मकरसक्रांति पर्व 2022 की विशेषताएँ जानिए ज्योतिर्विद राघवेंद्ररविश राय गौड़ से …


मकर संक्रांति पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान, दान और पूजन को विशेष महत्व माना गया है. इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. साथ ही धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. मकर राशि में भगवान आदित्य  के प्रवेश करने के कारण ही इस पर्व को मकर संक्रांति कहा जाता है. इस पर्व के साथ ही करीब एक महीने से जारी खरमास समाप्त होता है और रूके हुए सभी शुभ कार्य एक बार फिर से प्रारम्भ  हो जाएँगे .. 

 साथ ही साथ इस दिन भगवान सूर्य एक माह के लिए अपने पुत्र शनि के घर आते हैं।


 *कब हे सक्रांति महापर्व* ?


उज्जैन, पुरी और तिरुपति से प्रकाशित होने वाले पंचांग के अनुसार 14 जनवरी दिन शुक्रवार की रात 08:49 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे है, इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी दिन शनिवार को दोपहर 12:49 बजे तक रहेगा. इस स्थिति में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. 15 जनवरी को ही स्नान-ध्यान, दान-पुण्य आदि करना अच्छा रहेगा.


सूर्य का राशि परिवर्तन 14 जनवरी की रात करीब 08 बजे होगा। सूर्यास्त होने के बाद सूर्य का मकर राशि में परिवर्तन होगा इस वजह से मकर संक्रांति 15 जनवरी, शनिवार के दिन मनाई जाएगी।


 *इस वर्ष सक्रांति देवी का स्वरूप* :


इस वर्ष संक्रांति देवी बाघ के वाहन पर आई हैं. संक्रांति देवी पीले वस्त्र पहनकर दक्षिण दिशा की ओर चलेंगी. मकर संक्रांति पर इस बार शत्रुओं का हनन होगा और बाधाएं नष्ट होंगी.



 *दान पर्व पर विशेष* 


मकर संक्रांति के दिन दान को महादान की श्रेणी में आंका जाता है. इस दिन किए गए दान से महापुण्य की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल, घी जैसी चीजें जरूरतमंदों और ब्रह्मण को दान देना शुभ माना जाता है.


इस दिन तीर्थ धाम पर नदी या सरोवर में आस्था की डुबकी लेने का बड़ा महत्व बताया गया है. यदि किसी कारणवश आप ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो पानी में गंगाजल, तिल और थोड़ा सा गुड़ मिलाकर स्नान कर लें.


 *क्या है उत्तरायण और दक्षिणायन ?* 


उत्तरायण देवताओं का दिन है और दक्षिणायन देवताओं की रात्रि है. दक्षिणायन की तुलना में उत्तरायण में अधिक मांगलिक कार्य किए जाते हैं. ये बड़ा शुभ फल देने वाले होते हैं. भगवान श्रीकृष्ण ने खुद गीता में कहा है कि उत्तरायण का महत्व विशिष्ट है. उत्तरायण में प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह थी कि भीष्म पितामाह भी दक्षिणायन से उत्तरायण की प्रतीक्षा करते रहे. सूर्य जब कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो दक्षिणायन शुरू हो जाता है और सूर्य जब मकर में प्रवेश करते ही उत्तरायण प्रारंभ हो जाता है



 *कैसे प्रसन्न होंगे भगवान (सूर्य) आदित्य नारायण  ?* 

मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. यह व्रत भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है. इस दिन भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दें. गुड़, तिल और मूंगदाल की खिचड़ी का सेवन करें और इन्हें गरीबों में बांटें. इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना भी बड़ा शुभ बताया गया है. 

आप भगवान सूर्य नारायण के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं.



 *राशि अनुसार करे दान*


किस राशि के जातक  को मकर संक्रांति के दिन क्या दान करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है, साथ ही आरोग्यता, शुभता और सुख-समृद्धि में वृद्धि भी होती है. इस दिन दान का बहुत महत्व है. यदि  राशि के अनुसार दान किया जाए तो इस का फल आप कई गुना प्राप्त कर सकते हे :



*मेष राशि* : गुड़, मूंगफली के दाने एवं तिल का दान करे 

*वृष राशि* : सफेद कपड़ा, दही एवं तिल का दान करें.

*मिथुन राशि* : मूंग दाल, चावल एवं कंबल का दान करना चाहिए.

*कर्क राशि* : चावल, चांदी और सफेद तिल का दान करे

*सिंह राशि* : तांबा, गेहूं का दान करे  

*कन्या राशि* : खिचड़ी, कंबल एवं हरे कपड़े का दान

*तुला राशि* : जरूरतमंद को सफेद डायमंड, शक्कर एवं कंबल का दान दें।

*वॄश्चिक राशि* : मूंगा, लाल कपड़ा एवं तिल

 *धनु राशि* : पीला कपड़ा, खड़ी हल्दी एवं गुड़

*मकर राशि* : काला कंबल, तेल एवं तिल

 *कुम्भ राशि* : काला कपड़ा, उड़द दाल, खिचड़ी व तिल 

 *मीन राशि* : रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल एवं तिल



 *जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं !*

*तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं!!* 


 *नारायण नारायण* 

*राघवेंद्ररविशराय गौड़*

*ज्योतिर्विद* 

*9926910965*

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