लोहड़ी के त्योहार का संबंध नई फसल की पूजा करने की परंपरा से है.

 लोहड़ी -लोहड़ी के त्योहार का संबंध नई फसल की पूजा करने की परंपरा से है.



लोहड़ी सिखों का त्यौहार होता है लेकिन हिन्दू लोग भी इसे बहुत ही आस्था के साथ मनाते हैं। पंजाब में लोहड़ी बहुत ही धूम-धाम से मनाई जाती है। पंजाब के साथ ही साथ यह त्यौहार पूरे देश में ही बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। पूरे भारत वर्ष में मकर संक्रांति के आस-पास के दिन में लोग अलग-अलग त्यौहार मनाते हैं। दक्षिण भारत में तमिल हिंदू संक्रांति के दिन पोंगल का त्यौहार मनाते हैं।


छोटे बच्चे लोहड़ी से कुछ दिन पहले से ही लोहरी की तैयारी में लग जाते हैं। वे लोहड़ी के लिए लकड़ियां, मेवे, रेवडियां, मूंगफली आदि इकट्ठा करने लगते हैं । लोहरी वाले दिन शाम को लोग एक साथ एकत्र होते हैं और आग जलाई जाती है। इस सुअवसर पर लोग मंगल गीत गाते हैं और बधाइयाँ देते हैं।


लोहड़ी के त्योहार का संबंध फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा है. इस दिन पंजाब और हरियाणा में नई फसल की पूजा करने की परंपरा है. वहीं रात के समय लोहड़ी जलाई जाती है. पुरुष लोहड़ी की आग के पास भांगड़ा करते हैं, वहीं महिलाएं गिद्दा करती हैं


अग्नि के चारों ओर लोग चक्कर लगाते हैं और नाचते-गाते हैं। साथ ही आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति भी देते हैं। लोग आग के चारों ओर बैठते हैं और आग सेंकते हैं व रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का खाते हैं। जिस घर में नई शादी या बच्चा हुआ हो और जिसकी शादी के बाद पहली लोहरी या बच्चे की पहली लोहड़ी होती है उन्हें विशेष तौर पर बधाई देते हैं। नव वर-वधु आग के चारों ओर घूमते हैं और अपने आने वाले जीवन के लिए खुशियों की दुआ मांगते हैं तथा बड़े-बुजुर्ग के पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


रश्मि राय

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