देवउठनी एकादशी को भी नहीं उठे भाजपा के निंद्रदेव : माईकल सैनी

देवउठनी एकादशी को भी नहीं उठे भाजपा के निंद्रदेव : माईकल सैनी


बधाईयाँ देने जयन्तियां और जन्मदिन मनाने में सदैव अग्रणी भूमिका दर्शाने वाले भाजपा के कर्णधारों की निंद्रा कल मिले सुअवसर देवउठनी एकादशी पर भी नहीं खुल पाई  फिर चाहें आमजन का जीवन नर्क समान ही क्यों न हो गया हो , शुद्ध वातावरण में एक-एक स्वांस को तरसते लोगों की बीमारियों के कारण जाने ही क्यों न जा रही हों मगर भाजपा सरकार की और उनके कर्मठ नेताओं तथा उनके उपासकों की चेतना नहीं लोटी है  सोए पड़े हैं दड खींचकर  कहीं कोई काम करने की न कह दे जिसकारण  और बात केवल इन्हीं की ही नहीं है अपितु समूचा विपक्ष सोया हुआ है कोई जागने जगाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा है  जुबां पर मानों ताले लग गए हों  अर्थात कोई प्रयास नहीं किया जा रहा  केवल चुनावों के समय ही जनता के सबसे बड़े हितकारी होने का प्रदर्शन और दावा करते हैं  लेकिन आज इस अहंकारी और सत्ता के नशे में मदमस्त सरकार को जनहित में कोई ठोस योजना पर अमल करने को बाध्य नहीं कर सकते   अब इसके पीछे इनकी क्या विवस्ता है ये तो वही जानते हैं मगर इतना जान लें कि जनता अच्छे से देख रही है तुम्हारी प्रत्येक गतिविधियों को  नकारेपन को  और जिसका माकूल जवाब उचित समय पर देगी ।


आज के बुरे हालात किसी से छिपे नहीं हैं और ना कुछ कहने और दिखाने की आवश्यकता है  शहर में तमाम अव्यवस्थाओं का बोलबाला है  गली मौहल्लों से लेकर कॉलोनियों और सेक्टरों क्या पॉश इलाके भी कूड़े-कचरे तथा गंदगी के ढेर से अटे पड़े हैं , बदबूदार वातावरण में स्वांस लेना पहले से ही दूभर था और अब यह प्रदूषण के कारण बनी स्मॉग की समस्या  जो दिनो-दिन विकराल रूप धारण कर लोगों का जीवन दूभर बना रही है   सोचो जब स्वस्थ इंसान को समस्या हो रही हैं तो दमा-अस्थमा वाले मरीजों को यह संकट किस रूप में झेलना पड़ रहा होगा  , कितना तकलीफों भरा दौर है उनके लिए  , कभी सोचा उन बुजुर्गों के बारे में जिनकी आँखों से पहले ही कम दिखता था और ऊपर से अब ये आँखों में जलन पैदा करने वाला स्मॉग वायु प्रदूषण   जो प्रतिदिन जीवन में परेशानियों को बढ़ाने में लगा है  , किस वजह से है और किसके पास है इसका हल  और कोई समाधान निकालने के लिए सामने क्यों नहीं आ रहा तथा  किसकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए  , कोंन बढ़ाएगा कदम , किसी को तो सोई सरकार को जगाना पड़ेगा  उसके हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहने से तो समस्या का हल होने वाला नहीं  और फिर श्रेय लेने के लिए भी तो कोई सामने नहीं आ रहा  परन्तु क्यों यह सवाल बड़ा है  ? 


तरविंदर सैनी ( माईकल ) समाजसेवी गुरुग्राम का कहना है कि सरकार के पास इस वायु प्रदूषण और कूड़े की समस्या से निपटने की कोई योजना नहीं है  जिसकारण आमजन को ही पहल करते हुए कचरे और प्रदूषण पर नियंत्रण करना होगा  ।

मेरा सुझाव है सरकार को कि जो बजट वह प्रदूषण होने उपरांत खर्च करने को मजबूर हैं  उस बजट से किसानों की पराली खरीदकर या  मनरेगाकर्मियों को पराली इकट्ठा करने का काम देकर  फिर उसे बिजली बनाने वाले सयंत्रो को बेच दिया जाए   जिससे सयंत्रो को ईंधन , लोगों को बिजली , गरीबों को मजदूरी  ,किसान काटे जाने वाले चालान से बच सकते हैं और आमजनमानस को इस प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है यदि सरकार चाहे तो  , नींद से जागे तो ।

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