आग की लपटों में घिरा हुआ शहर गुरुग्राम : माईकल सैनी
दिल्ली से सटे गुरुग्राम शहर में पिछले कुछ हफ्तों से आग लगने की घटनाएं घट रही हैं और लोगों के जान-माल का खूब नुकसान हो रहा है इसके पीछे का कारण अत्याधिक तापमान को माना जाए लोगों की लापरवाही या प्रशासनिक चूक और या फिर सरकार के नाकारापन को जिम्मेदार ठहराया जाए ?
तरविंदर सैनी (माईकल) नेता आम आदमी पार्टी गुरुग्राम के अनुसार पिछले दिनों पॉश इलाके में बसी झुग्गियों में आग लगने की घटना हुई जिसमें तमाम झुग्गियां जलकर राख हो गई उनमें रहने वाले गरीबों का सबकुछ स्वाहा हो गया लोगों के जलने की घायल होने की खबरें भी आई मगर निष्ठुर सरकार को तनिक दया नहीं आई दवा के स्थान पर साथ में बसी झुग्गियों को जेसीबी मशीन से हटा आयी ताकि वो लोग इनमे शरण ना ले लें खैर गरीब लोगों के ना राम काम आया और ना रामराज्य वाली सरकार काम आयी !
आज भी रह रहकर विभिन्न स्थानों पर आग लगने की घटनाएं रोजाना घट रही हैं कारण प्रशासन की चूक कह लीजिए या लापरवाही और या फिर मिलीभगत आखिर क्यों जगह-जगह खुले में कचरा पड़ा हुआ है ,प्रबंधन में लगी एजेंसियां अपना काम ठीक से क्यों नहीं कर रही हैं ,क्यों रिहायसी इलाकों में कमर्शियल एक्टिविटी चल रही हैं वह भी नियमों को ताक पे रखकर , रिहायशी इलाकों में कबाड़ के गोदाम की आज्ञा क्यों दी हुई है , अतिक्रमण पर कार्यवाही आखिर क्यों नहीं करते , सख्त नियम बना उनपर अमल क्यों नहीं कराती है सरकार सबसे बड़ा सवाल है कि शहर की जरूरतों के अनुसार अग्निशमन विभाग में खामिया हैं तो उन्हें दूर क्यों नहीं करती है सरकार - ऐसे अनेको सवाल है जो शाशन-प्रशासन की पोल खोल रहे हैं मगर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती फिर चाहें शहर बारूद के ढेर पर ही क्यों नहीं बैठा हो ।
दिल्ली मुंडका अग्निकांड जैसा ही एक कांड गुरुग्राम में भी होते-होते बचा एक बहुमंजिला इमारत के दसवें मार्ले पर लगी आग पर काबू पा लिया गया अग्निशमन विभाग की कड़ी मसक्कत के बाद जिसमे घरेलू सामान के नुकसान के इलावे किसी के हताहत होने की खबर नहीं आयी लेकिन जरा भी देर होने से दिल्ली हादसे में गई जानों से कहीं बड़ा आंकड़ा सामने आ सकता था मगर यह खुशनसीबी मानेसर आईएमटी में पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र में कबाड़े में लगी भयंकर आग में जलने वाली महिला और बच्ची के नसीब में नहीं थी , आग ने अपना प्रचंड रूप धारण कर खूब तांडव मचाया , गुरुग्राम फायरब्रिगेड नाकाफ़ी था इसलिए आस-पास के जिलों से भी वाहनों को बुलवाना पड़ा ऐसा लगा मानों आग पूरे आईएमटी क्षेत्र को ही भस्म कर देगी मगर अगले दिन उस आग पर काबू तो पा लिया गया ।
कुल मिलाकर स्थानीय लोग धुएं और प्रदूषण रहित वातावरण में जीने को मजबूर हो रहे हैं या कहें कि सरकारी अंदेखियों की सजा भुगतने को मजबूर हैं ।
0 Comments