कोई भी सफर आसान नहीं होता , उसे आसान बनाना पड़ता है - राकेश प्रजापत

 कोई भी सफर आसान नहीं होता , उसे आसान बनाना पड़ता है - राकेश प्रजापत




चूरू जैसे छोटे से शहर में बिना किसी फंडिंग के खड़ा किया देश का अग्रणी EMI बेस्ड फिनटेक स्टार्ट अप  zebrs.com.  कहानी 5 साल में 50 लाख ग्राहकों  तक पहुँचने और रोज़ 1000 से ज्यादा आर्डर डिलीवर करने वाले राकेश की - 


पिताजी का इलेक्ट्रॉनिक्स और फर्नीचर का शोरूम, ग्रामीण ग्राहकों कि पैसों की किल्लत , हर घर की जरुरत पूरी करने की ज़िद्द , और सारे देश को No cost emi पर प्रोडक्ट डिलीवर करने का साहस। इन्ही कारणों से जन्म हुआ zebrs.com का जो देश का शायद पहला फिनटेक स्टार्टअप है जिसका headquarter मुंबई और बंगलोर से कहीं दूर राजस्थान के छोटे से शहर चूरू में स्थित है। और राकेश प्रजापत वो शख्श हैं जिन्होंने अपने दोस्तों को गुडगाँव और मुंबई की नौकरी छोड़ कर चूरू आने पर मज़बूर कर दिया 


अपनी स्टार्टअप जर्नी में जब हर शख्स ये सोच रहा होता है कि बिज़नेस बड़ा करने के लिए उसे मेट्रो सिटी जाना पड़ेगा , इको सिस्टम अपनाना पड़ेगा पर इसी वक्त में राकेश ने तय किया था उन्हें उन लोगो के बीच में रहना है जिनके सपने पूरे करने के लिए वे इस व्यापार में है। और यही कारण है कि zebrs के सारे ऑपरेशन्स आज चूरू से  ही मैनेज होते हैं।  


लोहिआ कॉलेज से बीकॉम पास राकेश ने Zebers.com की सुरुवात की , अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता अर्जुन लाल प्रजापत को देने वाले राकेश कहते हैं 

"आप बिज़नेस में तभी सफल हो सकते हैं जब आपका परिवार आपके साथ हो , आप ईमानदार हों और विज़न क्लियर हो। वे कहते हैं पिताजी से सीखे व्यापारिक खरीददारी के गुण और ईमानदारी के उसूल उनके संघर्षों में हमेशा काम आये हैं। 


 शुरुआत में हुईं दिक्कतें, लोगों को भरोसा नहीं था :- 


पहले साल इस कंपनी को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. लोगों को लग रहा था कि ये कॉन्सेप्ट हमारे यहां चल नहीं पाएगा जहां लोग हर चीज को ठोक बजा कर, परख कर खरीदने में विश्वास रखते हैं.  शुरुआत के कुछ महीनो तक एक भी ग्राहक नहीं मिला , पर 6 महीने बाद जो पहला ग्राहक मिला वो 2500 किलोमीटर दूर था, और आज 5 साल बाद वही ग्राहक zebrs.com के साउथ वेयरहाउस के हेड हैं। 2-3 साल के शुरुआती संघर्ष के बावजूद कंपनी चलती रही.ऐसा नहीं है कि Zebrs.com  हमेशा फायदे में ही रही है. इस बीच कई बार ऐसे दौर आए जब कंपनी को नुकसान उठाना पड़ा. लगातार कंपीटिशन से भी कंपनी को चुनौती मिल रही थी


 ये बात बताते हुए राकेश की कि मुस्कराहट बताती है कि वे अपने 50 लाख से ज्यादा ग्राहकों तक किस गहराई से जुड़े हुए हैं


