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जनवरी 2022 में मेरा वजन 76 किलो से कुछ अधिक था (इसलिए हेडलाइन में 77 किलो लिखा)। जनवरी 2005 से ही वजन कुछ-कुछ बढ़ता ही रहा था। नवंबर 2020 में हार्ट-अटैक के समय जब अस्पताल में था तब वजन कुछ कम हुआ था, वह भी घर आने के एक महीने के अंदर ही फिर से पहले जितना हो गया था। चूंकि कभी डायबिटीज नहीं रही, कभी ब्लड-प्रेशर नहीं रहा, कभी कॉलेस्ट्राल नहीं रहा। कभी वजन घटाने की सोची नहीं। शरीर व वजन का तालमेल बन गया था।
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नवंबर 2020 में हार्टअटैक के बाद गाड़ी पटरी में आने लगी थी लेकिन अगस्त 2021 में पता नहीं क्यों थोड़ी सी बात पर सांस फूलना, चक्कर सा आना, हृदय गति बहुत अधिक बढ़ जाना (230 पार कर जाती थी)। कई महीनों तक ऐसा ही रहा, ईसीजी वगैरह सबकुछ सामान्य आता। एक दिन मैंने सोचा कि जब मरना ही है तो जब तक जीना है तब तक प्रयोग करते हुए क्यों न जिया जाए।
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मैंने कुछ ठोस निर्णय लिए, जनवरी 2022 से उन निर्णयों में बिना नागा लगातार चल रहा हूं।
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— रोज सुबह खाली पेट कम से कम 45 किलोमीटर साइकिल चलाता हूं। सप्ताह में एक या दो दिन 65 से 70 किलोमीटर साइकिल चलाता हूं।
— रोज लंच व डिनर के समय खाना खाने के बाद 2 से 4 किलोमीटर पैदल चलता हूं। कभी कभार 5 किलोमीटर या अधिक भी हो जाता है।
— आदि को स्कूल से लेने अब साइकिल की बजाय पैदल जाता हूं, आदि भी मेरे साथ स्कूल से पैदल आता है। आदि के स्कूल की दूरी घर से लगभग सवा किलोमीटर है। आना जाना ढाई किलोमीटर का हो जाता है।
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मैंने अपने भोजन की मात्रा में कोई अंतर नहीं किया, जितना खाता था जो खाता था जैसे खाता था वैसे ही खा रहा हूं। मीठा भी जितना खाता था, जैसे खाता था, वैसे ही खा रहा हूं। वजन कम करने का कोई शिगू़फा नहीं, कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं। ऐसा कुछ नहीं कि सुबह गर्म पानी पीना शुरू कर दिया हो या गर्म पानी में नींबू डालकर पीना शुरू कर दिया हो। जो जैसा पहले खाता था वैसे ही अब भी खा रहा हूं। खाने पीने के तरीके व मात्रा में अंतर नहीं।
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मैंने एक बात महसूस की कि शरीर को जितना कैलोरी मिलती है, उससे अधिक खर्च की जाए तो वजन अपने आप बिना चकल्लस बाजी के घट जाता है।
मैंने हृदय की समस्या के लिए जो शुरू किया था, उससे मुझे फायदा यह हुआ कि हृदय की परेशानी तो नियंत्रित हुई ही, वजन ऊपर से घटने लगा। वजन का घटाव भी अस्थाई नहीं है बल्कि धीरे-धीरे सहजता से घट रहा है। लगभग चार महीनों में लगभग 7 किलो का घटाव। आशा करता हूं कि यदि रूटीन में बड़ा बदलाव नहीं होता है तो अगले वर्ष 2023 में मेरा वजन 60 से 65 के बीच हो चुका होगा।
यह सहज घटाव है। सांस फूलना बंद हो गई, हृदय गति अब शायद ही कभी 170 पहुंचती हो जो पहले बात-बात पर प्रतिदिन कई-कई बार 230 तक पार करती थी। हृदय नई रक्त वाहिनियों व वैकल्पिक रास्तों का निर्माण कर रहा होगा, वह अलग।
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**चलते-चलते**
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मेरे कई मित्र हैं जो अपने वजन से चिंतित रहते हैं। लोगों से पूछ-पूछ कर नए-नए नुस्खे इस्तेमाल करते हैं। भोजन की मात्रा कम करते हैं। मेरा सुझाव यह है कि यदि आप भोजन की मात्रा कम करते हैं तो शरीर को लगता है कि कुछ गड़बड़ है, इसलिए वह सुरक्षा की तैयारी करना शुरू कर देता है, स्टोर करना शुरू कर देता है।
इसलिए नुस्खे छोड़िए, सिर्फ इस बात पर दृढ़ता से ध्यान लगाइए कि जितनी कैलोरी आप लेते हैं उससे अधिक खर्च कीजिए। यह सामान्य व सरल गणित है। हड़बड़ाइए नहीं कि दस दिनों में वजन घट जाए। मेरा वजन लगभग 18 वर्षों में धीरे-धीरे बढ़ा है तो घटने में यदि दो-तीन साल भी ले लेता है तो यह सामान्य बात है, शरीर के लिए अनुकूल बात है, हड़बड़ाने की जरूरत नहीं है।
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सोचा कि आपके साथ अपना अनुभव साझा कर लूं। यह बात पहले भी साझा कर सकता था, लेकिन सोचा कि पहले परिणाम देख लूं, अपने खुद के शरीर में बदलाव देख लूं, फिर साझा करूंगा।
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वजन घटने की प्रक्रिया कुछ ऐसी होनी चाहिए कि शरीर को स्वयं लगे कि वजन सहजता से घट रहा है। वजन घटाव का शरीर की व्यवस्था व अनुकूलता के साथ तालमेल होना चाहिए। अन्यथा वजन घटता है तो थोड़ी सी कमीबेसी होने पर बढ़ने भी लगता है। इसलिए भोजन की मात्रा कम करने की बजाय, नुस्खे इस्तेमाल करने की बजाय जितना कैलोरी ली जाती है उससे अधिक खर्च करने पर ध्यान दिया जाए। यह शरीर की सहज गणित होती है। आपके शरीर की जैसी स्ट्रेंथ हो, जैसी आपकी फिटनेस हो उस आधार पर आप कैलोरी खर्च करने की ओर बढ़ सकते हैं।
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विवेक उमराव
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