स्वयम देखे सिग्नेचर...
सिग्नेचर बदलता है ..या...नेचर बदलता है...?
मुझे एक जातक ने दो सिग्नेचर पोस्ट किए और ये बताया गया कि पहले के सिग्नेचर में और अभी के सिग्नेचर में चेंज है..दोनो ही मेरे सिग्नेचर है..!
ऐसा क्यों हुआ क्या कारण है...?
ये प्रश्न पूछा गया..!
प्रश्न सरल और सहज है..!
ऐसा प्रत्येक व्यक्ति के साथ होता है...उसका सिग्नेचर समय के साथ बदल जाता है..!
या जिस तरह का पहले सिग्नेचर था अब वैसा सिग्नेचर वो नही कर पाते है..!
व्यक्ति वही है सिग्नेचर बदल गया..!
क्या इंसान बदला या पेन बदला या पेपर बदला..!
बदलता है सिग्नेचर....मतलब व्यक्ति का नेचर बदला...!
कुछ लोग समय के साथ साथ अपने सिग्नेचर को स्वयम बदल लेते है..!
नेचर को समझे ...नेचर का को हिंदी में प्रकृति स्वभाव कहा जाता है...!
नेचर बनता है ...मन बुद्धि शरीर की धारणा चित्त में स्थायी होती है तब नेचर व्यक्ति की प्रकृति होती है..!
यही धारणा मजबूत होने पर संकल्पित होने पर दीर्घ काल तक स्थाई रहती है..!
जब व्यक्ति स्थान परिवर्तन करता है ..वातावरण जँहा वो रहता है जिन लोगो के साथ रहता है जब सहयोगियो को बदलता है स्कूल कालेज आफिस परिवार शहर देश स्थान ..विवाह विवाह के बाद का वातावरण पारिवारिक स्थिति..मतलब व्यक्ति के जीवन मे आने वाला प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष बदलाव परिवर्तन व्यक्तिक नेचर को प्रभावित करते है ..!
यही परिवर्तन व्यक्ति के नेचर में आंशिक या अधिक बदलाव लाता है..!
नेचर परिवर्तित होगा तो निश्चित ही सिग्नेचर जिससे आपका नेचर प्रस्तुत है वो भी अपने आप परिवर्तित होने लगता है..!
सिग्नेचर डिकोड किया जा सकता है तो उसे उचित निर्देशन में परिवर्तित करके नेचर को प्रभावित किया जा सकता है..!
नेचर को दिया जाने वाला डायरेक्शन आपके भविष्य को प्रभावित करने में सक्षम होता है...!
दीपक राठौर ..!
इंदौर (मध्यप्रदेश)
Please follow us also
Email-ajeybharat9@gmail.com
Whatsapp Group https://chat.whatsapp.com/ClaOhgDw5laFLh5mzxjcUH
http://facebook.com/Ajeybharatkhabar
0 Comments