जी ए वी पब्लिक स्कूल के बच्चो ने रैली निकाल व नुक्कड नाटक के माध्यम से दिया स्वास्थ्य के प्रति संदेश




गुरूग्राम मे जी ए वी पब्लिक स्कूल सैक्टर 05 मे आज विश्व स्वास्थ्य दिवस बडी धूमधाम से मनाया। इसमेे बच्चो ने रैली निकालकर व नुक्कड नाटक के माध्यम से लोगो को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया। रैली मे स्कूल स्टाफ व सभी छात्र छात्राओ ने रैली मेें भाग लिया। 

कार्यक्रम के दौरान स्कूल के डायरेक्टर धर्मेंद्र कौशिक तथा स्कूल प्रधानाचार्या व समस्त स्टाफ ने मिलकर कार्यक्रम मे भाग लिया। 

स्कूल के डायरेक्टर धर्मेंद्र कौशिक ने कहा कि आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में 7 अप्रैल का दिन विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण है। हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। पिछले सालों में कोरोना महामारी ने विश्व स्तर पर अपना प्रकोप दिखाया। दुनिया के लगभग हर देश में संक्रमण का प्रसार हुआ। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर स्तर पर प्रयास किया कि दुनिया को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। सभी जगह बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं रहें और संक्रमण से बचाव हो सके। इसी तरह लगभग सभी देश बीमारी से मुक्त हों सके। हम सभी को स्वास्थ्य के प्रति सख्ती बरतने के जरूरत है। स्वच्छ भोजन, पानी तथा स्वच्छता का ध्यान रखने पर संभव है की हम खतरनाक बीमारियों से खुद को और खुद से जुड़े लोगों को बचा पाए। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए समाज को रोगों से मुक्त कर स्वस्थता प्रदान करने के लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।



विश्व स्वास्थ्य दिवस का इतिहास

साल 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना की गई थी। इसके दो साल बाद साल 1950 में विश्व स्वास्थ्य दिवस को मनाने का निर्णय लिया गया। इस दिन को विश्व स्तर पर मनाने की पहल विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की। ऐसे में स्वास्थ्य दिवस को मनाने की शुरुआत हुई। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के लोगों के स्वास्थ्य स्तर को बेहतर करना और समाज को जानलेवा बीमारियों के प्रति जागरूक करना है।

स्वस्थ जीवन जीने, पौष्टिक आहार खाने, सही तरीके से व्यायाम और योग करने जैसे सकारात्मक चीजों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। हर इंसान को सस्ते में अच्छा इलाज की सुविधा मिले द्य दुनिया भर में लाखों-करोड़ों लोग पोलियो, नेत्रहीनता, दिल की बीमारी, कुष्ठ, टीबी, मलेरिया, एड्स और कोरोना वायरस जैसे भयानक रोगों के शिकार हैं ।ऐसे में इन बीमारियों के रोकथाम तथा इनके इलाज की समुचित व्यवस्था आदि विषयों पर विमर्श और जागरूकता भी स्वास्थ्य दिवस के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्ण स्वस्थ होना ही मानव स्वास्थ्य की परिभाषा है द्य और हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम बनाकर यह दिवस सेलिब्रेट किया जाता है विश्वस्वास्थ्य संगठन के बैनर तले 195 से अधिक देश शामिल हैंऔर ये सभी देश अपने-अपने देश के नागरिकों को रोगमुक्त बनाने के लिए प्रयासरत हैं 

स्वास्थ्य के प्रति सख्ती बरतने की आवश्यकता


हम सभी अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं पर क्या हम अपने स्वास्थ्य को गंभीरता से लेते है? हम सभी को स्वास्थ्य के प्रति सख्ती बरतने के जरूरत है। स्वच्छ भोजन, पानी तथा स्वच्छता का ध्यान रखने पर संभव है की हम खतरनाक बीमारियों से खुद को और खुद से जुड़े लोगों को बचा पाए। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए समाज को रोगों से मुक्त कर स्वस्थता प्रदान करने के लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है

हम सभी अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं पर क्या हम अपने स्वास्थ्य को गंभीरता से लेते है? हम सभी को स्वास्थ्य के प्रति सख्ती बरतने के जरूरत है। स्वच्छ भोजन, पानी तथा स्वच्छता का ध्यान रखने पर संभव है की हम खतरनाक बीमारियों से खुद को और खुद से जुड़े लोगों को बचा पाए। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए समाज को रोगों से मुक्त कर स्वस्थता प्रदान करने के लिए विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है

विश्व स्वास्थ्य दिवस का महत्व


पहले की अपेक्षा वर्तमान समय में हम स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए है। अभी भी विश्व के ज्यादातर लोगों को इस बात का पता नहीं होता की वह किस बीमारी से जूझ रहें हैं। लोगों को बीमारी का पता होने पर भी वह अपना इलाज सही तरह से नहीं करा पाते हैं। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर समाज में व्याप्त रोगों से बचाव के उपाय बताए जाते हैं। कैंसर, एड्स, टीवी, पोलियो आदि से पीड़ित मरीजों को निःशुल्क सहायता प्रदान किया जाता है।


विश्व स्वास्थ्य दिवस के थीम का हमारे जीवन पर प्रभाव


सुरक्षित मातृत्व विश्व स्वास्थ्य संगठन 1988 का थीम सुरक्षित मातृत्व था। इस थीम को आधार बना कर पूरे वर्ष गर्भवती महिलाएं कुपोषण का शिकार न हो इसलिए विभिन्न कैम्प और आंदोलन चलाए गए। साथ ही सरकार द्वारा टीवी चैनल, रेडियों स्टेशन और संचार के सभी माध्यम पर विज्ञापन चलाए गए। गर्भवती महिला और नवजात शिशु के लिए निरूशुल्क पोष्टिक आहार दिया गया। इससे लोगों ने मातृत्व के देख रेख को और गंभीरता से लेना प्रारंभ किया।

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