वैदिक , पौराणिक , वैज्ञानिक , महत्व के साथ राशि नक्षत्र अनुसार करे वृक्षारोपण पाये अनंत लाभ

वैदिक , पौराणिक , वैज्ञानिक , महत्व के साथ राशि नक्षत्र अनुसार करे वृक्षारोपण पाये अनंत लाभ

सनातन वैदिक काल से ऋषियों ने परम्पराओं में पेड़ों को विशिष्ट महत्ता प्रदान की गई है। पेड़ हमारी संस्कृति के संरक्षक भी माने जाते है। प्रकृति ही ईश्वर की पहली प्रतिनिधि है। प्रकृति के सारे तत्व ईश्वर के होने की सूचना देते हैं इसीलिए प्रकृति को भगवती, दैवीय और पितृ सत्ता माना गया है।

धर्म को वृक्षों का धर्म कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। ब्रह्मांड को उल्टे वृक्ष की संज्ञा दी गई है। पहले यह ब्रह्मांड बीज रूप में था और अब यह वृक्ष रूप में दिखाई देता है। प्रलयकाल में यह पुन: बीज रूप में हो जाएगा। हमारे साधु संतों और महात्माओं ने पेड़ों की छत्रछाया में ही साधना करते हुए ज्ञान प्राप्त किया था। भारत भूमि पर वृक्षों, वनों, पौधों और पत्तों को देवतुल्य मानकर पूजा जाता रहा है। प्रत्येक माँगलिक अवसरों पर घरों के दरवाजों पर कनेर, आम तथा अशोक और केले के पत्तों से सजावट होती रही है। विशेष पर्वों और उत्सवों पर वृक्षों की पूजा अर्चना की जाती है।


वृक्षों की महिमा का बखान करते हुए कहा गया है कि - “ दस कुओं के बराबर एक बावड़ी, दस बावड़ियों के बराबर एक तालाब, दस तालाबों के बराबर एक पुत्र, और दस पुत्रों के बराबर एक वृक्ष होता है।भविष्य पुराण के अध्याय 10-11 में विभिन्न वृक्षों को लगाने और उनका पोषण करने के बारे में वर्णन किया गया है -“ जो व्यक्ति छाया, फूल और फल देने वाले वृक्षों का रोपण करता है या मार्ग में तथा देवालय में वृक्षों को लगाता है, वह अपने पितरों को बड़े-बड़े पापों से तारता है और रोपणकर्ता इस मनुष्यलोक में महती कीर्ति तथा शुभ परिणाम प्राप्त करता है। अतः वृक्ष लगाना अत्यंत शुभदायक है। जिसको पुत्र नहीं है, उसके लिए वृक्ष ही पुत्र है।

 भीष्म पितामह द्वारा महाराज युधिष्ठिर को दिये गये वृक्षों एवं जलाशयों की महत्ता के उपदेश का वर्णन किया गया है ।

 दो श्लोकों को यहां उद्धृत कर रहा हूं

तडागकृत् वृक्षरोपी इष्टयज्ञश्च यो द्विजः ।
एते स्वर्गे महीयन्ते ये चान्ये सत्यवादिनः ॥

(महाभारत, अनुशासन पर्व, अध्याय 58, श्लोक 32)

अर्थ – तालाब बनवाने, वृक्षरोपण करने, अैर यज्ञ का अनुष्ठान करने वाले द्विज को स्वर्ग में महत्ता दी जाती है; इसके अतिरिक्त सत्य बोलने वालों को भी महत्व मिलता है ।


पुष्पिताः फलवन्तश्च तर्पयन्तीह मानवान् ।
वृक्षदं पुत्रवत् वृक्षास्तारयन्ति परत्र च ॥
(महाभारत, अनुशासन पर्व, अध्याय 58, श्लोक 30)

अर्थ – फलों और फूलों वाले वृक्ष मनुष्यों को तृप्त करते हैं । वृक्ष देने वाले अर्थात् समाजहित में वृक्षरोपण करने वाले व्यक्ति का परलोक में तारण भी वृक्ष करते हैं ।


