मां नर्मदा जयंती
07-02-2022
सोमवार
श्रीमति रश्मि चौकसे राय
वर्ष 2022 में नर्मदा जयंती 7 फरवरी के दिन मनाई जाने वाली है और इस दिन सोमवार है। इस शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन नर्मदा जी की पूजा से सामान्य पूजा की अपेक्षा कई गुना फल मिलता है।
*नर्मदा जयंती से संबंधित कथा*
हिंदुओं के स्कंद पुराणान्तर्गत रेवाखंड में माता नर्मदा का उल्लेख है। कथानुसार भगवान शिव अंधकार नाम के असुर का नाश करके मेकल पर्वत पर तप्सया कर रहें थे, जिसे आज अमरकंटक के नाम से जाना जाता है। उस समय देवताओं ने अधर्म की राह पर हो रहे बुरे कार्यों से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्री विष्णु से प्रार्थना की और सहायता मांगी। उस समय भगवान विष्णु ने समाधान हेतु महादेव जी से बोला था। जिस समय समाधान के लिए भगवान विष्णु निवेदन कर रहे थे, तब शिव मस्तक पर शोभायमान सोमकला से मात्र एक जल की बूंद पृथ्वी पर गिरी थी। उसके पश्चात वह पानी की बूंद एक प्यारी कन्या में रूपान्तरित हो गई।
नर्मदा जी को उनके चंचल आवेग के गुण के कारण भक्त बहुत पसंद करते है और इसी की वजह से इनका प्रसिद्ध नाम** रेवा **पड़ा है
स्कंद पुराण में नर्मदा नदी के बारे में उल्लेख मिलता है कि भयंकर प्रलयकाल में भी नर्मदा नदी स्थिर और स्थाई रहती है. नर्मदा के बारे में मत्स्य पुराण में लिखा है कि इसके दर्शन मात्र से पापियों के पाप नष्ट हो जाते हैं. नर्मदा, गंगा, सरस्वती व नर्मदा नदी को ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद एवं अथर्वेद के समान पवित्र माना जाता है.
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नर्मदा, जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,312 किमी चल कर खंभात की खाड़ी, अरब सागर में जा मिलती है।
मध्यप्रदेश में अनूपपुर के अमरकंटक से लेकर लंबे सफर के दौरान राज्य के 16 जिलों से होकर गुजरती हैं।
नर्मदा नदी के अन्य नाम - रेवा, शंकरी, नामोदास, सोमोदेवी। इसकी 41 सहायक नदियाँ हैं जिसमें प्रमुख है - तवा, हिरण, शक्कर, दूधी, करजन, शेर, बनास, मान इत्यादि।
नर्मदा नदी के तट पर उद्गम से लेकर विलय तक कुल 60 लाख, 60 हजार तीर्थ स्थल बने हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार नर्मदा नदी का हर पत्थर शंकर रूप माना जाता है. नर्मदा नदी के तट पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है. नर्मदा नदी विश्व की एक मात्र ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है और आज भी सैकड़ों श्रद्धालु परिक्रमा करते देखे जा सकते हैं.
*श्री नर्मदा अष्टकम*
सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम
द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम
कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥1॥
त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकम
कलौ मलौघ भारहारि सर्वतीर्थ नायकं
सुमस्त्य कच्छ नक्र चक्र चक्रवाक् शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥2॥
महागभीर नीर पुर पापधुत भूतलं
ध्वनत समस्त पातकारि दरितापदाचलम
जगल्ल्ये महाभये मृकुंडूसूनु हर्म्यदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥3॥
गतं तदैव में भयं त्वदम्बु वीक्षितम यदा
मृकुंडूसूनु शौनका सुरारी सेवी सर्वदा
पुनर्भवाब्धि जन्मजं भवाब्धि दुःख वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥4॥
अलक्षलक्ष किन्न रामरासुरादी पूजितं
सुलक्ष नीर तीर धीर पक्षीलक्ष कुजितम
वशिष्ठशिष्ट पिप्पलाद कर्दमादि शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥5॥
सनत्कुमार नाचिकेत कश्यपात्रि षटपदै
धृतम स्वकीय मानषेशु नारदादि षटपदै:
रविन्दु रन्ति देवदेव राजकर्म शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥6॥
अलक्षलक्ष लक्षपाप लक्ष सार सायुधं
ततस्तु जीवजंतु तंतु भुक्तिमुक्ति दायकं
विरन्ची विष्णु शंकरं स्वकीयधाम वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥7॥
अहोमृतम श्रुवन श्रुतम महेषकेश जातटे
किरात सूत वाड़वेषु पण्डिते शठे नटे
दुरंत पाप ताप हारि सर्वजंतु शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥8॥
इदन्तु नर्मदाष्टकम त्रिकलामेव ये सदा
पठन्ति ते निरंतरम न यान्ति दुर्गतिम कदा
सुलभ्य देव दुर्लभं महेशधाम गौरवम
पुनर्भवा नरा न वै त्रिलोकयंती रौरवम ॥9॥
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे
नमामि देवी नर्मदे, नमामि देवी नर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे।
आप सभी को “माँ नर्मदा”जयंती की हार्दिक शुभकामनाए।
जय हिन्द!
-श्रीमति रश्मि चौकसे राय
निर्देशक व संस्थापक
ॐ टीम
-वाइस प्रेसिडेंट
हरियाणा आइस एसो०
विंटर अलिम्पिक गेम्ज़
(9910629386)
https://rashmicareercounsellor.com/
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