677 साल बाद गुरु शनि का संयोग 28 अक्टूबर गुरु पुष्य विशेष

677 साल बाद गुरु शनि का संयोग 28 अक्टूबर गुरु पुष्य विशेष



इस बार दीपावली (4 नवंबर, गुरुवार) से 6 दिन पहले यानी 28 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है। इस दिन गुरुवार होने से ये गुरु पुष्य कहलाएगा। पंचांग अनुसार इस बार गुरु पुष्य नक्षत्र 25 घंटे 57 मिनिट रहेगा। इस दिन *सर्वार्थ सिद्धि* और *रवि योग* भी बन रहे हैं।


28 अक्तूबर- गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग

सनातन शास्त्र के अनुसार सभी 27 नक्षत्रों में कुछ नक्षत्र बहुत ही शुभ और फलदायी माने जाते हैं जिसमें से गुरु-पुष्य नक्षत्र बहुत विशेष होता है। 28 अक्तूबर को पूरे दिन और रात के समय पुष्य नक्षत्र रहेगा। गुरु पुष्य नक्षत्र में क्रय करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा 28 अक्तूबर को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग भी रहेगा।


677 साल बाद गुरु-पुष्य योग और गुरु-शनि का दुर्लभ योग

पंचांग  अनुसार 677 साल बाद गुरु-पुष्य योग में शनि और गुरु दोनों ही मकर राशि में विराजमान रहेंगे। ऐसे में इस शुभ संयोग में खरीदारी और निवेश का महामुहूर्त इस बार दिवाली से पहले बन रहा है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव ही हैं। ऐसे में खरीदारी के लिए यह बहुत ही मौका है।


 *गुरु पुष्‍य नक्षत्र शुभ  मुहूर्त* 


चर 11.18 AM से 12.48 PM तक।

लाभ 12.48 PM से 1.52 PM तक ।

अमृत 1.52 PM से 2.51 PM तक।

शुभ 4.48 PM से शाम 6.28 PM तक।

अमृत 6.28 PM से 7.56 PM तक।

चर 7.56 PM से 9.00 PM तक।


 *वाहन खरीदने का मुहूर्त*


सिद्धि योग 6.38 AM से 9.41 AM तक।

शुभ का चौघडिय़ा 6.38 AM से 8.01 AM तक।

शुभ का चौघडिय़ा 4.20 PM से 5.44 PM तक।


 *ये वस्तुए खरीदना लाभकारी-* 


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुष्य नक्षत्र में घर, जमीन, सोने-चांदी के गहने, वाहन या इलेक्ट्रानिक्स  खरीदना शुभ रहता है। इस दिन शेयर मार्केट में निवेश से भी लाभ की प्राप्ति हो सकती है।


 *नए व्यापार की शुरुआत शुभ-* 


सनातन धर्म में पुष्य नक्षत्र में किसी नए काम की शुरुआत करना शुभ माना जाता है। इस दिन नए बहीखाते या कलम-दवात खरीदने से काम-काज की शुभता बढ़ती है।


 गुरु पुष्‍य नक्षत्र क्या है 


27 नक्षत्रों में से एक आठवां नक्षत्र पुष्‍य है और 28वां नक्षत्र अभिजीत है। जिस वार को पुष्य नक्षत्र आता है उसे उसी वार के अनुसार जाना जाता है। जैसे रवि पुष्‍य योग, शनि पुष्य योग, गुरु पुष्य योग। बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए हैं। बाकि दिन आने वाले पुष्‍य नक्षत्र शुभ है और उनमें भी शनि और गुरु पुष्‍य ( गुरु पुष्य नक्षत्र 2021 ) को सबसे शुभ माना गया है।


पंचांग के हर महीने में अपने क्रम के अनुसार विभिन्न नक्षत्र चंद्रमा के साथ संयोग करते हैं। जब यह क्रम पूर्ण हो जाता है तो उसे एक चंद्र मास कहते हैं। इस प्रकार हर महीने में पुष्य नक्षत्र का शुभ योग बनता है। नक्षत्र कथा के अनुसार ये 27 नक्षत्र भगवान ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं हैं, इन सभी का विवाह दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा के साथ किया था। चंद्रमा का विभिन्न नक्षत्रों के साथ संयोग पति-पत्नी के निश्चल प्रेम का ही प्रतीक स्वरूप है। इस प्रकार चंद्रवर्ष के अनुसार महीने में एक दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र के साथ भी संयोग करता है, 



 पुष्य नक्षत्र की प्रमुख विशेषताए -



अन्य माह के पुष्य नक्षत्र की अपेक्षा दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र खास माना जाता है, क्योंकि दीपावली के लिए की जाने वाली खरीदी के लिए यह विशेष शुभ होता है जिससे कि जो भी वस्तु इस दिन आप खरीदते हैं वह लंबे समय तक उपयोग में रहती है।


पुष्य नक्षत्र का शाब्दिक अर्थ है पोषण करना या पोषण करने वाला। इसे तिष्य नक्षत्र के नाम से भी जानते हैं। तिष्य शब्द का अर्थ है शुभ होना। 


वैदिक ज्योतिष के अनुसार गाय के थन को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना जाता है। ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है।


बृहस्पति को पुष्य नक्षत्र के देवता के रूप में माना गया है। दूसरी ओर शनि ग्रह पुष्य नक्षत्र के अधिपति ग्रह माने गए हैं। इसीलिए शनि का प्रभाव शनि ग्रह के कुछ विशेष गुण इस नक्षत्र को प्रदान करते हैं। पुष्य नक्षत्र के सभी चार चरण कर्क राशि में स्थित होते हैं जिसके कारण यह नक्षत्र कर्क राशि तथा इसके स्वामी ग्रह चन्द्रमा के प्रभाव में भी आता है। चूंकि बृहस्पति शुभता, बुद्धि‍मत्ता और ज्ञान का प्रतीक हैं, शनि स्थायि‍त्व का, इसलिए इन दोनों का योग मिलकर पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिर स्थायी बना देता है। इसके साथ ही चन्द्रमा को वैदिक ज्योतिष में मातृत्व तथा पोषण से जुड़ा हुआ ग्रह माना जाता है। शनि, बृहस्पति तथा चन्द्रमा का इस नक्षत्र पर मिश्रित प्रभाव इस नक्षत्र को पोषक, सेवा भाव से काम करने वाला, सहनशील, मातृत्व के गुणों से भरपूर तथा दयालु बना देता है जिसके चलते इस नक्षत्र के प्रभाव में आने वाले जातकों में भी यह गुण देखे जाते हैं। 


 राघवेंद्ररविश राय गौड़

 9926910965

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