सोशल मीडिया पर शिक्षक वैष्णव की अपील, जरूरतमन्द बेटी के कन्यादान को बढ़े हाथ



सोशल मीडिया पर शिक्षक वैष्णव की अपील पर कई भामाशाह आये आगे, अनाथ बेटी का धूमधाम से हुआ विवाह, जरूरतमन्द बेटी के कन्यादान को बढ़े हाथ


केकड़ी। जीवन की सार्थकता स्वयं से हटकर दूसरों के लिए सोचना भी है। यह संदेश अगर फलों से लदे वृक्ष और फूलों से लटकती डालियां दे सकती हैं तो फिर हम क्यूं नही। कुछ इन्ही पंक्तियों को साकार किया है निकटवर्ती गांव मण्डा के सरकारी स्कूल के शिक्षक दिनेश कुमार वैष्णव ने। मण्डा स्कूल के शिक्षक वैष्णव का नाम क्षेत्र में जाना पहचाना है। अपने स्कूल और बच्चों के लिए उन्होंने जो किया वह किसी से छिपा नही है। 



दरअसल मण्डा निवासी स्वर्गीय शिवराज बैरवा की पुत्री कोमल कुमारी बैरवा की शादी टोंक जिले में बन्देडिया गांव के हंसराज बैरवा के साथ होना तय हुई। मण्डा गांव के बैरवा परिवार में जन्मी कोमल कुमारी बैरवा को यह भी पता नही कि माँ-बाप का प्यार क्या होता है। जब वह एक वर्ष की थी तब ही उसके पिता शिवराज बैरवा का एक अज्ञात बीमारी से निधन हो गया। कुछ दिनों बाद उसकी माँ मन्नी देवी भी उसे बुजुर्ग दादी राजी देवी के पास छोड़ कर चली गई और नाता प्रथा के तहत किसी अन्य व्यक्ति से शादी कर ली। गरीबी में दिन गुजारने वाली दादी को अपनी पोती के हाथ पीले करने की चिंता थी, शादी तो तय हो गई पर पैसों का इंतजाम नही था। इसकी जानकारी जब मण्डा विद्यालय के शिक्षक दिनेश कुमार वैष्णव को मिली तो उन्होंने ना सिर्फ जरूरतमन्द बेटी के घर जाकर कन्यादान किया, बल्कि अन्य जरूरत का सामान भी उपलब्ध करवाकर उसे अहसास ही नही होने दिया कि उसके माता-पिता नही है। 



इसके साथ ही शिक्षक वैष्णव ने कोमल के कन्यादान की जिम्मेदारी लेते हुए सभी भामाशाहों से सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपील की। आर्थिक विपन्नता की मार झेल रही दादी की पीड़ा जब शिक्षक वैष्णव ने समाज को सुनाई तो सभी की मानवीय संवेदना जागृत हुई। शिक्षक वैष्णव की इस मुहिम के बाद बढ़-चढ़ कर लोगों ने इस बच्ची की मदद के लिए सामग्री और आर्थिक सहायता भेजी। मण्डा में हुए इस विवाह की आसपास के क्षेत्र में खासी चर्चा है। 


अध्यापिका सुनिता चौधरी ने बताया कि कोमल के माता-पिता नही है। उसकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर है। अतः उसे आर्थिक सम्बलन की आवश्यकता महसूस करते हुए विद्यालय स्टाफ के सभी सदस्यों ने इसकी शादी में कन्यादान का बीड़ा उठाया है। 


ये सामग्री दी कन्यादान में -

मण्डा विद्यालय स्टाफ ने अपनी ओर से व भामाशाहों के सहयोग से शादी में विद्यालय की पूर्व छात्रा को उसकी इच्छानुसार दीवान, गद्दा, तकिया, बेडशीट, कम्बल, आलमारी, कूलर, सिलाई मशीन, चांदी की चेन, पायल, अंगूठी, मोबाईल फोन, बैग, गैस चूल्हा, बाटी ओवन, कुकर, स्टील टँकी, केतली, गर्म खाने का टिफिन एवं अन्य रसोई के बर्तन और गृहस्थी के कई सामान उपहार में दिए। 


अनाथ बच्ची की शादी में कन्यादान का खर्च उठाकर मण्डा विद्यालय परिवार ने मानवता की मिसाल पेश की है। वहां उपस्थित सभी परिजनों, रिश्तेदारों और ग्रामवासियों ने मण्डा विद्यालय स्टाफ के प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की व अन्य भामाशाहों का आभार व्यक्त किया। वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखों से खुशी के आंसू झलक रहे थे। बेटी कोमल ने कल्पना भी नही की थी कि उसकी शादी यूँ धूमधाम से होगी। मण्डा विद्यालय स्टाफ ने उसकी डोली उठने के बाद ही राहत की सांस ली। अन्त में सभी ने कोमल को आशीर्वाद देकर विदा किया। 


ये हाथ बढ़े मदद को -

शिक्षक दिनेश कुमार वैष्णव, शारीरिक शिक्षक राजेश कुमार उपाध्याय, अध्यापिका सुनिता चौधरी, रीना कुमारी, भामाशाह आयुष जैन रामथला, रामनारायण माहेश्वरी, दुर्गालाल बैरवा भीमडावास, पंकज पोपटानी, एडवोकेट सूर्यकान्त दाधीच, लखन सैनी, अनिल बंसल, साहिल खान, सलामत अली हनुमानगढ़, भैरूलाल जैन बावड़ी, गोविन्द वैष्णव, महेन्द्र कुमार धायल कणोज, सालगराम वैष्णव सावर, राजेन्द्र कुमार लोधा झालावाड़, दुष्यन्त सिंह राठौड़, अक्षय कुमार बैरवा करौली, सावंतराम बैरवा मोलकिया, शंकरलाल दरोगा जयपुर, सूरज वैष्णव रामसर, सुषपाल मीणा एवं रमेश कुमार मीणा सहित अन्य कई लोगों ने बिटिया के लिए कन्यादान किया। कुछ लोगों ने गुप्तदान के रूप में भी सहयोग किया। 


इस अवसर पर शारीरिक शिक्षक राजेश कुमार उपाध्याय ने कहा कि कन्यादान इस संसार में सबसे बड़ा एवं पवित्र दान माना गया है। गांव की बेटी सबकी बेटी होती है। सामूहिक सहभागिता से सामाजिक समरसता में वृद्धि होती है। कन्यादान का सौभाग्य भाग्यशाली लोगों को मिलता है।

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