पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन परिचय: श्रीमति रश्मि राय

 पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन।



श्रीमति रश्मि राय


पंडित दीनदयाल उपाध्याय ज़ी जनसंघ के राष्ट्रजीवन दर्शन के निर्माता माने जाते हैं। उनका उद्देश्य स्वतंत्रता की पुनर्रचना के प्रयासों के लिए विशुद्ध भारतीय तत्व-दृष्टि प्रदान करना था।



दीनदयालजी का पूरा नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय है, लोग उन्हें दीना नाम से भी पुकारते थे. उनका जन्म 25 सितम्बर 1916 को नगला चंद्रभान गाँव उत्तर प्रदेश में हुआ, उनके पिता का नाम श्री भगवती प्रसाद उपाध्याय व माता का नाम रामप्यारी और भाई का नाम शिवदयाल था. उनका जीवन संघर्ष भरा रहा. दीनदयालजी के पिता रेल्वे में जलेसर में स्टेशन मास्टर थे और उनकी माता धार्मिक रीती रिवाजों को मानने वाली महिला थी.

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उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए एकात्म मानववाद की विचारधारा दी। उन्हें जनसंघ की आर्थिक नीति का रचनाकार माना जाता है। उनका विचार था कि आर्थिक विकास का मुख्य उद्देश्य सामान्य मानव का सुख है।


अपने सहपाठी बालूजी महाशब्दे की प्रेरणा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये। संघ के संस्थापक डॉ० हेडगेवार का सान्निध्य कानपुर में ही मिला। उपाध्याय जी ने पढ़ाई पूरी होने के बाद संघ का दो वर्षों का प्रशिक्षण पूर्ण किया और संघ के जीवनव्रती प्रचारक हो गये। आजीवन संघ के प्रचारक रहे।


आपने मैट्रिक और इण्टरमीडिएट-दोनों ही परीक्षाओं में प्रथम श्रेणी।कानपुर विश्वविद्यालय से आपने बी०ए० से राजनीति का पदार्पण किया।राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और स्वदेश जैसी पत्र-पत्रिकाएँ प्रारम्भ की।1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना के समय उत्तर-प्रदेश का महासचिव बनाया गया।

हाल ही में केन्द्र सरकार ने मुगलसराय जंक्शन का नाम दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन कर दिया गया।कान्दला बन्दरगाह के नाम को दीनदयाल उपाध्याय बन्दरगाह कर दिया गया।


“वसुधैव कुटुम्बकम्” भारतीय सभ्यता से प्रचलित है। इसी के अनुसार भारत में सभी धर्मों को समान अधिकार प्राप्त हैं। संस्कृति से किसी व्यक्ति, वर्ग, राष्ट्र आदि की वे बातें, जो उसके मन, रुचि, आचार, विचार, कला-कौशल और सभ्यता की सूचक होती हैं, पर विचार होता है। 


पंडित दीनदयालजी का निधन आचानक हो गया था. किसी ने इस महान नेता की मृत्यु के बारे में कल्पना भी नहीं की होगी. इस वक्त उनकी मृत्यु हुई थी उस वक्त वे महज 51 साल के थे. दीनदयालजी की मृत्यु सन 11 फरवरी 1968 को हुई थी।


प्रखर राष्ट्रवादी, उत्कृष्ट संगठनकर्ता, अंत्योदय एवं एकात्म मानववाद के प्रणेता, हमारे पथ प्रदर्शक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर शत-शत नमन।


श्रीमति रश्मि राय

निर्देशक व संथापक

ॐ टीम



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