भाजपा ने खेला पुराने विधायकों पर दाव , विकास को मिली जीत
------: सचिन त्यागी :-----
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में भाजपा ने अपने पुराने विधायकों पर ही दांव खेल दिया है।बागपत से योगेश धामा, बड़ौत से केपी मलिक और छपरौली से सहेन्द्र सिंह को भाजपा प्रत्याशी घोषित किया गया है। पार्टी के इस फैसले से कार्यकर्ताओं में खुशी है। जिले में दस फरवरी को मतदान होगा जिसमें तीनों विधायकों का फैसला जनता करेगी।
जिले में सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर बागपत से अहमद हमीद तो बसपा ने छपरौली से शाहीन चैधरी और बड़ौत से अंकित शर्मा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।जबकि बड़ौत और छपरौली सीट पर सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई है। उधर भाजपा ने एक बार फिर से सीटिंग एमएलए पर ही दांव लगाया है। जबकि टिकट के लाइन में कई दावेदार थे। लेकिन पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं ने इन विधायकों पर ही दुबारा से भरोसा जताया है। वर्ष 2017 के विस चुनाव में योगेश धामा ने पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे थे और अपने प्रतिद्वंदी बसपा प्रत्याशी अहमद हमीद को 31360 से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी। रालोद के प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना तीसरे और कांग्रेस-सपा गठबंधन प्रत्याशी कुलदीप उज्ज्वल चैथे स्थान पर रहे थे। इस बार अहमद हमीद बसपा के बजाए सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में बागपत सीट पर चुनाव मैदान में है। जबकि बड़ौत से केपी मलिक भी पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे थे। हालांकि वह एमएसलसी भी रह चुके हैं। विस चुनाव में उन्होंने रालोद प्रत्याशी साहब सिंह को 26486 वोटों से मात दी थी। जबकि सहेन्द्र सिंह छपरौली से रालोद प्रत्याशी के रूप में चुनाव में जीत हासिल की थी। उन्होंने 2842 वोटों से भाजपा प्रत्याशी सतेन्द्र तुगाना को हराया था। हालांकि सहेन्द्र सिंह वर्ष 2018 में रालोद को अलविदा कहते हुए भाजपा में शामिल हो गए थे। इतना ही नहीं मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान उन्हें मंत्री बनाने की बात भी सामने आई थी लेकिन उन्हें मंत्रीमंडल शामिल नहीं किया गया था।
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