अपनी व्यापारिक पालिसी पर राकेश कहते हैं कि सिर्फ EMI  पे प्रोडक्ट देने भर से बिज़नेस नहीं चलता। अपने ग्राहक को समझना , उसकी ज़रूरतों की इज़्ज़त करना , मुनाफा भले कम हो पर ये सुनिश्चित करना कि ग्राहक का एक पैसा भी ज्यादा ना लगे ही एक अच्छे व्यापार का आधार होता है। वे कहते हैं हम ने खुद को तकनीकी रूप से इतना सुद्रढ़ कर लिए है कि हम ये कह सकते हैं कि यदि किसी को zebrs.com पर EMI नहीं मिलती तो उसे कहीं नहीं मिलेगी लेकिन साथ साथ हम ये भी सुनिश्चित करते हैं कि हमारे यहाँ हर ग्राहक को बिना किसी अतिरिक्त ब्याज के त्वरित रूप से EMI मिले। 


देश के 33000 से ज़्यादा पिनकोड तक पहुँच , 150 से ज्यादा ब्रांड्स और 50 हज़ार से ज्यादा प्रोडक्ट्स , 40 बैंक्स और NBFC के साथ ज़ेबर्स हर रोज़ अपने पोर्टफोलियो में 500 से ज्यादा प्रोडट्स शामिल कर रहा है और हमारा मकसद है कि देश के आखिरी कोने तक बैठे व्यक्ति को भी आराम से no cost EMI मिले और उसका प्रोडक्ट उसके घर तक पहुंचे।  राकेश कहते हैं उन्हें सबसे ज्यादा ख़ुशी तब हुई जब उन्होंने चूरू से एक फ्रिज अंडमान भेजा था। फ्रिज के इस सफर ने उन्हें सिखाया था कि आप चाहे तो दुनिया को बेहद छोटा भी कर सकते हैं पर ज़रूरी ये है कि आपको ये पता हो कि जाना कहाँ है।  


अपने पिताजी और बड़े भाई को जिस बारीकी से फर्नीचर बनवाते राकेश देखते थे उसी बारीकी से zebrs.com ने हाल ही में अपना पहला प्राइवेट लेबल फर्नीचर ब्रांड आराम लांच किया जो बेहद जल्द देशभर के हर घर में डिलीवर हो पायेगा और वो भी नो कॉस्ट emi पर. 


कोई भी सफर आसान नहीं होता , उसे आसान बनाना पड़ता है और आसान बनाने के लिए एक ही रास्ता चुनना बेहद ज़रूरी होता है। अपनी हार को स्वीकार करके नयी जीत की तरफ बढ़ना ही आपकी सफलता की कहानी का आधार होता है। ज़ेबर्स ना सिर्फ एक ऑनलाइन रिटेल ब्रांड है बल्कि तेज़ी से बढ़ती हुई वो आर्गेनाइजेशन है जो निरंतर चूरू जैसे छोटे शहर में भी अच्छी कॉर्पोरेट कल्चर की नौकरियां क्रिएट कर रही हैं और साथ साथ उन लोगों की शिक्षा का ज़रिया बन रही है जिनके पास बाहर जाने के लिए और वर्क कल्चर सीखने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है।  


अपने काम और स्टाफ पर सबसे ज्यादा भरोसा और गर्व करने वाले राकेश अपनी भविष्य की योजनाओ को लेकर कहते हैं कि चूरू जैसे शहरों में भी काफी पोटेंशियल हैं , बस इसे परखने के लिए अताह हिम्मत की जरुरत होती है लेकिन अगर आप धीरे चलो चलते रहो का सिद्धांत फॉलो  करते हैं तो तरक्की निश्चित है।  और इसी बात के साथ आने वालों सालों में ज़ेबर्स पर 5 लाख से ज्यादा प्रोडक्ट्स पर नो कॉस्ट emi देने की प्लानिंग है और साथ साथ इलेक्ट्रिक कार बाज़ार के क्षेत्र में भी ज़ेबर्स जल्द ही कदम रखने जा रहा है।

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