है, झूठ हो सकती है लेकिन जमीन के ऊपर की पर्यावरण सम्पत्ति हकीकत है, सत्य है, हमारे पास है। अगर हम पर्यावरण सम्पत्ति को खो देंगे तो हमारा पृथ्वी पर अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो धर्म रहेगा, धर्म रहेगा तो मानवता रहेगी, मानवता रहेगी तो इंसान खुशहाल रहेगा इसलिए प्रकृति से प्रेम करें। साधना स्वांस से होती है, स्वांस वृक्ष देते हैं इसलिए वृक्षारोपण करके उसको पालना बहुत जरूरी है। वृक्ष देवता हैं, भूमि के वस्त्र हैं अर्थात ये सब हमें देने वाले हैं जैसे - वृक्ष, सूर्य, चन्द्रमा, पशु-पक्षी इत्यादि। तुम वृक्षों, पशु-पक्षी इत्यादि की देखभाल करो, ये तुम्हें बदले में बहुत कुछ उपयोगी सामान देंगे। इनको पूजन से कोई लाभ नहीं मिलेगा, केवल देखभाल करने से ही मिलेगा। अत: प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में कम से कम एक वृक्ष लगाकर उसे पालना चाहिए। वृक्षों से ही हमारा जीवन है, इसलिए हम सभी को वृक्ष लगाकर पर्यावरण को स्वच्छ रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान जरूर देना चाहिए। इस अवसर पर शशिकांत, सुनिल, अरुण, संदीप, मोहित, ईश्वर, अनिल, भूपेन्द्र, अमित आदि ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
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