वृन्दावन-ब्राह्मण सेवा संघ द्वारा भगवान परशुराम जयन्ती महोत्सव परिक्रमा मार्ग गोपालखार स्थित श्री हरिदास धाम में संस्था के संस्थापक अध्यक्ष पं.चन्द्रलाल शर्मा की अध्यक्षता में मनाया गया जिसमें सर्व प्रथम भगवान परशुराम के चित्रपट का वैदिक विधि विधान के साथ पूजन अर्चन संयुक्त रूप से किया गया तथा उपस्थित विप्र बन्धुओं ने पुष्पार्चन किया।
इस अवसर पर आयोजित विद्वद् संगोष्ठी में विचार प्रकट करते हुए पं.चन्द्रलाल शर्मा ने कहा कि परशुराम जी ने शिक्षा, सुरक्षा ,सेवा का सन्देश सर्व समाज को देकर जन-जन का कल्याण किया तथा अन्याय का सामना निडरता के साथ करने की प्रेरणा दी। वे भगवान विष्णु के छटे अवतार थे।
संस्था के अध्यक्षआचार्य आनन्दबल्लभ गोस्वामी ने कहा कि विप्र कभी प्रपन्न नहीं होता , उसके पास अपना ज्ञान ही परम धन है , जिसके माध्यम से वह सभी को योग्य सक्षम एवं निपुण बनाता है। उन्होंने कहा कि विप्रजनों को चाहिए कि वे भगवान परशुराम से प्रेरणा लेकर सदैव समाज का उत्साहवर्धन करे तथा एक दूसरे के सहयोगी बन कर समाज में प्रेम सद्भाव का श्रेष्ठतम उदाहरण प्रस्तुत करें ।
डॉ मनोजमोहन् शास्त्री एवं आचार्य ऋषि कुमार ने कहा कि विप्र सदैब से ही सम्मान का पात्र रहा है भारत को जगद्गुरु की उपाधि से अलंकृत कराने का श्रेय ब्राह्मण को ही है।
सत्यभान शर्मा एवं महासचिव पं.जगदीश 'नीलम' ने कहा कि विप्र समाज अपनी साधना एवं संस्कारों से
पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव को समाप्त कर सकता है।
डॉ रमेश चंद्राचार्य एवं अशोक अज्ञ ने कहा हमें चाहिए कि भगवान परशुराम जी से शिक्षा ग्रहण कर मातृ-पितृ भक्ति का सुसंस्कार आपने जीवन में डालें तथा भावी पीढ़ी को भारतीय संस्कृति का पूरा ज्ञान करायें।
राज नारायण द्विवेदी राजू भैया एवं सुभाष चन्द्र गौड ने कहा कि भगवान परशुराम ने समाज में व्याप्त कुरीतियों एवंअनाचारियों के अत्याचारों का अंत किया। उन्होंने सभी को धर्म निष्ट,कर्म निष्ट एवं सेवा भावी बनने की शिक्षा दी।
जयन्ती महोत्सव में जगदीश प्रसाद शास्त्री,आर सी द्विवेदी, कृष्णचंद्र गौतम छीता, कन्हैया पाण्डे, गोपी शर्मा, नरेन्द्र शर्मा, ब्रजेश शर्मा, भारत भूषण शर्मा, अनुपम वत्स, सुमित गौतम, अविनाश शर्मा, सर्वेश तिवारी, बाल मुकुंद शर्मा, नरेंद्र पाठक, जितेन्द्र ब्रह्मचारी आदि उपस्थित थे।
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