भारतीय जन जीवन में वृक्षों को देवता की अवधारणा परंपरा के फलस्वरुप इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण जी ने विभूतियोग में गीता में “अश्वत्थः सर्व वृक्षाणाम” कहकर वृक्षों की महिमा का गान किया है। एकान्यपुराण के अनुसार “अश्वस्थ” (पीपल) वृक्ष के तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्री हरि और फलों में सब देवताओं से युक्त अच्युत सदा निवास करते हैं।
ब्रह्माण्ड पुराण में धन की देवी लक्ष्मी को कदंबवनवासिनी के रूप में अलंकृत किया गया है। कदंब के पुष्पों से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु को बालरूप में वटपत्रशायी के रूप में उद्बोधित किया जाता है। बृहदारण्यक उपनिषद में पुरूष को वृक्षस्वरूप माना गया है।


ऋषियों के चिंतन में प्रत्येक ग्रह के लिए निर्धारित पेड़ -पौधे

सूर्य –       अकोन ( एकवन)
चन्द्रमा – पलास,
मंगल – खैर,
बुद्ध –     चिरचिरी,
गुरु –      पीपल,
शुक्र –     गुलड़,
शनि –    शमी,
राहु –      दुर्वा व
केतु –     कुश


नक्षत्र अनुसार लगाए वृक्ष

पेड़ नक्षत्र वृक्ष अश्विनी कुचिला, बांस भरणी आंवला, फालसा कृतिका गूलर रोहिणी खैर मृगशिरा खैर आद्र्रा रेशम, बहेड़ा पुनर्वसु बांस पुष्य पीपल अश्लेषा नागकेसर, गंगेरन मघा बरगद पूर्वाफाल्गुनी ढाक उत्तराफाल्गुनी पाकड़, रुद्राक्ष हस्त रीठा चित्रा बेल, नारियल स्वाति अर्जुन विशाखा कटाई, बकुल अनुराधा मौलश्री ज्येष्ठा चीड़, देवदारु मूल साल पूर्वाषाढ़ा अशोक उत्तराषाढ़ा कटहल, फालसा श्रवण मदार (आक) धनिष्ठा शमी शतभिषा कदंभ पूर्वाभाद्रपद आम उत्तराभाद्रपद नीम रेवती महुआ राशि के अनुसार भी लगाएं पौधे आचार्य शास्त्री ने बताया कि राशि के अनुसार भी पौधे हैं। जिन्हें लगाने से समस्याओं का निवारण होता है। राशि पौधे मेष खादिर वृष गूलर मिथुन अपामार्ग कर्क पलाश सिंह आक कन्या दूर्वा तुला गूलर वृश्चिक खादिर धनु पीपल मकर शमी कुंभ शमी मीन कुश।


किस राशि वाले कौन सा पेड़ पौधा-लगाए की सुख-समृद्धि व खुशहाली मिले

भारतीय संस्कृति में पेड़ों को देवता के रूप में पूजने की परंपरा रही है। ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक व्यक्ति की राशि का एक प्रतिनिधि वृक्ष होता है। इसके सान्निध्य और रोपण से शुभफल मिलता है। वास्तु में राशि के अनुसार पेड़ लगाना सकारात्मक फलदायक माना जाता है। सभी लोगों को घरों में पेड़ लगाने के बारे में शुभाशुभ जानना आवश्यक होता है।

अष्टदिग्पाल वृक्ष :

 प्रत्येक दिशा में एक प्रतिनिधि वृक्ष दिग्पाल के रूप में दिशाओं की रक्षा करता है। आठ दिशाओं के प्रतिनिधि वृक्ष भवन तथा भूमि पर लगाने से मंगलकारी होते हैं। इसके तहत उत्तर में जामुन, उत्तर पूर्व में हवन, उत्तर पश्चिम में सादड़, पश्चिम में कदम्ब, दक्षिण पश्चिम में चंदन, दक्षिण में आँवला पूर्व में बाँस तथा दक्षिण पूर्व में गूलर अष्टदिग्पाल वृक्ष पाए जाते हैं।

