पंडित गोपाल कृष्ण कौशिक अध्यक्ष समृद्धि फाउंडेशन ने अजेयभारत के माध्यम से जानकारी दी कि चैत्रमासीय नवरात्री व हिन्दू नव वर्ष 2 अप्रैल से प्रारंभ होने जा रहे हैं। नवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। नवरात्रि को पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मां दुर्गा जी की उपासना के नौ दिन भक्तों के लिए अत्यंत श्रेष्ठ होते हैं। इन दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। विधान से पूजा करने से कई गुणा आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से प्रारंभ होकर 10 अप्रैल तक रहेंगे। इस बार माँ भगवती अश्व पर सवार होकर आ रही हैं, हिंदू शास्त्र में मां जगदंबे के हर वाहन का अलग – अलग महत्व बताया गया है। वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्र में हर बार मां नए वाहन पर धरती पर आगमन करती हैं और नए वाहन पर ही धरती से देवलोक को प्रस्थान लेती है। इन वाहनों का देश दुनिया और धरती पर बड़ा असर पड़ता है।
हिंदू धर्म में यूं तो देवी मां को हमेशा शेर पर ही सवार देखा गया है लेकिन नवरात्र के मौके पर मां अलग अलग वाहन पर सवार होकर धरती पर आती हैं। मां के वाहन हैं – डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य और हाथी हैं। 2 अप्रैल 2022 शनिवार को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।
चैत्र नवरात्रि के लिए कलश स्थापना करने जा रहे हैं तो पहले कलश स्थापना की विधि जान लें-
कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन की जाती है.
कलश स्थापना के लिए मिट्टी के बर्तन (कलश), पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी या बालू, गंगाजल, सुपारी, चावल, नारियल, लाल धागा, लाल कपड़ा, आम या अशोक के पत्ते,और फूल की जरूर होती है.
कलश स्थापना से पहले अपने घर के मंदिर को अच्छी तरह साफ कर लें और लाल कपड़ा बिछा दें.
अब इस कपड़े पर कुछ चावल रख दें.
जौ को मिट्टी के चौड़े बर्तन में बो दें.
अब इस पर पानी से भरा कलश रखें.
कलश पर कलावा बांधें.
साथ ही कलश में सुपारी, एक सिक्का और अक्षत डाल दें.
कलश में आम या अशोक के पांच पत्ते रखें.
कलश के ऊपर लाल चुनरी में लपेटा हुआ नारियल रखें.
अब मां दुर्गा का ध्यान करें और पूजा शुरू करें.
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