जानिए क्यों अपनी आंखों पे पट्टी बांध कर काम रहे है शिक्षा विभाग के लोग

सबूत बच्चों के बस्ते में, फिर भी शिक्षा अधिकारी मांग रहे हैं सबूत,

प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों पर रोक ना लगाने के मामले में मंच ने शिक्षा विभाग पर लगाया स्कूल संचालकों के साथ सांठगांठ का आरोप,

मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री अतिरिक्त शिक्षा निदेशक को पत्र भेजकर की शिकायत


फरीदाबाद।प्रवीन गुलाटी।

शिक्षा निदेशालय पंचकूला ने निजी स्कूलों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम से जुड़ी पुस्तकें लगवाने के आदेश एक अप्रैल से शुरू हुए शिक्षा सत्र से पहले मार्च में ही सभी जिला शिक्षा व मौलिक शिक्षा अधिकारी को भेज दिए थे। इससे पहले गत शिक्षा सत्र में भी 12 मई 2021 को इस संबंध में आदेश सभी जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को भेजे गए थे। इससे अभिभावकों को यह उम्मीद जगी थी कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा किताब कापी 

खरीदवाने में की जा रही मनमानी पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। लेकिन फरीदाबाद में ना तो 2021 में और ना अब 2022 में स्कूलों की इस मनमानी पर स्थानीय शिक्षा विभाग रोक लगाने में पूरी तरह से असफल रहा है। 


हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा है जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय स्कूलों की इस मनमानी का सबूत मांग रहा है जबकि सबूत अपने मासूम कंधों पर भारी भरकम बस्ते का बोझ लादकर स्कूल जा रहे छात्रों के बस्ते में मौजूद है। जो सबको तो दिखाई दे रहा है लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को नहीं दिखाई दे रहा है। अधिकारी "रोम जल रहा है  नुरो बंसी बजा रहा है" की तर्ज पर कार्य कर रहे हैं। अभिभावक स्कूलों की मनमानी के शिकार हो रहे हैं, परेशान हैं दुखी हैं लेकिन इसका असर ना तो स्कूल वालों पर हो रहा है और ना  शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन के अधिकारियों पर हो रहा है। मंच ने मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री व अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की इस कार्यशैली की शिकायत की है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि अधिकांश निजी स्कूलों खासकर सीबीएसई से मान्यता प्राप्त में कमीशनखोरी के चक्कर में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें लागू की जाती हैं। इस मनमानी को रोकने के लिए शिक्षा निदेशक के पास पहले कोई अधिकार नहीं था। इसको लेकर अभिभावक संगठनों द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिसके फल स्वरूप हरियाणा सरकार ने शिक्षा नियमावली में संशोधन करके शिक्षा निदेशक को कार्रवाई करने का अधिकार और पाठ्यक्रम की पुस्तकों का निर्धारण का भी अधिकार शिक्षा निदेशक को दिया गया।

 इस संबंध में गजट नोटिफिकेशन 1 मार्च 21 को जारी कर दिया गया था। इसके बाद 21 मई 2021 को शिक्षा निदेशक ने सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि प्राइवेट स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें ही लगवाना सुनिश्चित करें। इस बार भी शिक्षा सत्र 2022-23 शुरू होने से पहले मार्च 2022 में भी शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर इन आदेशों को दोहराया। मंच का आरोप है कि फरीदाबाद व  गुरुग्राम के जिला शिक्षा अधिकारी शिक्षा निदेशक के इन आदेशों का सख्ती से पालन कराने के लिए कोई भी उचित कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। प्राइवेट स्कूल संचालक मोटा कमीशन खाने के चक्कर में अपने स्कूल में अभिभावकों से प्राइवेट प्रकाशकों की मोटी व महंगी किताबें खरीदवा रहे हैं। इसका सबूत बच्चों के बस्तों में मौजूद है उसके बावजूद जिला शिक्षा अधिकारी सबूत मांग रहे हैं। इतना ही नहीं सरकार ने प्रत्येक क्लास के बच्चे के बस्ते का बजन निर्धारित किया हुआ है लेकिन इन निर्दयी स्कूल वालों ने छात्रों के मासूम कंधों पर भारी भरकम बस्ते का बोझ लाद दिया है। जिसे स्कूल आते-जाते बच्चों की पीठ पर लदे हुए देखा जा सकता है। वह सबको दिखाई दे जाएगा लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिखाई नहीं दे रहा है।

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