किस राशि में कौन- सा पौधा शुभ रहेगा आइए जाने:-

 मेष- लाल चंदन मिथुन- कटहल सिंह- पाडल कर्क- पलास तुला- मौलसिरी कन्या- आम धनु- पीपल वृश्चिक- खैर कुंभ- कैगर खैर मकर- शीशम वृष- सप्तपर्णी

कौन सा पेड़ आपको देगा पैसा

ज्योतिष के अनुसार पेड़-पौधों से भी पैसों से जुड़ी आपकी हर परेशानी दूर हो सकती है लेकिन ऐसा तभी होगा जब आप राशि अनुसार इनसे जुड़े उपाय करें। पैसों से जुड़ी परेशानियों के लिए कई तरह के उपाय बताए गए हैं। ज्योतिष में बारह राशियों के स्वामी ग्रह बताए गए हैं। इन ग्रहों का पेड़ पौधे और वनस्पतियों पर प्रभाव बताया गया है। हर ग्रह का किसी न किसी पेड़ पौधे पर विशेष प्रभाव होता है।

किस राशि के लोग क्या उपाय करें?

मेष- मेष राशि वाले मंगलवार को अपने राशि स्वामी मंगल के पेड़ लाल चंदन की पूजा करें और अपने वॉलेट में छोटा लाल चंदन का टुकड़ा रखें।

वृष- इस राशि वालों को अपने राशि स्वामी के अनुसार गुलर के पेड़ की जड़ शुक्रवार के दिन घर लाना चाहिए। और सफेद कपड़े में बांध कर पैसे रखने के स्थान पर रखें। आपके घर में कभी पैसों की कमी नहीं आएगी।

मिथुन- इस राशि का स्वामी बुध होता है। इसलिए पैसों से जुड़ी परेशानी दूर करने के लिए इस राशि वालों को अपामार्ग के पौधे का पत्ता हमेशा अपने वॉलेट में रखना चाहिए।

कर्क- कर्क राशि वाले लोग अगर पैसा चाहते हैं तो पलाश के फूलों की पूजा कर के उन्हे अपनी तिजोरी में या अपने पर्स में रखें। इससे कर्क राशि वालों को कभी आर्थिक तंगी का सामना नही करना पड़ेगा।

सिंह- आंकड़े के पेड़ की लकड़ी आपको पैसों से संबंधित फायदा दिला सकती है। रविवार को आकड़े के पेड़ की पूजा करें और उसकी लकड़ी पैसों के साथ घर में रखें तो घर में बरकत होती है।

कन्या- इस राशि वालों का भी राशि स्वामी बुध है इसलिए इस राशि वालों को भी अपामार्ग की पूजा करनी चाहिए और घर में पैसों के साथ इसकी लकड़ी रखना चाहिए।

तुला- सफेद पलाश का पौधा इस राशि वालों को पैसे सें संबंधित लाभ देने वाला है। सफेद पलाश का फूल सफेद कपड़े में रख कर पैसों के साथ रखें तो आपका पैसा जरूर दुगना होने लगेगा।

वृश्चिक- इस राशि के लोग मंगल देव के लिए मंगलवार को खैर के पेड़ की जड़ लेकर आएं और उसकी पूजा करके धन स्थान पर रखना चाहिए।

धनु- धनु राशि वालों के लिए पिपल ही धन देने वाला पेड़ होता है। इसलिए गुरुवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और पीपल की लकड़ी पैसों के स्थान पर रखें तो हमेशा धन बढ़ता रहेगा।

मकर- मकर राशि वालों को शनि देव की कृपा से ही धन लाभ होता है। इसलिए इस राशि के लोग शनिवार को शमि के पौधे की पूजा करें और उसकी जड़ को अपने वॉलेट में रखें।

कुंभ- कुंभ राशि का भी राशि स्वामी शनि है इसलिए इस राशि वालों को अपने वॉलेट में काले कपड़े में शमि पौधे की लकड़ी अपने साथ रखना चाहिए।

मीन- इस राशि के लोग पीले चंदन की लकड़ी अपने पैसे रखने के स्थान पर रखें तो पैसो का लाभ हमेशा मिलता रहेगा।


 सावन के महीने में शिव-पूजा अर्चना के साथ विल्व वृक्ष का रोपण किया जाना अधिक शुभ फलकारी है। पर्यवरणविद एवं ज्योतिर्विद रविशराय गौड़ ने बताया कि भविष्य पुराण में इस वृक्ष के रोपण की महिमा का वर्णन है। सावन मास में विल्व वृक्ष लगाए जाने से विभिन्न शुभ फलों के साथ आयु की वृद्धि होती है। वैसे सावन मास में हर व्यक्ति को वृक्ष जरूर लगाना चाहिए। वृक्ष भी विविध रत्नों की भांति उत्तम फल देने वाले होते हैं। उनकी सेवा होने वाले लाभों को कई गुना बढ़ा देती है। इसके अलावा हर राशि के अनुसार शिव पूजन की विधि को भी कुछ अलग किया जा सकता है। सावन में हर राशि का जातक शिव पूजन से पहले काले तिल जल में मिलाकर स्नान करे। शिव पूजा में कनेर, मौलसिरी और बेलपत्र जरुर चढ़ाए। राशि के अनुसार पूजन सामग्री शिव पूजा अधिक शुभ फलकारी होता है।

वटवृक्ष की महिमा - 

वटवृक्ष को देवताओं का वृक्ष अर्थात देववृक्ष कहा गया है। इस वृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में जनार्दन विष्णु तथा अग्रभाग में देवाधिदेव महादेव स्थित रहते हैं। देवी सावित्री भी इसी वटवृक्ष में प्रतिष्ठित रहती हैं।

वटमूले स्थितो ब्रह्मा, वटमध्ये जनार्दनः
वटाग्रे तु शिवो देव सावित्री वटसंश्रिता।

इसी अक्षयवट के पत्रपुटक पर प्रलय के अंति‍म चरण में भगवान श्री कृष्ण ने बालरुप में मार्कण्डेय ऋषि को प्रथम दर्शन दिया था।

वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बाल मुकुंदं मनसा स्मरामि।

प्रयागराज में गंगा के तट पर वेणीमाधव के निकट “अक्षयवट” प्रतिष्ठित है। भक्त शिरोमणि तुलसीदास जी ने संगम-स्थित इस अक्षय-वट को तीर्थराज का छत्र कहा है।

संगमु सिंहासनु सुठि सोहा..छत्रु अखयबटु मुनि मनु मोहा. (रा.च.मा.२/१०५/७)

इसी प्रकार तीर्थों में पंचवटी का भी विशेष महत्त्व है। पांच वट वृक्षों से युक्त स्थान को पंचवटी कहा गया है। कुम्भजमुनि के परामर्श से भगवान श्रीराम ने सीता जी एवं लक्षमण के साथ वनवास काल में यहीं निवास किया था।

पेड़ काटने से जीवन में कई प्रकार की परेशानी आती है। ग्रह बाधा भी शुरू हो जाती है। इसलिए कभी भी हरे भरे पेड़ों को नहीं काटना चाहिए। पंडित तिवारी के अनुसार इसी पेड़ काटने वाले लोग अमूमन परेशान ही नजर आते हैं। यह पौधे माने जाते हैं सभी राशियों के लिए शुभ नागचंपा, अशोक, जूही, अर्जुन, नारियल आदि के पौधे या पेड़ लगाना सभी राशियों के लिए शुभ माना जाता है।

सर्वे भवंतु सुखिनः

रविशराय गौड़
ज्योतिर्विद
अध्यात्मचिन्तक
9926910965

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